मानसिक स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम गैर फार्मास्युटिकल उपाय है ध्यान

नई दिल्ली: मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट लंबे समय से मनोवैज्ञानिकों और सामाजिक वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय रहा है। हालांकि, बड़े पैमाने पर तकनीकी प्रगति और नौकरी में कड़ी प्रतिस्पर्धा के युग में मानसिक स्वास्थ्य कम चर्चित मुद्दों में से एक रहा है। सात दिसंबर 2021 को केंद्र सरकार ने राज्यसभा में कहा कि भारत में 10.6 फीसदी वयस्क किसी न किसी तरह के मानसिक विकार का सामना करते हैं।

नीति आयोग के ‘हेल्थ केयर इन इंडिया विजन 2020’ के अनुसार, “तीन प्रमुख बीमारियां, कैंसर, हृदय रोग और गुर्दे की स्थिति और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के संबंध में उपेक्षा में चिंताजनक हैं।” विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार “रोग या दुर्बलता का उपचार, शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक तरीकों से अच्छी तरह से किया जा रहा है।

मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से विभिन्न देशों में उनकी रोकथाम और इलाज के लिए उपलब्ध संसाधनों के बीच एक बड़ी खाई है। विश्व के अधिकांश भागों में मानसिक रोगों के उपचार को शेष चिकित्सा और स्वास्थ्य की देखभाल से दूर रखा जाता था।

जीववैज्ञानिक रूप से इसका संबध मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमिटर्स नामक विशेष रसायनों के असामान्य संतुलन से पाया गया है। न्यूरोट्रांसमिटर्स मस्तिष्क में नाड़ी कोशिकाओं को एक दूसरे से संचार करने में सहायता करते हैं। यदि ये रसायन असंतुलित हो जाएं या ठीक से काम न करें, तो संदेश मस्तिष्क में से सही प्रकार से नहीं गुजरते हैं जिससे मानसिक रोग के लक्षण उत्पन्न होते हैं। जीनविज्ञान (आनुवंशिकता) के मुताबिक कई मानसिक रोग वंशानुगत होते हैं, जिससे लगता है कि ऐसे लोगों में जिनके परिवार का कोई सदस्य मानसिक रोग से ग्रसित होता है। मानसिक रोग होने की संभावना अधिक होती है। एक योग विशेषज्ञ के अनुसार, ध्यान मानसिक स्वास्थ्य के निवारक के तौर पर सबसे बेहतर विकल्प है। मेडिटेशन के जरिये एंजाइटी, डिप्रेशन और अनिद्रा की मानसिक विकारों पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

आमतौर पर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या जीवनशैली से पैदा होने वाले डिस्ऑर्डर, स्मोकिंग, नशीले पदार्थ लेने और लंबे चलने वाले रोग जैसे शुगर, कैंसर, हार्ट संबंधी रोग डिप्रेशन के जोखिम को बढ़ाते हैं। मानसिक रोगों के इलाज के लिए प्रयुक्त दवाओं के कई दुष्प्रभाव होते हैं और उनकी लत पड़ सकती है। इन दवाइयों से केवल नींद आती है। वहीं, ध्यान के जरिये बिना फार्मास्युटिकल दवाओं से मानसिक रोगों की रोकथाम की जा सकती है। बेहतर मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के जरिये व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से सशक्त होता है। ध्यान के जरिये व्यक्ति आध्यात्मिक विज्ञान से जुड़ता है और इसके जरिये मस्तिष्क के रसायनों को संतुलित किया जा सकता है एवं वंशानुगत मानसिक रोग को रोकने में मदद करता है।

दीपक सेन
दीपक सेन
मुख्य संपादक