ससुर की सियासी विरासत संभालने चुनावी रण में उतरी वंदना राज, कहा- पक्की है जीत

रोहतास: बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Panchayat chunav 2021) का बिगुल फूंक चुका है। चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए उम्मीदवार एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। पदस्थ उम्मीदवार वादों को पूरा नहीं कर पाने की वजह गिना रहे हैं, तो विरोध में उतरे नए उम्मीदवार पूराने को खारिज कर मौका देने की अपील कर रहे हैं। इस बीच एक उम्मीदवार ऐसा भी है, जो सिर्फ इस विनाह पर अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं कि वह उस शख्सियत के घर से है, जिसने दो दशक से भी ज्यादा वक्त तक जनता के दिलों पर राज किया है। मैं बात कर रहा हूं संझौली से जिला परिषद की उम्मीदवार वंदना राज की। वंदना (Vandana Raj) पहली बार चुनावी मैदान में उतरी हैं और अपने जीत को पक्की बता रही हैं, क्योंकि उनके ससुर राममुर्ति सिंह का दो दशक से भी ज्यादा वक्त तक इस क्षेत्र में दबदबा कायम रहा है।

अपने ससुर राममुर्ति सिंह (Rammurti Singh) की सियासी विरासत को संभालने चुनावी मैदान में उतरी वंदना की माने तो उनकी जीत पक्की है, क्योंकि वह एकमात्र उम्मीदवार हैं जो पद के चकाचौंध से नहीं बल्कि विचारधारा से प्रभावित होकर रण में उतरी हैं। वंदना कहती है, ‘मैं दूसरे उम्मीदवारों की तरह लोक लुभावने वादे करने नहीं, बल्कि अपने ससुर के अधूरे काम को पूरा करने करने आई हूं।‘  वंदना की मानें तो वह इस चुनाव में पद और रसुख की नहीं, बल्कि विचारधारा की लड़ाई लड़ रही हैं।

महिलाओं को शिक्षित कर दिलाएंगी अधिकार

वंदना पढ़ी-लिखि शिक्षित उम्मीदवार हैं और शिक्षा को महत्व को बखुबि समझती हैं, लिहाजा शिक्षा के प्रसार पर उनका विशेष फोकस है। उनका कहना है कि अगर वह इस पद के लिए चुनी जाती हैं, तो शिक्षा के सुदृढीकरण पर उनका खास ध्यान होगा, क्योंकि समाज को विकास और अधिकार तब तक नहीं नहीं मिल सकता जब तक लोग शिक्षित नहीं होंगे। महिला उम्मीदवार होने के नाते उन्होंने स्पष्ट कहा कि महिलाओं को शिक्षित करना प्रथमिकता होगी। वह महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जगरूक करेंगी और समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सकारात्मक पहल करेंगी।

कौन थे वंदना के ससुर राममुर्ति सिंह

आपको बता दें, पहली बार सियासी रण में उतरीं वंदना राज के ससुर राममूर्ति सिंह (72) का निधन इसी साल 5 मई को हो गया था। वह 2001 में रोहतास जिले के जिला परिषद उपाध्यक्ष चुने गए थे। उसके पूर्व 1979 में बिक्रमगंज के प्रखंड प्रमुख भी बने थे और पंचायती चुनाव होने तक लगभग 20 वर्ष तक प्रमुख बने रहे। श्री सिंह दो बार बिक्रमगंज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ चुके थे। वह कम्युनिस्ट आंदोलन से भी जुड़े थे। आवाम के मुताबिक इस इलाके में उनकी पहचान ईमानदारी और सादगी की एक मिशाल के तौर पर है।

नामांकन खत्म, 24 सितंबर को डाले जाएंगे वोट

गौरतलब है कि, बिहार में कुल 11 चरणों में मतदान किया जाना है। पहले चरण का मतदान 24 सितंबर को होगा, जिसकी मतगणना 26 और 27 सितंबर को होगी। इसमें रोहतास जिले के दो प्रखंड संझौली और दावथ भी शामिल है।उम्मीदवारों की नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।

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