छोटे दलों को नकारा बिहार के वोटरों ने, पप्पू यादव तक फेल

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि बिहार ने इस बार छोटे दलों को भाव नहीं दिया है। एक ओर 15 साल का काम था तो दूसरी ओर जंगल राज की वापसी का डर। इस कारण संभवत: छोटे दल बेहाल हो गये।

नीतीश बच गये जेल जाने से

अब तकजो हाल है उसमें कई तो कुछ चमक गए, कई मुरझा गए हैं। सबसे अधिक दावे करने वाले लोजपा के चिराग पासवान पूरी तरफ फ्लॉप हो गए हैं तो आखिरी समय में पाला बदलने वाले सन ऑफ मल्लाह काफी फायदे में दिख रहे हैं। चिराग ने कहा था कि चाबी उनके पास रहेगी और वे नीतीश को जेल भेजेंगे। चिराग पासवान ने 134 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन निराशा मिल रही है।

मुकेश सहनी की बल्ले—बल्ले

मुकेश सहनी ने वीआईपी पार्टी बनाकर पहले महागठबंधन से तालमेल की कोशिश की थी लेकिन राजद से निराश होकर राजग का हाथ थामा। भाजपा ने अपने कोटे से उनको 11 सीटें दीं, जिसमें से सफलता की उम्मीद बन रही है। माना जा रहा है कि मुकेश साहनी काफी फायदे में रहे और बिना किसी शोर-शराबे, आरोप-प्रत्यारोप के उन्होंने चिराग से काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। उधर पप्पू यादव और उपेंद्र कुशवाहा के साथ बने गठबंधन का सितारा भी डूब रहा है। कुशवाहा ने तो हार मान भी ली है। पुष्पम की प्लूरल्स का ऐसा ही हश्र हुआ।

सीमांचल में ओवैसी चमके

ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) नेता असदुद्दीन ओवैसी ने सीमांचल में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। मुस्लिम बहुल सीटों पर उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है और उनकी पार्टी 5 सीटों पर कब्जा करती दिख रही है। एआईएमआईएम के प्रत्याशी अमौर, बैसी, कोचाधामन, बहादुरगंज और जोकीहाट सीट पर बढ़त बनाए हुए हैं।

अजय वर्मा
अजय वर्मा
समाचार संपादक