नई दिल्ली: कोरोना वायरस का खात्मा करने वाली वैक्सीन की खोज जारी है। कई वैक्सीन कैंडिडेट्स का ट्रायल एडवांस्ड स्टेज में पहुंच चुका है। ICMR-भारत बायोटेक की देसी कोरोना वैक्सीन COVAXIN का फेज 1 और 2 ट्रायल भी शुरू हो गया है। शुरुआती डोज दिए जाने के बाद वॉलंटिअर्स में किसी तरह के साइड-इफेक्ट्स देखने को नहीं मिले हैं।
रिसर्च में सहयोग के लिए डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (DBT) ने अपने दरवाजे खोल रखे हैं। ग्लोबल लेवल पर देखें तो चीनी कंपनी साइनोफार्म की वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के थर्ड स्टेज में पहुंच गई है। दावा है कि यह वह ट्रायल के तीसरे दौर में पहुंचने वाली दुनिया की पहली कोविड-19 वैक्सीन है।
कैसे बनी हैं COVAXIN ?
ICMR-भारत बायोटेक की COVAXIN एक ‘इनऐक्टिवेटेड’ वैक्सीन है। यह उन कोरोना वायरस के पार्टिकल्स से बनी है जिन्हें मार दिया गया था ताकि वे इन्फेक्ट न कर पाएं। इसकी डोज से शरीर में वायरस के खिलाफ ऐंटीबॉडीज बनती हैं। जायडस कैडिला की ZyCov ‘प्लाज्मिड डीएनए’ वैक्सीन है। ये वैक्सीन दरअसल एक तरह का डीएनए अणु होती हैं जिनमें ऐंटीजेन भी कोड किया जाता है। इसका डीएनए सीक्वेंस वायरस से मैच करेगा तो शरीर उसके खिलाफ ऐंटीबॉडीज बनाने लगेगा।
भारत में कोरोना वैक्सीन से जुड़ी सभी रिसर्च ठीक से हो, इसके लिए डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी और उसके 16 रिसर्च इंस्टीट्यूट लगे हुए हैं। कम लागत वाली कई टेस्ट किट डेवलप की गई हैं। क्लिनिकल और वायरस सैंपल्स के एक्सेस के लिए बायोरिपॉजिटरीज पूरी क्षमता से काम कर रही हैं। कोरोना पॉजिटिव मिले मरीजों का एक पैनल भी बनाया गया है जो किट्स को वैलिडेट करने में मदद करेगा।
इसके अलावा एनिमल मॉडल्स, वायरल स्पाइक प्रोटीन्स, रिसेप्टर बाइंडिंग पेप्टाइल्स, स्यूडोवायरस, ऐंटीबॉडीज पर रिसर्च चल रही है। DBT फरीदाबाद में ऐंटीवायरल्स, थिरपॉटिक्स और वैक्सीन्स के लिए हैम्सटर इन्फेक्शन मॉडल बनाया गया है।