नई दिल्ली: कोविड-19 की एस्ट्राजेनेका ऑक्सफोर्ड (AstraZeneca Oxford) वैक्सीन का ट्रायल ब्रिटेन में एक वॉलन्टियर के बीमार होने के बाद रोकना पड़ा था। अब खबर यह है कि इसे दोबारा शुरू किया जाएगा।
न्यूयार्क से डॉ. धीरज कौल ने फोन पर बताया कि ब्रिटेन में वॉलन्टियर को नर्वस सिस्टम से संबंधित समस्या के चलते एस्ट्राजेनेका ऑक्सफोर्ड (AstraZeneca Oxford) वैक्सीन का ट्रायल रोक दिया गया था। इस समस्या का इस वैक्सीन से कोई संबंध नहीं है।
कौल ने बताया कि भारत की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इस वैक्सीन का उत्पादन करने वाली है। इसलिए इस वैक्सीन के दुनियाभर में ट्रायल के दौरान कहीं भी वॉलन्टियर पर किसी प्रकार का इफेक्ट आने पर भारत के ड्रग कंट्रोलर आफ इंडिया को सूचना देना जरूरी था।
कौल ने भारत सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि सरकार ने तमाम तरह की सुविधा मुहैया करायी। इसके बाद भी कंपनी ने गैरजिम्मेदाराना रूख अपनाया। इस महामारी के वक्त निजी कंपनियों को बेहद जिम्मेदारी से काम करना होगा।
गौरतलब है कि डीसीजीए ने एस्ट्राजेनेका द्वारा दूसरे देशों में टीके का परीक्षण रोके जाने के बारे में जानकारी नहीं देने को लेकर नौ सितंबर को एसआईई को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
उन्होंने बताया कि रूस, चीन और अमेरिका जैसे देश तीसरे स्टेज में वैक्सीन के 50 से 60 फीसदी सफल ट्रायल को देखकर ही सीधे इंसानों को लगाने की अनुमति दे रहे है। आमतौर पर 95 फीसदी सफल ट्रायल के बाद ही सीधे इंसानों पर प्रयोग करने की अनुमति दी जाती है।
कौल ने बताया कि इस वक्त कोविड—19 को काबू में करने के लिए 9 वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के तीसरे स्टेज पर है। ऐसे में इस पर काम करे संस्थानों का दायित्व बढ़ जाता है। साथ ही भारत ने केमिकल का उत्पादन शुरू कर दिया है, जिससे चीन पर निर्भरता को कम किया जाये।
इधर, भारत में महानियंत्रक डॉक्टर वी जी सोमानी ने शुक्रवार को एक आदेश में भारतीय सीरम संस्थान (एसआईआई) से यह भी कहा कि परीक्षण के दौरान अभी तक टीका लगवा चुके लोगों की सुरक्षा निगरानी बढ़ाए। साथ ही योजना और रिपोर्ट पेश करे।
आदेश के अनुसार, सोमानी ने कंपनी से यह भी कहा है कि वह भविष्य में परीक्षण के लिए नई भर्तियां करने से पहले उनके कार्यालय (डीसीजीए) से पूर्वानुमति के लिए ब्रिटेन और भारत में डाटा एंड सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड (डीएसएमबी) से मिली मंजूरी जमा कराए।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि ऑक्सफोर्ड कोरोना वैक्सीन के ट्रायल ब्रिटेन के सभी परीक्षण केंद्रों में फिर से शुरू किए जाएंगे। हालांकि इसका समय नहीं बताया गया है।
बयान के मुताबिक, विश्व स्तर पर करीब 18,000 लोगों ने अध्ययन के टीके प्राप्त किए हैं। इस तरह के बड़े परीक्षणों में यह उम्मीद की जाती है कि कुछ प्रतिभागी अस्वस्थ हो जाएंगे। इसलिए उनकी सुरक्षा का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
उधर, इस मामले में यूके की मेडिकल रिसर्च काउंसिल के कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर फियोना वाट ने कहा कि किसी भी नई दवा को विकसित करने में सुरक्षा का सबसे अधिक महत्व है। इसलिए यह बहुत आश्वस्त करने वाला है कि ऑक्सफोर्ड कोरोना वायरस वैक्सीन का परीक्षण एक स्वतंत्र सुरक्षा समिति और MHRA द्वारा समीक्षा के बाद फिर से शुरू होगा।
हांगकांग के चीनी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर सियान ग्रिफिथ्स ने कहा कि यह अच्छी खबर है कि ऑक्सफोर्ड टीका परीक्षण फिर से शुरू हो रहा है। वैक्सीन के उत्पादन के दबाव के बावजूद परीक्षण को रोकने की प्रक्रिया ने वैक्सीन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उच्च मूल्य और महत्व का प्रदर्शन किया। उम्मीद है कि नियामक अधिकारी डेटा का अध्ययन कर रहे हैं।
हांगकांग के चीनी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर सियान ग्रिफिथ्स ने कहा कि यह अच्छी खबर है कि ऑक्सफोर्ड टीका परीक्षण फिर से शुरू हो रहा है। वैक्सीन के उत्पादन के दबाव के बावजूद परीक्षण को रोकने की प्रक्रिया ने वैक्सीन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उच्च मूल्य और महत्व का प्रदर्शन किया। उम्मीद है कि नियामक अधिकारी डेटा का अध्ययन कर रहे हैं।