देश के सामने सभी चुनौतियों का सामना एक अकेला नेता नहीं कर सकता- मोहन भागवत

नगपुरः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि एक नेता इस देश के सामने सभी चुनौतियों का सामना नहीं कर सकता है और एक संगठन या पार्टी बदलाव नहीं ला सकती है। उनका यह विचार संघ की विचारधारा के आधार पर था। मंगगलवार को नागपुर में मराठी साहित्य की संस्था विदर्भ साहित्य संघ के शताब्दी कार्यक्रम में बोलते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि देश को आजादी तभी मिली जब आम लोग सड़क पर उतरे। उन्हों ने कहा कि संघ की विचारधारा के आधार पर एक बात यह है कि एक भी नेता इस देश के सामने सभी चुनौतियों का सामना नहीं कर सकता है चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो।

उन्होंने कहा, “एक संगठन, एक पार्टी, एक नेता बदलाव नहीं ला सकते। वे इसे लाने में मदद करते हैं। बदलाव तब होता है जब आम आदमी इसके लिए खड़ा होता है। भागवत ने कह,” भारत का स्वतंत्रता संग्राम 1857 में बहुत पहले शुरू हुआ था, लेकिन यह तभी सफल हुआ जब व्यापक जागरूकता आई और आम आदमी सड़क पर उतरे”। उन्होंने कहा कि क्रांतिकारियों ने भी स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया और सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी की, लेकिन मुख्य बात यह थी कि लोगों ने साहस हासिल किया।

RSS प्रमुख ने कहा, “हर कोई जेल नहीं गया, कुछ लोग दूर रहे, लेकिन एक व्यापक भावना थी कि देश को स्वतंत्र होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि RSS चाहता है कि हिंदू समाज अपनी जिम्मेदारी निभाने में सक्षम हो जाए।

भागवत ने कहा, “सब कुछ समाज में बदलाव से होता है और RSS समाज को संगठित कर रहा है।” उन्होंने कहा कि लोगों को देश की दशा सुधारने का ”अनुबंध” दूसरों को नहीं देना चाहिए बल्कि खुद जिम्मेदारी उठानी चाहिए। ये ठेका संघ को भी मत दो। अपना काम खुद करो…लोगों को यह सीखना होगा।”

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