झूठों, जालसाजों और मक्कारों को कैसे पहचानें? बता रहें हैं पत्रकार मृत्युंजय त्रिपाठी

सोशल मीडियाः गांव से लेकर शहर तक झूठे भरे पड़े हैं। वे पिशाच की तरह यत्र-तत्र-सर्वत्र हैं। वे आपके पड़ोस में हो सकते हैं तो रिश्तेदार या दोस्त के रूप में भी। वे आपके कुछ नहीं लगते तो खुद आ टपकेंगे जैसे वे ही आपके सबकुछ हैं। मतलब आप एक ज़िन्दगी जीएं और चाहें कि आपको झूठे, मक्कार, जालसाज लोग न मिलें तो यह नामुमकिन है। आज के इस पोस्ट में हम आपकी पहचान वैसे ही लोगों से कराने जा रहे हैं जो झूठे हैं, जालसाज हैं और मक्कार होते हैं।

  • जो बहुत अधिक बोलता है वह झूठ भी अधिक बोलता है।
  • जो अपने बारे में बगैर पूछे बहुत दावे करता है कि मेरी इतनी जान-पहचान है, मैं ये कर सकता हूँ, वह सिर्फ झूठा ही नहीं, आगे चलकर जालसाज भी निकलता है।
  • जो बेमतलब बहुत मीठा बोलता है वह अपना स्वार्थ सिद्ध न होने पर सामान्य से अधिक कड़वा बोलता है। दरअसल, यह कड़वाहट ही उसकी प्रवृत्ति होती है, मीठापन महज झूठा आवरण होता है।
  • झूठ बोलने वाले घाघ भी हो जाते हैं। उनका सच आपके सामने होता है तब भी वे झूठ बोलकर खुद को बड़ा और महान साबित करने की कोशिश करते हैं। मतलब निहायत बेहयाई। थेथरई।
  • झूठ बोलने वालों को अपने झूठ बोलने की कला पर इतना भरोसा होता है कि वे झूठ से नफरत करने वालों के सामने भी अपना झूठ यूँ परोसते हैं, जैसे सामने वाला भी सच्चाई में उनसे कम है।
  • झूठ बोलने वालों की करनी- कथनी कभी एक नहीं रहती। वे जो कहते हैं वह करते नहीं और अव्वल कि वे यह मानते तो बिल्कुल भी नहीं।
  • जो जितना बड़ा झूठा होगा वह उतना बड़ा फेकू भी होगा। कोई ऐसा नेता, अधिकारी नहीं होगा, जिससे उसकी जान-पहचान न हो। वह बात-बात में अपनी झूठी शान विधायक-सांसद-मंत्री के नाम लेकर प्रदर्शित करेगा। आप बस सुनिए और मुस्कुराइए। मन ही मन कहिए- चल झूठे। आपका मनोरंजन अच्छा होगा।
  • आपका कोई ऐसा काम नहीं होगा जो झूठा आदमी कराने में खुद को अक्षम दिखाए। उसकी पहचान मोदी तक हो सकती है योगी के जरिए, योगी तक गोरखनाथ मन्दिर के सचिव के चलते और सचिव तो उसके मामा या फूफा के लड़के हो सकते हैं। बिरादरी अलग हो तो किसी रिश्तेदार के दोस्त तो हो ही सकते हैं।
  • झूठ बोलने वालों का कॉन्फिडेंस गजब का होता है। वे कहीं भी झिझकते नहीं हैं। मसलन, आप भले ही उनकी टोपी से लेकर पायजामे तक का नाप जानते हों लेकिन वे पूरे आत्मविश्वास से आपके सामने शेखी बघारेंगे। आपकी औकात उनकी चार गुनी क्यों न हो, आप सुनेंगे और वे बोलेंगे। वैसे भी सच यही है कि जिसके पास जो होता है उसे बताने की जरूरत नहीं, बल्कि छुपाना पड़ता है, जिसके पास जो होता नहीं वह उसे लेकर कुंठित रहता है और कोई बात न होने पर भी अपनी ही प्रशंसा आप कर अपनी कुंठा व्यक्त करता रहता है।
  • झूठों के मामले में द कश्मीर फाइल्स वाला डायलॉग भी सच है कि सच जितनी देर में अपने जूते पहनता है, झूठ उतने में पूरी दुनिया का चक्कर लगा चुका होता है। हालांकि इसके बाद का सच यह भी है कि झूठ तभी तक उड़ता है जब तक सच का जूता उसके मुंह पर मार न दीजिए। वैसे सामान्य तौर पर सच का जूता भी झूठ के मुंह नहीं लगना चाहता।
  • झूठ बोलने वाले बहाने बनाने में उस्ताद होते हैं। उनके पास उनकी हर गलती के पीछे एक तैयार कारण होता है जो आपके पूछे बिना भी वे बताएंगे, क्योंकि एक कहावत है चोर की दाढ़ी में तिनका। कमाल की बात यह होगी कि आपको पता होगा कि झूठा झूठ बोल रहा है, बहाने बना रहा है। यही नहीं, वह झूठ बोल रहा है, यह बात आप जानते हैं, इसे वो भी जानता रहेगा लेकिन तब भी वह झूठ बोलेगा और आप रिश्ते-नाते-दोस्ती-लिहाज में पड़कर उसकी निहायत ही झूठी बात पर मुस्कुराकर कहेंगे … ‘सही बोल रहे हैं’। और वह उत्साह में और झूठ बोलेगा।
  • जो झूठे होते हैं, वे अव्वल दर्जे के लालची होते हैं, ठग भी होते हैं, विश्वासघाती भी हो सकते हैं और थेथर या घाघ तो होते ही होते हैं।

दुनिया रंग-बिरंगी है। यहां भांति-भांति के लोग हैं। लोगों में कुछ अच्छे हैं तो कुछ बुरे भी कुछ तो अच्छों के भेष में इतने बुरे हैं कि सच्चाई तब सामने आती है जब आप लूट चुके होते हैं, तबाह हो चुके होते हैं। तो इस पोस्ट को गंभीरता लीजिए, लोगों को परखिए फिर रिश्तों के लिए आगे हाथ बढ़ाइए।

 झूठों पर बात करते हुए प्रिय शायर गुलज़ार साहब याद आते हैं…

झूठ कहूँ तो लफ्जों का दम घुटता है,

सच कहूँ तो लोग खफा हो जाते हैं…!

News Stump
News Stumphttps://www.newsstump.com
With the system... Against the system