अमेरिकी डॉक्टर धीरज कौल का दावा- कभी खत्म नहीं होगा कोरोना!

नई दिल्ली: कोरोना को लेकर रोज नई-नई बातें सामने आ रही हैं। इस बीच न्यूयार्क में कोरोना पर शोध कर रहे भारतीय मूल के अमेरिकी डॉक्टर धीरज कौल (Doctor Dheeraj Kaul) ने दावा किया है कि कोरोना कभी खत्म नहीं होगा। न्यूज़ स्टंप से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि वायरस कभी भी खत्म नहीं होते, बल्कि एक निश्चित समय के बाद उनके फैलने की रफ्तार धीमी हो जाती हैं।

किसी भी महामारी में एक-एक मिनट होता है बेहद कीमती

डॉ. कौल ने खास टेलिफोनिक बातचीत में बताया कि वायरस का डबलिंग टाइम बेहद महत्वपूर्ण होता है और यदि यह बढ़ जाये तो वायरस बेहद मारक हो जाता है। इसलिए वायरस के खिलाफ पूरा प्लान सरकार के पास होना चाहिए। किसी भी महामारी में एक एक मिनट बेहद कीमती होता है।

डॉक्टर धीरज कौल (Doctor Dheeraj Kaul) ने बताया कि वैश्विक महामारी के वक्त तीसरी दु​निया के देश जैसे भारत को एक पूरा खाका तैयार करना चाहिए। इसमें सरकार और जनता के बीच संवाद कायम करने वाले अधिकारी, वैज्ञानिकों और चिकित्सकों के समूह और अर्थव्यवस्था के जानकारों को साथ लेकर काम करना चाहिए।

कोरोना वायरस के कारण अमेरिका में साढ़े चार से पांच करोड़ लोग बेरोजगार हुए

वह कहते हैं तीसरी दुनिया में अर्थव्यवस्था का ढह जाना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। अमेरिका जैसे देश में अभी तक कोरोना वायरस के कारण साढ़े चार से पांच करोड़ लोगों की नौकरी जा चुकी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले वक्त में भारत की आर्थिक स्थिति कितनी भयावह हो सकती है।

भारत की 70 फीसदी आबादी को प्रभावित कर सकता है कोरोना

उन्होंने (Doctor Dheeraj Kaul) उदाहरण दिया कि यदि भारत में कोरोना वायरस पूरी तरह एक्टिव और मारक हो जाये तो इससे 70 फीसदी आबादी प्रभावित हो सकती है। इसमें 20 प्रतिशत लोगों के अस्पताल में इलाज की जरूरत पड़ेगी। महामारी के दौरान करीब तीन करोड़ लोगों को अस्पताल में आईसीयू में भर्ती कराना पड़ेगा। इसमें से हर महीने 20 लाख मरीजों के लिए वेंटिलेटर और आईसीयू बिस्तर की जरूरत होगी। इसलिए भारत सरकार को इंफ्रास्टचर और प्रशि​क्षित डॉक्टरों की टीम बनानी चाहिए।

कोरोना की वैक्सीन आने में लग सकता है एक साल का वक्त

भारतीय समाचार चैनलों द्वारा वैक्सीन संबंधी बुलेटिन पर निराशा जताते हुए डॉक्टर धीरज कौल ने कहा कि कोरोना की वैक्सीन आने में अभी एक साल का वक्त लग सकता है। अभी मानव पर परीक्षण शुरू हुआ है। इसकी सफलता आने वाले वक्त में पता चलेगी। चिकित्सा विज्ञान के इतिहास में 1960 के इंफ्लुएंजा की वैक्सीन सबसे जल्द तैयार हुई थी।

कोरोना महामारी को लेकर भारत सरकार की कार्यप्रणाली पर उन्होंने बताया कि सबसे अच्छा उदाहरण वियतनाम का है। जहां कोविड-19 से एक भी मौत नहीं हुई। वियतनाम ने कोरोना महामारी के बारे में पता चलते ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को बंद कर दी गयी। 80 हजार लोगों को क्वारंटाइन किया गया। समाज में जागरूकता फैलायी गयी।​

ICMR का महामारी के संबंध में कोई अनुभव नहीं

डॉक्टर धीरज कौल कहते हैं कि भारत सरकार में यदि स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को छोड़ दिया जाये तो मेडिकल पृष्ठभूमि का कोई भी व्यक्ति नहीं हैं। ICMR के साथ भारत सरकार काम कर रही है जिसका महामारी के संबंध में कोई अनुभव नहीं है।

उन्होंने बताया कि अमेरिका में स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत बनायी गयी सीबीसी समिति में 99 फीसदी डॉक्टर हैं। इसी प्रकार भारत सरकार को भी जनवरी में ही कमेटी बनानी चाहिए थी।

महामारी के हिसाब से हेल्थकेयर सिस्टम में रिफॉर्म की आवश्यकता

इसके अलावा नेशनल पेंडेमिक एक्ट लागू करना चाहिए। महामारी के हिसाब से हेल्थकेयर सिस्टम में रिफॉर्म करना चाहिए। इससे कोरोना वायरस के ट्रांसमिशन रेट कम हो और हेल्थकेयर साइकोलॉजी को सशक्त बनाना चाहिए। महामारी के दौरान डिप्रेशन और एन्जाइटी जैसी बीमारियों से निपटा जा सके।

क्यों नहीं कराया गया ऋषि कपूर और इरफान खान कोरोना टेस्ट ?

उन्होंने कहा कि यह मेरी समझ से बाहर है कि कैंसर के मरीज ऋषि कपूर और इरफान खान के निधन के बाद उनका कोरोना टेस्ट क्यों नहीं कराया गया? क्योंकि इस तरह के मरीजों को कोरोना संक्रमण की आशंका रहती है। इसी प्रकार  अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के पीछे कोरोना का संकट कारण हो सकता है।

भारत में कोरोना आंकड़ों को कम दिखाने की कोशिश और मेडिकल प्रोफेशनल का अभाव

इस प्रकार भारत में कोरोना के कारण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जाने कितनी मौत हो रही हैं। इसे भारत सरकार अलग करके देख रही है। यह कोरोना के आंकड़ों को कम दिखाने की कोशिश और मेडिकल प्रोफेशनल का अभाव है।

दीपक सेन
दीपक सेन
मुख्य संपादक