Bihar Election 2020: मुन्नी बबन सिंह की एंट्री से दिलचस्प हुआ रीगा के रण का सियासी घमासान

सीतामढ़ीः सियासी बिसात का कौन सा मोहरा बड़ी बाजी मार ले कहना मुश्किल है। लेकिन जनता के मिजाज को टटोल लें, तो हद तक यह बात समझ में आ जाती है कि कौन कितने पानी में है। हम बात रीगा विधानसभा क्षेत्र की कर रहे हैं। यहां से कांग्रेस के अमित कुमार टुन्ना और भाजपा के मोतीलाल प्रसाद के अलावें BSP की मुन्नी बबन सिंह भी ताल ठोक रही हैं। मुन्नी बबन सिंह (Munni Baban Singh) पहली बार चुनाव मैदान में हैं, जबकि अमित कुमार टुन्ना मौजूदा विधायक हैं जिन्होंने पिछले चुनाव में भाजपा के मोतीलाल प्रसाद को शिकस्त दी थी।

रीगा विधानसभा की जनता को नए चेहरे की तलाश

BSP उम्मीदवार मुन्नी बबन सिंह की ऐंट्री के बाद रीगा के सियासी रण का घमासान पीछली बार से ज्यादा दिलचस्प हो गया है। उनके प्रति लोगों का रुझान इस बात की तसदीक़ कर रहा है कि इस बार कांग्रेस, भाजपा और दूसरे दलों के लिए यह लड़ाई पहले से ज्यादा कठिन होने वाली है। बदलाव चाहने वाले हर जाति, समुदाय, धर्म और स्तर के लोग इस बार नए चेहरे की तलाश में हैं, जो कहीं ना कहीं मुन्नी बबन सिंह पर जाकर खत्म हो रही है।

कौन हैं BSP उम्मीदवार मुन्नी बबन सिंह

सीतामढ़ी के रामसेवक सिंह महिला कॉलेज से ग्रैजुएट मुन्नी बबन सिंह वैसे तो विशुद्ध घरेलू महिला हैं, लेकिन सामाजिक सरोकार से भी उतना ही जुड़ाव रखती हैं। कई स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ एसोशिएट रहकर ये क्षेत्र में पहले से ही सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करती रही हैं। बाल शिक्षा को बढ़ावा देना हो या फिर महिला एवं बाल अधिकार के क्षेत्र में सकारात्मक पहल करना वे अपनी क्षमतानुसार सार्थक सहभागिता निभाती रही हैं।

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कांग्रेस विधायक अमित कुमार टुन्ना से हो गया है मोह भंग

बात मौजूदा विधायक अमित कुमार टुन्ना की करें तो इस कार्यकाल में उनकी ठसक के आगे उन्हें विधायक की कुर्सी पर बैठाने वाली जनता ही घुटनों पर नज़र आ रही है। लोगों की मानें तो टुन्ना विधायक बनने के बाद बिल्कुल बदल गए हैं वो सिर्फ और सिर्फ समाज के बड़े लोगों के लिए उपलब्ध हैं, आम आदमी सीधे उनसे अपनी फ़रियाद तक नहीं सुना सकता। कुछ लोगों का सीधा आरोप है कि उनके कार्यकाल में सिर्फ ठेकेदारों और पुंजीपतियों के वारेन्यारे हुए हैं, आम आदमी हाशिए पर है।

पूर्व विधायक और BJP उम्मीदवार मोतीलाल प्रसाद के खिलाफ क्षेत्र में गोलबंदी

वहीं पूर्व विधायक और NDA उम्मीदवार मोतीलाल प्रसाद के बारे में भी रुझान कुछ ठीक नहीं मिल रहा। अभी कुछ दिन पूर्व ही सूप्पी प्रखंड के ससौला पंचायत में लोगों ने उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और मोतीलाल प्रसाद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और दोनों का पुतला फूंका। लोग उनकी उम्मीदवारी से ही नाराज हैं। आरोप है कि मोतीलाल ऐसे उम्मीदवार हैं जो पूर्व में भी विधायक रहे हैं, लेकिन क्षेत्र के विकास के लिए कोई काम नहीं किया।

बात जनता के मिजाज की करें तो वह इस बार पूरी तरह से बदलाव के मूड में है। रीगा विधानसभा की जनता चाहती है कि वह इस बार जात-पात और पार्टियों से उपर किसी ऐसे उम्मीदवार का चयन करे जो उनके बीच का हो और उनके लिए कुछ करे। यानी यह बात साफ है कि इस बार रीगा में कांग्रेस और भाजपा उम्मीदवारों की दाल नहीं गलने वाली, जिसका सीधा फायदा उपेन्द्र कुशवाहा, मायावती और ओवैसी के गठबंधन वाले ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्यूलर फ्रंट की उम्मीदवार मुन्नी बबन सिंह को मिलता दिख रहा है।

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