मोदी इंपैक्ट से तिलमिलाए विपक्षी, ‘पीएम मैटेरियल’ नीतीश कुमार फिर पड़े भ्रमजाल में!

पटनाः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रभाव से तिलमिलाई विपक्षी पार्टियां जिस तरह से एकजुट होने की कोशिश कर रही हैं, उससे नीतीश कुमार में एक बार फिर पीएम मैटेरियल होने का भ्रम पैदा हो गया है। सोमवार को जातीय जनगणना के मुद्दे पर 10 विपक्षी पार्टियों का नेतृत्व करते हुए सीएम नीतीश का प्रधानमंत्री मोदी से मिलना उसी बात का इंडिकेशन लग रहा है। ऐसा लग रहा है, जैसे नीतीश कुमार BJP को यह संदेश देना चाहते हैं कि उनके लिए CM की कुर्सी ही अंतिम पड़ाव नहीं, बल्कि राजनीति के और भी कई मुकाम शेष हैं।

फिर से भ्रमजाल में कैसे पड़े नीतीश

दरअसल, नीतीश कुमार इस भ्रमजाल यूं ही नहीं फंसे, बल्कि उन्हें ये अहसास कराया जा रहा है कि वो इस क़ाबिल हैं। जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा के हालिया बयानों पर गौर करें तो इस बात को बल भी मिलता है। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि लोगों ने आज नरेंद्र मोदी को पीएम बनाया है और अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन उनके अतिरिक्त और भी कई लोग हैं, जो प्रधानमंत्री बनने की काबलियत रखते हैं। उसमें नीतीश कुमार का भी नाम है।

कुशवाहा ने कहा कि स्वभाविक रूप से नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल कहा ही जाना चाहिए। ये कौन कहता है कि नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल नहीं हैं। हां जब तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं तब तक उनके पद को चुनौती देने की बात नहीं कह रहा हूं, हम लोग गठबंधन में उनके साथ हैं। लेकिन नीतीश कुमार में प्रधानमंत्री पद की सभी काबलियत है।

कुशवाहा के बाद मांझी ने भी कहा नीतीश को पीएम मैटेरियल

उपेन्द्र कुशवाहा अकेले नहीं है जिन्होंने नीतीश कुमार में ऐसी संभावना तलाशी है। बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने भी पिछले दिनों कहा था कि नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल हैं। हालांकि, इन बयानों के बाद JDU कार्यकारिणी की बैठक में दिल्ली पहुंचे नीतीश कुमार ने पूरे मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी और कहा था,“ऐसा कुछ भी नहीं है। मुझे पीएम मैटेरियल क्यों होना चाहिए? मुझे इन सब चीजों में कोई दिलचस्पी नहीं है।“

ओपी चौटाला से मिले नीतीश कुमार

अब बात करते हैं तीसरे मोर्चे की, जिसकी सुगबुगाहट इन दिनों फिर से जोरों पर है। कहा जा रहा है कि यदि नीतीश तीसरे मोर्चे में आते हैं, तो पीएम के रुप में उन्हे स्वीकार किया जाएगा। बात करेंगे इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला और नीतीश कुमार की गुरूग्राम में हुई मुलाकात की, जिसे दोनों नेताओं ने शिष्टाचार मुलाकात करार दिया था। लेकिन राजनीति में कोई मुलाकात केवल शिष्टाचार के वशीभूत नहीं होती। हर मुलाकात का कोई न कोई मतलब होता है।

हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके ओमप्रकाश चौटाला और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उस मुलाकात को भी इसी राजनीतिक मंतव्य की एक कड़ी के रूप में देखा जा रहा है। राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी माने जाने वाले दोनों नेता बंद कमरे में घंटों साथ रहे। लंच भी हुआ और राजनीति पर चर्चा भी। चौटाला की रणनीति है कि उनके द्वारा बुने जा रहे तीसरे मोर्चे के जाल का नेतृत्व नीतीश कुमार करें, लेकिन नीतीश ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

तेजस्वी को लेकर नीतीश का रुख नर्म

आपको बता दें, विपक्षियों की नज़र में नीतीश कोई पहली बार पीएम मैटेरिल नहीं बने हैं। इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी वे पीएम मैटेरियल थे, जिसमें उलझकर उन्होंने NDA का साथ छोड़ दिया था और महागठबंधन का हिस्सा बन RJD के डूबती नाव को सहारा दिया था। लेकिन मोदी लहर में खुद पीएम बनने से चूक गए। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में वह राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़े और इस महागठबंधन को बड़ी जीत हासिल हुई। खुद सीएम और तेजस्वी को डिप्टी सीएम बनाया। यहीं से लालू कुनबें की धार फिर से तेज हुई। राजनीतिक पंडितों के चश्में से देखें, तो तेजस्वी पर नीतीश के रुख एक बार फिर से नर्म हो चले हैं, जो इस बात का इशारा है कि नीतीश यदि पीएम बनते हैं, तो बिहार की बागडोर किसी और के हाथ ना जाकर तेजस्वी के हाथ में जाएगी।

अभय पाण्डेय
अभय पाण्डेय
आप एक युवा पत्रकार हैं। देश के कई प्रतिष्ठित समाचार चैनलों, अखबारों और पत्रिकाओं को बतौर संवाददाता अपनी सेवाएं दे चुके अभय ने वर्ष 2004 में PTN News के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। इनकी कई ख़बरों ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी हैं।