शराबबंदी को लेकर दरभंगा पुलिस की सराहनीय पहल, चलाया जन जागरूकता अभियान

दरभंगाः शराबबंदी की असफता से लगातार पुलिस पर उठ रही उंगली के बीच हायाघाट थाना पुलिस ने एक सराहनीय पहल की है। पुलिस ने रविवार को घोषरामा पंचायत के घोषरामा गांव में जन जागरूकता अभियान के तहत जनसंपर्क अभियान चलाया। इस अभियान की अध्यक्षता स्वं हायाघाट थाना प्रभारी अमरेंद्र कुमार अमर ने की।

इस अवर पर अमरेंद्र कुमार अमर ने सभा मे बैठे जनप्रतिनिधि एवं महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार समाज में भाईचारा स्थापित करने के लिए शराबबंदी को सख्ती से लागू किया है। उसी अभियान के मद्देनजर आज हम समाज में  नशा मुक्त कैसे हो इस बात पर आपका समर्थन एवं सुझाव मांगने आए हैं।

शराब मुक्त समाज के निर्माण में सहयोग की अपील करते हुए उन्होने कहा कि समाज की सबसे बड़ी बुराई एवं सबसे बड़ी समस्या तो वह शराब है। 2016 में सरकार ने इस बुराई को खत्म करने के लिए पूरे बिहार में शराबबंदी को सख्ती से लागू किया।

इस 5 साल के सफर में हम लोगों को बहुत सारी समस्याएं को झेलना पड़ा है। जिसमें बहुत सारे लोगों ने इसमें आगे बढ़कर सहयोग भी दिया, वहीं जिसमें बहुत सारे लोग शराब को अभी तक अपना धंधा मानने लगे हैं एवं इसको नहीं छोड़ने के पक्ष में लगे हुए हैं। जिसके मद्देनजर हम लोगों ने बहुत सारे उतार-चढ़ाव देखे जिसमें सरकार को इस ओर बहुत बड़ी सफलता भी मिली।

उन्होने कहा कि कुछ छोटी बड़ी समस्याएं शराबबंदी को लेकर समाज में पनप रही है, जिसे आपके समर्थन की ही बदौलत हम उसे पूरा कर सकते हैं। समाज में अगर कोई शराब बेचता है तो उसकी गुप्त सूचना हमें दें एवं उसे समाज से बहिष्कृत करें। परिवार में अगर कोई शराबी है, तो उस परिवार का विकास खत्म हो जाता है।

कोई शराबी शराब बेचकर बड़ा सामाजिक एवं प्रतिष्ठित व्यक्ति नहीं बन सकता है, उसे समाज के नजर में हीन भावना से ही देखा जाता है। आपके परिवार में तभी कोई पढ़ा-लिखा व्यक्ति बड़ा बनेगा जब आप उसे सही शिक्षा के बदौलत मेहनत की कमाई से उसे पढ़ा सकेंगे।

दारू की कमाई से किसी का बेटा पदाधिकारी नहीं बन सकता है। एक शराबी व्यक्ति अगर शराब को पीकर घर में प्रवेश करता है, तो उसके पिता कहां है उसकी पत्नी कहां है, उसके बेटे एवं बेटियां कहां है उसे कभी नहीं पता चल पाता है। इसीलिए शराब मानसिक संतुलन को खराब कर परिवार के संतुलन को भी बर्बाद कर देता है।

थानाध्यक्ष ने आगे बताया कि समाज में अच्छी परवरिश तभी हो सकती है जब वह नशा से मुक्त हो जब तक नशा का सेवन कोई करेगा तो अपने तो अपने परिवार एवं समाज को भी भूल जाएगा। कोई दूसरे का सहारा तभी बनेगा जब वह अपने परिवार को नशे से दूर रहेगा। शराबी अगर सही राह पर चलकर अपने इन्वेस्ट किए हुए पैसे को देखे तो उस पैसे से अपने परिवार को सही रूप एवं सही दिशा देकर बच्चे का सुनहरा भविष्य उज्जवल बना सकता हैं।

सोच हम सबके पास है तजुर्बा भी है, लेकिन नजरिया शराब के सेवन करने वाले की अलग हो जाती है एवं अपने परिवार में आगे बढ़ने की सोचन शक्ति खत्म कर लेती है। अगर आप लोग समर्थन करते हैं तो यह समाज की सबसे बड़ी समस्या खत्म हो सकती है। आप लोग आगे आए और इस अभियान में अपना पुरजोर समर्थन करते हुए शराब को छोड़कर नए नशा मुक्त समाज का निर्माण करें। अगर ऐसा करते हैं तो इस समाज के हर पहलुओं को इतिहास के पन्ने में नाम दर्ज होगा।

इस अभियान में घोषरामा गांव के शराब पीना एवं बेचना छोड़ चुके 4  शराब कारोबारी शंकर महतो, अनिल दास, बिजली सहनी, घंटुर महतो ने अभियान के कार्यक्रम में शपथ लेते हुए कहा कि ना हम आज से शराब बेचेंगे और ना पिएंगे। मौके पर हायाघाट प्रखंड के पूर्व प्रमुख रामचंद्र सिंह ने कहा कि सरकार की यह नशा मुक्ति तभी सफल हो सकती है, जब सरकार के बनाए हुए रास्ते को सही रूप से हम समाज के सभी लोग समर्थन दें।