नई दिल्ली: देश में एक करोड़ी हुआ कोरोना। नौ महीने में यह आंकड़ा बहुत ज्यादा नहीं है। हालांकि सवा सौ करोड़ की आबादी में अब तक 95.41 प्रतिशत मरीज ठीक हो चुके हैं। मौत करीब 1.45 लाख मरीजों की हुई है।
324 दिन कोरोना का सफर
30 जनवरी को केरल में पहला संक्रमित मिला था। आज की तारीख में 3.05 लाख मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। जाहिर है, रिकवरी की दर ज्यादा है। वह भी जून से फेज वाइज लॉकडाउन में ढील के बाद कोरोना की रफ्तार बढ़ने लगी। अप्रैल और मई तक हर दिन देश में दो से पांच हजार नए मामले सामने आ रहे थे। जून में यह बढ़कर पांच से बीस हजार हो गया। जुलाई में हर दिन 20 से 57 हजार लोग संक्रमित मिलने लगे। अगस्त में यह आंकड़ा 60 से 75 हजार के बीच हो गया। सितंबर में एक दिन में 97 हजार तक मामले सामने आए। 17 सितंबर को देश में कोरोना का पीक था। मतलब तब सबसे ज्यादा लोग संक्रमित पाए गए हैं।
ऐसे बढ़ा देश में कोरोना
30 जनवरी को चीन के वुहान शहर से लौटी 20 साल की महिला कोरोना संक्रमित पाई गई। यह देश का पहला केस था। 03 फरवरी तक केरल में ही तीन नए केस आ चुके थे। ये सभी लोग विदेश यात्रा से लौटे थे। 3 मार्च तक देश में कुल छह केस रिपोर्ट हुए थे। 04 मार्च को इटली के एक टूरिस्ट ग्रुप के 14 सदस्यों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। 12 मार्च को सऊदी अरब से लौटे 76 साल के एक कोरोना मरीज की मौत हो गई। संक्रमण से देश में यह पहली मौत थी। 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू का आह्वान किया। 24 मार्च को प्रधानमंत्री ने 21 दिनों के लॉकडाउन का ऐलान किया जो 25 मार्च से प्रभावी हुआ। इसे दो बार और बढ़ाया गया।
छूट मिली तो कोरोना बढ़ा
जब छूट मिलने लगी और लोग बाहर निकले लगे तब कोरोना ने रफ्तार पकड़ी। 725% की रफ्तार से नए केस सामने आने लगे। 16 जुलाई तक संक्रमितों की संख्या 10 लाख हो गई। इसके अगले 21 दिनों में 10 लाख से 20 लाख मरीज हो गए। सबसे तेज 40 से 50 लाख केस होने में महज 11 दिन लगे थे। संक्रमण का सबसे ज्यादा असर राजधानी दिल्ली, मुंबई समेत 11 शहरों में रहा। देश के 27% कोरोना मरीज इन्हीं शहरों में हैं। इन्हीं शहरों में सबसे ज्यादा लोगों ने जान गंवाई है।