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अब क्या किया जायेगा जगन्नाथ मंदिर के रथयात्रा के रथों का!

पुरी: ओडिशा में वार्षिक रथयात्रा के बाद तीन विशाल रथों को नष्ट करने की प्रथा के विपरीत श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) इस साल उन्हें संरक्षित करने पर विचार कर रहा है।

इन रथों का इस्तेमाल भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ को श्री मंदिर से श्री गुंडिचा मंदिर तक ले जाने की नौ दिन की वार्षिक यात्रा के लिए किया जाता है।

एसजेटीए के मुख्य प्रशासक कृष्ण कुमार ने बताया कि महामारी के दौरान रिकॉर्ड वक्त में लकड़ी के तीन रथ बनाने वाले बढ़ई और सेवकों के बीच इस संबंध में चर्चा की गई।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने एक तकनीकी समिति गठित की है जो प्रशासन का मार्गदर्शन करेगी कि रथों को कैसे संरक्षित रखा जाए और लकड़ी के ढांचे को कीटों से कैसे सुरक्षित किया जाए।’’

रथ यात्रा उत्सव के बाद हर साल रथों को नष्ट कर दिया जाता है। इस लकड़ी का इस्तेमाल मंदिर की रसोई में किया जाता है। लेकिन इस साल एसजेटीए जगन्नाथ बल्लव में बनाए जा रहे संग्रहालय में तीनों रथों को संरक्षित रखने पर विचार कर रहा है।

एसजेटीए ने कहा कि रथों को जगन्नाथ बल्लव परिसर तक ले जाने के दिशा निर्देश पहले ही जारी कर दिए गए हैं।