राम मंदिर भूमि पूजन: रावण को पूजने वालों ने की राम की पूजा, जश्न में डूबा लंकापति का ननिहाल

गौतम बुद्ध नगरः हमेशा से अपनी धरती के बेटे लंकापति रावण की पूजा करने वाले बिसरख गांव के लोगों ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर’ निर्माण के लिए ना सिर्फ अपने यहां की मिट्टी भेजी है बल्कि पूरे देश के साथ मिलकर भगवान श्रीराम के नाम का जप किया और भक्ति में सराबोर होकर जमकर जश्न भी मनाया।

राम मंदिर भूमि पूजन की खुशि में जश्न मनाने मनाने वाला विसरख वही गांव है जहां के लोग रावण को बेटा मानते हैं और कभी रामलीला का मंचन नहीं करते। यहां दशहरे में कभी रावण दहन नहीं हुआ। दरअसल ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव के लोगों का मानना है कि ऋषि विश्वश्रवा और राक्षस कन्या कैकसी के पुत्र रावण का जन्म उनके गांव में हुआ था। लेकिन इस बार गांव में रावण की पूजा की पुरानी परंपरा के साथ ही श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की खुशियां भी बनायी जा रही हैं।

हिंदू रक्षा सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अशोकानंद महाराज ने बताया कि रावण के मंदिर से मिट्टी से भरा कलश भगवान राम की नगरी अयोध्या पहुंच गया है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को पूरे गांव में लेकर जबरदस्त उत्साह है। सभी के मन में आज राम बसे हैं। गांव के लोगों ने अपने-अपने घरों में दीप जलाकर दीवाली भी मनाई।

बिसरख गांव के पूर्व प्रधान अजय पाल ने बताया, ‘‘हमारे गांव को रावण की जन्मस्थली माना जाता है। मान्यता है कि ऋषि विश्वश्रवा ने गांव में अष्ट भुजाधारी शिवलिंग की स्थापना कर, घोर तपस्या की थी, जिसके बाद रावण का जन्म हुआ।’’

पूर्व प्रधान का कहना है, ‘‘माना जाता है कि गांव की मंदिर में स्थापित शिवलिंग वही है।’’ उन्होंने बताया कि गांव का नाम पहले विश्ववेश्वरा था। बाद में अपभ्रंश होकर बिसरख हो गया। इस गांव का जिक्र पुराणों में भी है। प्रधान अजय पाल ने बताया कि गांव में शिव मंदिर है और पास ही रावण का भी मंदिर है। गांव के लोग प्रकांड विद्वान रावण की पूजा करते हैं, उनके अनुसार रावण अपनी संस्कृति को जी रहा था और वह गलत नहीं था।

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