IPS प्राणतोष कुमार दास के बयान पर शर्म नहीं, विचार करने की जरुरत है

अभय पाण्डेय

पटनाः नवादा के प्रभारी SP प्राणतोष कुमार दास एक बयान को लेकर बिहार पुलिस मुख्यालय और सरकार के दोषी बन गए हैं। पुलिस मुख्यालय ने उनसे उस बयान को लेकर स्पष्टीकरण की मांग कर दी है। मुख्यालय के मुताबिक उनका बयान अमर्यादित है। इससे बिहार पुलिस की छवि धूमिल हुई है। इस संबंध में वे तत्काल अपना स्पष्टीकरण समर्पित करें कि क्यों नहीं इसके लिए उनके विरुद्ध प्रशासी विभाग को प्रतिवेदन समर्पित किया जाए।‘

दरअसल उन्होंने कुछ दिन पहले बयान दिया था कि हमारी औकात सड़क पर से ठेला हटाने भर की है। पुल बनाने की क्षमता तो सरकार के पास है। IPS प्राणतोष कुमार दास का वही बयान सोशल मीडिया में वायरल हो गया और वे अब बिहार पुलिस मुख्यालय और सरकार के निशाने पर हैं।

बहरहाल, IPS प्राणतोष कुमार दास के जिस बयान पर हाय-तौबा मचा है दरअसल यह आज के पुलिस की अनकही हकीकत है, जो दिल में तो सबके है, पर ज़ुंबाँ पर नहीं आ पाती। क्योंकि आज की पुलिस को सिस्टम का गुलाम बना दिया गया है। आज की पुलिस को पंगु बना दिया गया है। उनके परों को कतर कर हौसलों को खोखला कर दिया गया है। खाकि को खादी का पिछलगु बना दिया गया है।

चुंकी मैं एक सेवानिवृत्त पुलिस वाले का बेटा हूं, लिहाजा बचपन से ही पुलिस को बहुत करीब से देखने और जानने का मौका मिला है। इस लिहाज से जहां तक मैं महसूस करता हूं पुलिस के लिए तब की स्थिति अब से बहुत अच्छी थी। पहले पुलिस के डर से अपराध करने वाले कांपते थे, अब अपराधियों के डर से पुलिस वाले कांपते हैं।

एक चौकीदार जो विभाग का सबसे छोटा मुलाजिम होता है, अकेले उसकी मौजूदगी से भी अपराध करने वाले उसे अंजाम देने में सौ बार सोचते थे, लेकिन अब तो जिले के एसपी साहब की भी औकात महज दो कौड़ी की रह गई है। जब जिसका मन ठेंगा दिखा जाता है।

ये सब इसलिए नहीं हो रहा कि पुलिस कमजोर हो गई है। वर्दी का रंग भी वही है, उसके अंदर हाड़-मांस का बना इंसान भी वही है। लेकिन मौजूदा सिस्टम ने उसे तमाम बंदिशों में बांधकर बेबस और लाचार कर दिया है।

आज एक पुलिस वाला किसी को गिरफ्तार करता है या उसे डरा-धमकाकर अपराध करने से रोकने कोशिश करता है तो मानवाधिकार से लेकर गली-गली में कुकुरमुत्ते की तरह फैली समाजसेवी संस्थाएं सभी उसके खिलाफ मोर्चा संभाल लेती हैं। रही बात उनके उपर बैठे अधिकारियों की, तो वो अपनी साख और कुर्सी बचाने के लिए बिना कुछ सोचे-समझे आनन-फानन में उस पुलिस वाले पर कार्वाई कर देते हैं, जिसे अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने के वास्ते कई बार ना चाहते हुए भी लिक से हटकर कुछ करना पड़ता है।

बहरहाल, प्राणतोष पर कार्रवाई करना विभाग की अपनी समझ और कार्यशैली है। लेकिन मेरा मानना है कि मुख्यालय में बैठे जिन अधिकारीयों ने भी प्राणतोष के इस बयान पर संज्ञान लिया है अगर उनके पास विचार करने की थोड़ी भी क्षमता बची हो, तो विचार कीजिए- आखिर कौन सी ऐसी कसक रही होगी एक IPS के दिल में जो उसने इतनी बड़ी बात कह दी। क्योंकि आप कहें ना कहें जो बात प्राणतोष की जुबाँ से निकली है उसे आप भी महसूस करते होंगे और वो अन्दर ही अन्दर आपको भी सालती जरूर होगी।

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आप एक युवा पत्रकार हैं। देश के कई प्रतिष्ठित समाचार चैनलों, अखबारों और पत्रिकाओं को बतौर संवाददाता अपनी सेवाएं दे चुके अभय ने वर्ष 2004 में PTN News के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। इनकी कई ख़बरों ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी हैं।
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