बिहारी माटी के लाल ओमकांत की कहानी: ‘कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’

पटना: “जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम / संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम / कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती / कोशिश करने वालों की हार नहीं होती” इस कविता को चरितार्थ करने वाले है बिहार के समस्तीपुर जिले के गोही गांव निवासी ओमकांत ठाकुर। किसान परिवार में जन्मे ओमकांत ठाकुर ने यूपीएससी की परीक्षा में 52वां स्थान प्राप्त कर अपने गांव के साथ-साथ अपने जिले का नाम भी रौशन किया है।

यह पहली बार नहीं है कि ओमकांत ने यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की है। इससे पहले भी वर्ष 2017 की परीक्षा में ओमकांत ने 396 और साल 2018 की परीक्षा में 252वां रैंक हासिल किया था। लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने इसे असफलता की तरह हीं देखा और इस बात ने उन्हें और अच्छा करने की तरफ प्रेरित किया।

इंफोसिस और सैमसंग से जुड़े रहे

एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे ओमकांत की प्रारंभिक पढ़ाई-लिखाई एवीएन स्कूल समस्तीपुर से हुई। 10वीं की पढ़ाई हाई स्कूल धर्मपुर और इंटर की पढ़ाई एल एस कॉलेज मुजफ्फरपुर से की। उसके बाद ओमकांत ने NIT पटना में दाखिला मिला जहां आर्थिक तंगी के बाद भी पढ़ाई पूरी की। फिर इंफोसिस और सैमसंग जैसी कंपनी में चार साल तक नौकरी करने के बाद यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दिल्ली आ गए।

साल 2016 में उन्होनें यूपीएससी की परीक्षा दी जिसमें उन्हें असफलता हाथ लगी। मगर इसके बाद भी उन्होंने हौसला नहीं हारा और साल 2017 की परीक्षा में 396 वां रैंक हासिल किया और इंडियन ट्रेड सर्विस ज्वाईन किया। ओमकांम संतुष्ट नहीं हुए और साल 2018 में 252वां रैंक हासिल किया, जिसके बाद उन्हें IRS (इंडियन रेवेन्यू सर्विस) में काम करने का मौका मिल रहा था, जिसको उन्होनें ठुकरा दिया और इंडियन ट्रेड सर्विस के साथ काम करना जारी रखा। आखिरकार इस साल की परीक्षा में उन्होनें वह मकाम हासिल कर लिया जिसके लिए उन्होंने कई सालों से कड़ी मेहनत की थी।

आर्थिक तंगी के बावजूद नहीं मानी हार

NIT पटना में दाखिला मिलने के बाद उनके पास फी देने के पैसे नहीं थे, जिसके लिए उन्होंने बैंक से लोन लेने का सोचा। मगर कई तरह की कागजी बंदिशों के कारण उन्हें लोन भी नहीं मिल पाया। इन सब तरह परेशानियों से घिरने के कारण हीं यूपीएससी को अपना लक्ष्य बनाया और आखिरकार हासिल की।

हमारे साथ खास बातचीत में ओमकांत नें बताया कि उनके भाई जयकांत ठाकुर ने हर कदम पर उनका साथ दिया। आर्थिक और मानसिक हर तरह से वो इनका हौसला आफज़ाई करते रहे। साथ हीं उन्होनें पिता, परिवार के अन्य सदस्यों, गोही ग्रामवासियों, शिक्षकों और दोस्तों को अपनी सफलता का श्रेय दिया।

कठिन परिश्रम करके सफलता की हासिल

ओमकांत ने बताया कि अगर आप लगन और कठिन परिश्रम के साथ अगर आगे बढ़ते रहते हैं तो सफलता एक दिन जरुर आपके कदम को चूमेगी। शुरुआत से ही मेधावी छात्र वो मेधावी छात्र रहे थे और इंजीनियरिंग की पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्हें काफी अच्छी नौकरी भी मिली थी लेकिन इसके बावजूद भी वो अपने लक्ष्य से नहीं भटके और कड़ी मेहनत करके उन्होनें सफलता हासिल की।

ओमकांत के मुताबिक ग्रामीण इलाके के छात्रों में प्रतिभा की कमी नहीं है। वहां के छात्र काफी मेधावी हैं। लेकिन आर्थिक तंगी और सही प्रेरणा नहीं मिल पाने के कारण वो आगे नहीं बढ़ पाते। उन्होंने कहा कि अब छात्रों को दिल्ली या मुंबई जैसे महानगरों मे जाकर हीं पढ़ाई करने की जरुरत नहीं है।

छात्रों को दिया सफलता का मंत्र

ओमकांत ने कहा कि इंटरनेट की सुविधा हर जगह मौजूद है और छात्र उसका सही इस्तेमाल करके अपना लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। कोरोना महामारी ने हमें यह सिखाया है कि किस तरह से आप अपने घर पर रह कर भी अच्छे तरीके से पढ़ाई कर सकते हैं। बहुत सारी वेबसाइट मुफ्त में भी शिक्षा प्रदान कर रही। यूट्यूब के माध्यम से भी छात्र पढ़ाई कर सकते हैं। छात्रों को अपना हौसला रखते हुए अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहना है, जिससे वह अपनी मंजिल हासिल कर सकते हैं।

“डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है / जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है / मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में / बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में / मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती / कोशिश करने वालों की हार नहीं होती”

– रविराज भारद्वाज

दीपक सेन
दीपक सेन
मुख्य संपादक