नई दिल्लीः रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्तों को विश्वास की डोर में बांधने वाला एक ऐसा त्योहार है जिसका इंतेजार भाई और बहन दोनों के पूरे एक साल तक रहता है। इस दिन बहनें अपनो भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं, वहीं भाई अपनी बहनों को ताउम्र रक्षा का वचन देते हैं। इसके साथ ही यह परंपरा भी है कि राखि बांधने के एवज में भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।
रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण पूर्णिमा के श्रवण नक्षत्र में मनाया जाताव है। इस साल श्रवण नक्षत्र 3 अगस्त को प्रातः 7 बजकर 18 मिनट से आरंभ होगा। इस दौरान पूर्णिमा तिथि का संयोग रात 9 बजकर 27 मिनट ही रहेगा। इसके बाद भाद्रपद कृष्ण पक्ष प्रतिपदा आरंभ हो जाएगी। यह एक शून्य तिथि मानी जाती है। इसमें राखी बांधना भी शुभ नहीं माना जाता है। राखि शुभ मुहूर्त में ही बांधी जाए तो इंसान का भाज्ञोदय होता है। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में राखी बांधने से पुण्य प्राप्त होता है और शुभ फलदायी होता है।
पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन के दिन पूर्णिमा की तिथि और सोमवार एक साथ पड़ने से सौम्या तिथि का शुभ योग बन रहा है। माना जाता है कि सौम्या तिथि में किए गए कार्यों का फल सर्वथा शुभ होते हैं। पंचांग के अनुसार इस दिन प्रीति और इसके बाद आयुष्मान योग बन रहा है। बात प्रीति योग की करें तो यह 3 अगस्त को प्रात: 6 बजकर 40 मिनट तक रहेगा इसके बाद आयुष्मान योग प्रारंभ होगा। इस दिन चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे और सूर्य का नक्षत्र अश्लेषा होगा।
पंचाग के अनुसार इस साल राखी का शुभ मुहूर्त प्रातः 9 बजकर 28 मिनट से रात्रि के 9 बजकर 27 मिनट तक है। ध्यान रखें कि सुबह 9 बजकर 27 मिनट तक भद्राकाल होने से बहन भाई को राखी ना बांधें। इस दिन सुबह साढ़े 7 बजे से 9 बजे तक राहुकाल रहेगा। इन दोनों के होने से रक्षा बंधन सुबह 9 बजकर 28 मिनट के बाद ही मनाना शुभ है।