मजदूरों की वापसी को लेकर केंद्र व बिहार सरकार का अमानवीय चेहरा बेनकाब- कादरी

पटनाः बिहारी मजदूरों की वापसी को लेकर प्रदेश की सियासत गर्म हो गई है। वापसी पर जहां केंद्र और प्रदेश सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है, वहीं विपक्षी दल वापसी प्रक्रिया में नुक्स निकालकर सरकार को आड़े होथो ले रहे हैं। बिहार प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी का कहना है कि वापसी के नाम पर दोनो सरकारें मजदूरों की भावनाओं से खिलवाड़ कर रही हैं। मजदूरों की वापसी पर की गई पहल के बाद दोनो सरकारों का अमानवीय चेहरा बेनकाब हो गया है।

कादरी का कहना है कि 12 लाख से अधिक बिहारी मजदूरों को यूँ अधर में लटकाकर रखना मानवता को शर्मसार करता है। केंद्र व बिहार सरकार दोनो ही अमानवीय तरीके से प्रवासी मजदूरों को बरगला रही है। उनकी भावनाओं से खेल रही है। इनकी मजदूरों की किसी तरह से मदद करने की इनकी मंशा नहीं है। ना ये उन्हें वापस बुलाने के प्रति गम्भीर हैं और ना ही उनकी किसी तरह की आर्थिक मदद करना चाहते हैं।

बकौल कादरी कादरी मजदूरों की वापसी का रास्ता निकालने में सरकारें विफल दिख रही है। वह ये तय करने में असमर्थ है कि करना क्या है और रास्ता क्या है ?  केंद्र का 85% व राज्य का 15% खर्च वहन करना भी हवा हवाई व खोखला ही साबित होता दिखता है।

कादरी की माने तो सरकार द्वारा वापसी की जो प्रक्रिया अपनाई गई है वो इतनी जटिल है कि कोई मजदुर वापस आ ही नहीं सकता। उनके आने के बाद उनके क्वारंटाईंन करने व इलाज की कोई व्यवस्था ही नहीं है। इसलिये वो बुलाना भी नहीं चाहते और बड़ाई लेने को आतुर भी दिख रहे है। उनका कहना है कि मजदूरों की वापसी को लेकर भारतीय रेलवे की खस्ताहाल स्थिति भी उजागर हो गयी।

कौकब कादरी बिहार सरकार से मांग की है कि वह मजदूरों की वापसी प्रक्रिया सरल व सुगम बनाए, साथ ही सरकारी आदेशों व मानक प्रक्रियाओं में स्पष्टता लाए ताकि भ्रम व द्वंद ना फैले। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया है कि वह मानक बना कर प्रवासी मजदूरों को लाने की व्यवस्था करे। पहले महिलाओं व बच्चों को, फिर बुजुर्गों को और तब युवाओं को लाने की सोंचे।

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