अब कोई चमत्कार ही बचाएगा बिहार को कोरोना के कोप से

पटना: कोरोना ने बिहार को गढ़ बना लिया है। अब तक 30 हजार से अधिक लोग संक्रमित मिल चुके हैं। नेताओं में भाजपा के MLC सुनील कुमार सिंह और राजद के राज किशोर यादव की मौत हो चुकी है। प्रशासनिक अधिकारियों की बात करें तो यहां गृह विभाग के अंडर सेक्रेटरी उमेश रजक की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हो गई है, जबकि कई अधिकारी अब भी कोरोना संक्रमण से पिड़ित हैं। केंद्रीय टीम से लेकर WHO तक बिहार की स्थिति पर चिंता जता चुका है। लेकिन स्वास्थ्य महकमा हो या खुद सीएम, जमीनी सतर पर काम के बजाए निर्देश-निर्देश खेल रहे हैं। गंभीरता है तो सिर्फ चुनाव कराकर सत्ता पा लेने की।

शुरुआती दौर जैसी बात नहीं रही

लॉकडाउन के दौरान ही मजदूरों की बिहार में वापसी से पहले तक कोरोना को लेकर चिंता की कोई लहर नहीं थी, लेकिन बाद में सब गड़बड़ हो गया जिसे राज्य सरकार संभाल नहीं सकी। यहां पहले से ही हेल्थ विभाग की हालत नाजुक थी। प्रवासियों के लिए क्वारंटीन सेंटर तक की भी स्थिति ले-देकर आज जैसी संगीन नहीं थी। लेकिन अब तो रोगी की जांच और इलाज कर बचा लेने की कहीं किसी भी स्तर पर कोई चिंता और तैयारी नहीं दिख रही है।

महामारी का इलाज करने वाले डॉक्टेरों सहित चिकित्साकर्मी भी इससे प्रभावित हैं। पटना एम्स में तीन डॉक्टरों की मौत हो चुकी है। फिलहाल 30 कोरोना संक्रमित डॉक्टचर भर्ती हैं, जिनमें कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। एक वरीय महिला चिकित्सक की डॉक्टर पुत्री को बचाने के लिए फेसबुक पर प्लाज्मा डोनेट करने की अपील जारी की गई है। पूरे बिहार में करीब 50 डॉक्टरों को कोरोना संक्रमित बताया जा रहा है।

सरकार केवल फेस चमकाने की जुगत में

हालात बता रहे हैं कि अब जो ताबड़तोड़ निर्देश आ रहे हैं, वह चेहरा चमकाने भर ही है। लॉकडाउन के दौरान कोई तैयारी नहीं की गई। सरकार के स्तर पर अव्यवस्था इस कदर भारी है

कि एसआईटी के इंस्पेक्टर के संक्रमित होने के बाद हेल्थ मिनिस्टर के यहां पैरवी की गई तब ऑक्सीजन लग सका। कई रोगी तो कोविड अस्पताल एनएमसीएच (NMCH) में प्रवेश तक नहीं पा पाते। एम्स तो वीआईपी रोगियों से पटा पड़ा है। जिलों में तो भगवान ही मालिक है। केंद्र सरकार ने टीम भेजी तो एनएमसीएच (NMCH) के प्रभारी अधीक्षक ने सुविधाओं की पोल खोली। इस पर उन्हें पदमुक्त कर दिया गया। इससे पहले स्वास्थ्य सचिव को हटाया जा चुका है।

घोषणायें ठीक लेकिन पालन होगा कि नहीं

सरकार ने इस बारे में कई घोषणायें की हैं। सभी अनुमंडलीय अस्पतालों में टेस्ट होगा, प्राइवेट अस्पतालों में भी इलाज होगा और रेट डीएम तय करेंगे, लेकिन आम संक्रमित लोगों को कितना लाभ मिलेगा, कहना कठिन है। दो दिन पहले ही आइसोलेशन वार्ड में पेयजल की कीमत 50 रुपये प्रति बोतल तय कर दी गई जबकि बाजार में यह 20 रुपये में मिल रहा है। डॉक्टरों की बात तो छोड़िए, सहायक चिकित्साकर्मियों तक का घोर अभाव है। पद सृजित हैं लेकिन बहाली सालों से टल रही है। ऐसे में कोइ्र चमत्कार ही कोरोना से बिहार को बचा सकता है।

अजय वर्मा
अजय वर्मा
समाचार संपादक