लॉकडाउन में बच्चों के साथ पनीर मखनी और पिज्जा बनाना सीख रहे हैं गूगल के CEO सुंदर पिचाई

मुंबई: गूगल फॉर इंडिया इवेंट के छठे संस्करण में सोमवार को अपनी स्पीच के दौरान गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में यूट्यूब की भूमिका के बारे में खुल कर बात की। पिचाई ने बताया कि उन्होंने लॉकडाउन के दौरान कई तरह के व्यंजन बनाने से लेकर भूली बिसरी यादें बांटने तक के लिए यूट्यूब का इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों से वे अपने बच्चों के साथ पनीर मखनी या पिज्जा जैसे व्यंजन तैयार करने के लिए यूट्यूब वीडियो देख रहे हैं।

पिचाई सोमवार को 48 साल के हो गए। उन्होंने एक कहानी भी सुनाई। उन्होंने कहा कि हर शाम हम दूरदर्शन में “सारे जहां से अच्छा” सुनकर टीवी की ओर खिंचे चले आते थे। वह अपने सहयोगियों को समझाने की कोशिश कर रहे थे कि ऐसी यादें उनके लिए खास क्यों है।

टेक्नोलॉजी का विकास व्यक्तिगत मुद्दा

पिचाई ने कहा कि टेक्नोलॉजी का विकास उनके लिए एक व्यक्तिगत मुद्दा रहा है। क्योंकि इसने हमेशा अपने बाहर की दुनिया को एक विंडो प्रदान की है। महामारी के दौरान लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों का हवाला देते हुए अल्फाबेट के सीईओ ने कहा कि बच्चों के टच में बने रहने के लिए माता-पिता का ऑनलाइन होने की टेक नॉलेज एक लाइफलाइन की तरह है। इसने लॉकडाउन में बहुत बड़ा रोल अदा किया। इसी टेक्नोलॉजी की बदौलत आज छोटे व्यवसाई अपना बिजनेस बचाए रखने की कोशिश में हैं।

उन्होंने प्रशंसा की कि कैसे भारत देश में आईटी ने काफी तेजी से सब कुछ बदल दिया है। वो कहते हैं कि जब मैं युवा था, हर टेक्नोलॉजी ने मुझे जानने के लिए और बढ़ने का नया अवसर दिया। लेकिन, मुझे हमेशा इसके किसी और जगह से आने का इंतजार करना पड़ता था। उन्होंने कहा, आज भारत में लोगों को इसके आने का इंतजार नहीं करना पड़ता।
गूगल इंडिया के कंट्री हेड एंड वीपी संजय गुप्ता ने कहा कि भारत हमेशा से गूगल के लिए रणनीतिक और महत्वपूर्ण फोकस रहा है।

भारत के विश्वास की तकनीकी छलांग

कोरोनावायरस महामारी ने डिजिटल टूल्स के विकल्प को सुपरचार्ज किया है। डिजिटल भुगतान के जरिए भारत में लोगों तक लॉकडाउन के दौरान भी अच्छी और ज्यादा सेवाएं पहुंची। पिचाई ने बताया कि उनकी दादी सब्जियों की कीमत पर मोलभाव से चूक जाती हैं और एक तरफ भारत है, जहां इन सारी चीजों के डिजिटाइजेशन को लेकर काम चल रहा है। इससे गूगल को वैश्विक उत्पाद बनाने में भी मदद मिल रही है।

2004 में हैदराबाद और बंगलुरू में खुला गूगल का ऑफिस

गूगल 2004 में भारत की डिजिटाइजेशन यात्रा में शामिल हो गई, जब हैदराबाद और बंगलुरु में इसका पहला दफ्तर खुला था। सोमवार को पिचाई ने ‘गूगल फॉर इंडिया डिजिटाइजेशन फंड’ के जरिए अगले पांच-सात साल में भारत में 75,000 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा की। उन्होंने जोर देकर कहा कि ताजा कदम भारत के भविष्य और उसकी डिजिटल अर्थव्यवस्था में कंपनी के विश्वास की कहानी है।