Ovarian cancer awareness month: जानें महिलाओं में होने वाले ओवेरियन कैंसर के लक्षण, कारण और निदान

नई दिल्लीः रहन-सहन, खानपान और पर्यावरण में तेजी से बढ़ते प्रदुषण की वजह से वर्तमान समय में कैंसर एक भयानक बीमारी के रूप में उभरकर सामने आया है। इसकी चपेट में हर वर्ष सबसे अधिक लोग आते हैं और समय पर इलाज नहीं हो पाने के कारण सर्वाधिक लोग असमय ही मर जाते हैं। यह एक ऐसा रोग है जो किसी भी उम्र में हो सकता है। यह एक साल के बच्चे से लेकर 80 साल के बुजुर्ग तक में पाया जा सकता है, जिसके सौ से अधिक प्रकार हैं। बात महिलाओं में होने वाले कैंसर की करें, तो उनमें स्तन कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, थायराइड कैंसर, ओवेरियन कैंसर और सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है।

ग्लोबोकैन 2018 फैक्ट शीट के अनुसार, ओवेरियन कैंसर (Ovarian cancer) भारतीय महिलाओं में तीसरा सबसे आम कैंसर है, जो प्रजनन के लिए अंडे का उत्पादन करने वाले मादा अंग अंडाशय से उत्पन्न होता है। इस Ovarian Cancer Awareness Month पर हम आपको ओवेरियन कैंसर के कारणों, लक्षणों और निदान के जोखिम को कम करने के बारे में बताने जा रहे हैं।

Ovarian Cancer क्या है

ओवेरियन कैंसर (Ovarian Cancer), कैंसर का एक प्रकार है जो ओवरी (Ovary) से शुरू होता है। महिला की प्रजनन प्रणाली में दो ओवरीज होती हैं और यह बहुत छोटे आकार की होती है। इसमें अंडाणु के साथ-साथ एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का उत्पादन भी होता है। शुरुआत में ओवेरियन कैंसर (Ovarian Cancer) का पता नहीं चल पाता। अधिकर मामलों में जब यह पेल्विस और पेट के भीतर फैल जाता है, उसके बाद इसकी पहचान होती है। देरी से निदान होने के कारण इस कैंसर का इलाज भी मुश्किल हो सकता है। अगर शुरुआत में इसका पता चल जाए तो इलाज सफल हो जाता है।

ओवेरियन कैंसर के कारण

ओविरियन कैंसर (Ovarian Cancer) किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन महिलाओं की उम्र बढ़ने के साथ इसके होने की संभावना अधिक होती है। जिन महिलाओं के कभी बच्चे नहीं हुए हैं, या जिनका 35 साल की उम्र के बाद पहला बच्चा हुआ है, उन्हें इस कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। जिन महिलाओं ने हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के रूप में अकेले एस्ट्रोजन का इस्तेमाल किया है, उनमें भी इसका खतरा बढ़ जाता है। वंशानुगत गैर-पॉलीपोसिस कोलोरेक्टल कैंसर (HNPCC या लिंच सिंड्रोम), डिम्बग्रंथि के कैंसर, या स्तन कैंसर के व्यक्तिगत या पारिवारिक इतिहास वाली महिलाओं में डिम्बग्रंथि के कैंसर का खतरा अधिक होता है। लेकिन जिन महिलाओं में इनमें से कोई भी स्थिति या जोखिम कारक नहीं हैं, उन्हें अभी भी डिम्बग्रंथि का कैंसर हो सकता है।

ओवेरियन कैंसर के कैंसर के लक्षण

ओवेरियन कैंसर के प्रारंभिक अवस्था में कई निश्चित लक्षण नहीं होते। इसके लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। इसका पता अक्सर तीसरे या चौथे चरण में चलता है,  यही कारण है कि इससे उच्च मृत्यु दर होती है। हालाँकि, उनके पास गैर-विशिष्ट लक्षण हो सकते हैं।

  • पेट में सूजन
  • पेट में दबाव और दर्द
  • पेट जरूरत से ज्यादा भरा हुआ महसूस करना या खाने में परेशानी होना
  • बार-बार पेशाब
  • मासिक धर्म में अनियमितता
  • संभोग के दौरान दर्द

ओवेरियन कैंसर के प्रकार

अंडाशय तीन प्रकार की कोशिकाओं से बने होते हैं, जो अलग प्रकार के ट्यूमर में विकसित हो सकती है।

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  • एपिथेलियल ट्यूमर अंडाशय के बाहर ऊतक की परत में बनते हैं। लगभग 90 प्रतिशत डिम्बग्रंथि के कैंसर एपिथेलियल ट्यूमर होते हैं।
  • स्ट्रोमल ट्यूमर हार्मोन बनाने वाली कोशिकाओं में बढ़ते हैं। डिम्बग्रंथि के कैंसर के सात प्रतिशत स्ट्रोमल ट्यूमर होते हैं।
  • अंडा बनाने वाली कोशिकाओं में जर्म सेल ट्यूमर विकसित होते हैं। जर्म सेल ट्यूमर दुर्लभ होते हैं।

ओवेरियन कैंसर के जोखिम कारक

  • ओवेरियन कैंसर का पारिवारिक इतिहास
  • ओवेरियन कैंसर से जुड़े जीनों के अनुवांशिक उत्परिवर्तन, जैसे बीआरसीए 1 या बीआरसीए 2
  • स्तन, गर्भाशय, या पेट के कैंसर का व्यक्तिगत इतिहास
  • मोटापा
  • कुछ प्रजनन दवाओं या हार्मोन थेरेपी का उपयोग
  • गर्भावस्था का कोई इतिहास नहीं
  • अन्तर्गर्भाशय-अस्थानता (endometriosis)

Ovarian Cancer का निदान

यदि आपके डॉक्टर को लगता है कि आपको ओवेरियन कैंसर है, तो वे संभवत: एक पेल्विक परीक्षण की सिफारिश करेंगे। पेल्विक परीक्षण करने से आपके डॉक्टर को अनियमितताओं का पता लगाने में मदद मिल सकती है, लेकिन छोटे डिम्बग्रंथि ट्यूमर को महसूस करना बहुत मुश्किल होता है।

डॉक्टर दे सकते हैं इन परिक्षणों की सलाह

  • ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड (TVUS)

TVUS एक प्रकार का इमेजिंग टेस्ट है जो अंडाशय सहित प्रजनन अंगों में ट्यूमर का पता लगाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है। हालांकि, टीवीयूएस आपके डॉक्टर को यह निर्धारित करने में मदद नहीं कर सकता है कि ट्यूमर कैंसर है या नहीं।

  • पेट और पेल्विक सीटी स्कैन

यदि आपको डाई से एलर्जी है, तो डॉक्टर पेल्विक एमआरआई स्कैन कराने को कह सकते हैं।

  • रक्त परीक्षण

CA-125 परीक्षण एक बायोमार्कर है जिसका उपयोग ओवेरियन कैंसर और अन्य प्रजनन अंग कैंसर के लिए उपचार प्रतिक्रिया का आकलन करने के लिए किया जाता है। हालांकि, मासिक धर्म, गर्भाशय फाइब्रॉएड और गर्भाशय कैंसर भी रक्त में सीए-125 के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं।

  • बायोप्सी टेस्ट

बायोप्सी में अंडाशय से ऊतक का एक छोटा सा नमूना निकालना और माइक्रोस्कोप के तहत नमूने का विश्लेषण करना शामिल है।

नोट: यह लेख अलग-अलग माध्यमों से प्राप्त जानाकारियों पर आधारित है। न्यूज़ स्टंप अपनी तरफ से इन तथ्यों की पुष्टि नहीं करता। सेहत को लेकर डॉक्टरों का मार्गदर्शन एवं परामर्श ही विश्वसनीय है।

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