उत्तर प्रदेश में लालू की धमक से डर गई BJP? जेल भेजने की उठने लगी मांग

अभय पाण्डेय
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नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश का चुनाव नजदीक है। चुनावी मैदान में खम ठोकने के लिए सभी दल कमर कस चुके हैं। इस बीच यूपी के रण में लालू की आहट ने ही BJP में खलबली पैदा कर दी है। रविवार को दिल्ली में RJD चीफ लालू प्रसाद यादव की मुलायम सिंह और अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद BJP ने लालू को फिर से जेल भेजने की मांग कर दी है।

मुलायम से लालू की मुलाकात के बाद भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘चारा घोटाला के चार मामलों में सजायाफ्ता लालू प्रसाद को गंभीर बीमारियों की वजह से स्वास्थ्य के आधार पर जमानत मिली है, लेकिन वे राजनीतिक रूप से सक्रिय हो रहे हैं। सीबीआई को इस पर संज्ञान लेना चाहिए। चारा घोटाला के पांचवें  मामले में कोर्ट का फैसला आने वाला है।‘

यूपी में नहीं लालू का जनाधार- मोदी

इससे पहले यूपी में लालू के जनाधार पर सवाल उठाते हुए मोदी ने इस मुलाकात को मीडिया स्टंट बताया और कहा, ‘लालू प्रसाद का यूपी में न कोई जनाधार है, न कभी वहां उनकी पार्टी के दो-चार उम्मीदवार विधायक बन पाये, लेकिन वे मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव से मिलकर केवल मीडिया में बने रहने की कोशिश कर रहे हैं।’

कांग्रेस और बसपा की सक्रियता से बढ़ी अखिलेश की सियासी चिंता

बता दें 2022 में यूपी में विधानसभा चुनाव होना हैं। योगी आदित्यनाथ को सियासी मात देने के लिए सपा से लेकर बसपा और कांग्रेस सभी रणभूमि में उतर गए हैं। तीनों ही दल की नजर एक दूसरे के कोर वोटबैंक पर है। कांग्रेस और बसपा की सक्रियता से सपा प्रमुख अखिलेश यादव की सियासी चिंता बढ़ गई है, क्योंकि इन दिनों वो दोनों ही दलों के निशाने पर हैं।

तो अखिलेश के लिए आसान हो सकता है यूपी का सियासी रण

अखिलेश अगर कांग्रेस और बसपा से निपट लेते हैं तो उनके लिए यूपी का रण आसान हो सकता है। इसके लिए उन्हें यादव और मुस्लीम वोटबैंक पर मजबूत पकड़ रखनी होगी और एक-एक वोट को हर हाल में अपने साथ करना होगा, क्योंकि यूपी की राजनीति में यादव और मुस्लिम सामाज की बहुत अच्छी पकड़ है। दोनो समाज के वोटर अगर सपा के पक्ष में चले जाते हैं तो अखिलेश के लिए जीत की राह आसान हो जाएगी।

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2011 की जनगणना के मुताबिक यूपी में जहां यादवों की संख्या कुल जनसंख्या का 9-10 प्रतिशत है जो पिछडे़ वर्ग में सबसे बड़ी है, वहीं मुस्लीम समुदाय की आबादी भी लगभग कुल जनसंख्या का 20.26 प्रतिशत है। अगर इन दोनों की संख्या को एक साथ कर दिया जाय तो पुरे प्रदेश की कुल जनसंख्या का लगभग 30 प्रतिशत हो जाता है, जो किसी भी दल की जीत सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

लालू से मिलेगा अखिलेश को ये फायदा

राजनीतिक विश्लेषकों की माने लालू का साथ पाकर अखिलेश की सियासी ताकत में इजाफा हो सकता है, क्योंकि आज भी यादवों और मुस्लिम समाज पर लालू की अच्छी पकड़ है। बिहार में लालू ने जिस तरह से मुसलमान-यादव समीकरण (MY समीकरण) के बूते अपना एक खास वोटबैंक तैयार किया और देश की राजनीति में अहम हो गए, वैसे ही अब यूपी में भी करना चाहते हैं, जिसका फायदा अखिलेश को तो मिलेगा ही साथ ही उनके कार्यकर्ताओं में भी जोश आ जाएगा।

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आप एक युवा पत्रकार हैं। देश के कई प्रतिष्ठित समाचार चैनलों, अखबारों और पत्रिकाओं को बतौर संवाददाता अपनी सेवाएं दे चुके अभय ने वर्ष 2004 में PTN News के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। इनकी कई ख़बरों ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी हैं।
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