क्या रिकवरी रेट दिखाकर बढ़ते कोरोना मामलों को छिपा रही है सरकार?

नई दिल्ली: यदि सरकारी आंकड़ों को देखा जाये तो रिकवरी रेट (Recovery rate) दिखाकर केंद्र सरकार कोरोना के मरीजों की संख्या को कहीं ना कहीं छिपाती नजर आ रही हैं। देश में कुल कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या रविवार को 11 लाख पहुंच जायेगी। 130 करोड़ की जनसंख्या का यह केवल 0.1 प्रतिशत से भी कम है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय  (Central health ministry) ​के अनुसार शनिवार तक 1,34,33,742 नमूनों की जांच की जा चुकी थी। यह आंकड़ा भी देश की कुल जनसंख्या (Population of India) का एक फीसदी के आसपास ही ठहरता है। एक दिन में होने वाले टेस्ट तीन लाख के आसपास ही रहता है। अब यह आपको तय करना है कि यह 130 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में कितने फीसदी है?

कोरोना के पीछे राजनीतिक खेल

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय( According to Central health ministry) के अनुसार, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा में एक दिन में सामने आने वाले नये मामलों की संख्या में वृद्धि हुई। इन राज्यों को संक्रमण को रोकने के लिए नए सिरे से प्रयास करना होगा। साथ ही मृत्यु दर को एक प्रतिशत से कम रखने के लिए कहा गया है।

इन राज्यों द्वारा लॉकडाउन (Lockdown) नए सिरे से लागू किया गया। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि पाबंदियों का इस्तेमाल मामलों का शीघ्र पता लगाने और मृत्यु दर को कम में किया जाये। साथ ही कंटेनमेंट जोन और बफर जोन में नियंत्रण, निगरानी और जांच पर ध्यान केंद्रित करने के लिए किया जाना चाहिए।

इस कवायद के पीछे कहीं ना कहीं आगामी विधानसभा चुनावों की आहट सुनाई देती है। बिहार विधानसभा (Bihar assembly election 2020 ) के बाद पश्चिम बंगाल में चुनाव होने हैं। महाराष्ट्र और तमिलनाडु की स्थिति बदतर है, लेकिन केंद्र सरकार ने वहां कोई टीम भेजने की बात क्यों नहीं कही?

बिहार के लिए अलग से टीम क्यों?

कोविड-19 प्रबंधन के आंकलन में राज्य की सहायता करने और सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए बिहार में एक केंद्रीय टीम तैनात की गई है। सभी जानते हैं कि बिहार में 2020 में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। मगर कोरोना के कारण बिगड़ते हालत के चलते बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लॉकडाउन (Lockdown) लगाना पड़ा।

संयुक्त सचिव लव अग्रवाल, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के डॉयरेक्टर डॉ एस के सिंह और एम्स (नयी दिल्ली) में मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ नीरज निश्चल वाली एक टीम रविवार को बिहार पहुंचेगी। इस टीम के प्रमुख लव अग्रवाल होंगे।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि मुख्य जोर घर-घर सर्वेक्षण, नियंत्रण गतिविधियां, संक्रमितों के सम्पर्क में आये व्यक्तियों का समय पर पता लगाना, बफ़र ज़ोन की निगरानी प्रमुख है। इसके साथ ही गंभीर मामलों देखभाल और इलाज के प्रबंधन पर होगा।

कोरोना को लेकर अमेरिका और ब्राजील के बाद तीसरे स्थान पर भारत

शुक्रवार को जैसे ही भारत में आधिकारिक रूप से कोरोना पॉजिटिव की संख्या 10 लाख को पार कर गयी। और देश अमेरिका और ब्राजील के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गया। इसके बाद से सरकार के सुर बदल गये हैं। अब आपको कोरोना के आंकड़े बताने से अधिक जोर कोरोना के रिकवरी रेट (Recovery rate) पर दिया जा रहा है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Central health ministry statement on corona) ने बयान में कहा, ‘‘पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 17,994 मरीज ठीक हुए। ठीक होने की दर अब 63 प्रतिशत है।” राजधानी दिल्ली में कोरोना रिकवरी रेट में लगातार सुधार देखने को मिल रहा है। दिल्ली में अब कोरोना रिकवरी रेट 83 फीसदी के पार कर चुका है।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी पीछे नहीं

भारत का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सरकार के गुणगान करने में लगा हुआ है। ऐसा लग रहा है जैसे भारत ने कोरोना पर जीत हासिल कर ली हो। यदि देश की स्थिति में इतनी तेजी से सुधार हुआ हैं तो प्रदेशों को लॉकडाउन क्यों लगाना पड़ रहा है?

भारत में कोरोना के टेस्ट की संख्या बढ़ने के साथ ही मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ। केंद्र सरकार आने वाले कोरोना संकट को नजर अंदाज करके फरवरी अंत में ‘नमस्ते ट्रंप’ और मार्च में मध्यप्रदेश में सियासी उठापठक करके भाजपा की सरकार बनाने में लगी रही। उस वक्त देश में आने वाले कोरोना संकट को किस मीडिया ने उठाया?

कोरोना के बीच में राजस्थान की सियासत में उठापटक चल रही है। क्या कोरोना से मुकाबला करने का फर्ज केवल देश के नागरिकों का है? और इस देश की राजनीतिक पार्टियां और प्रदेश की सरकारों का नहीं? क्या देश के सत्ताधारी दल को हर चीज के लिए छूट है? सीधी सपाट भाषा में कहा जाये तो देश में कोरोना के मरीजों की संख्या सरकार द्वारा दिए जा रहे आंकड़ो से अधिक है? कितने इलेक्ट्रानिक मीडिया ने इन मसलों पर चर्चा या बहस की है?

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दीपक सेन
दीपक सेन
मुख्य संपादक