कांग्रेस में अल्पसंख्यकों के खिलाफ साजिश, सोनिया को खत लिख पार्टी नेता ने ही उठाए सवाल

पटनाः देश की सबसे बड़ी सेक्यूलर पार्टी होने का दावा करने वाली कांग्रेस पर अल्पसंख्योंकों की अनदेखी करने का आरोप लगा है। उस पर यह आरोप किसी और ने नहीं, बल्कि AICC सदस्य इंतखाब आलम ने लगाया है। इंतेखाब आलम का कहना है कि पार्टी की तरफ से बिहार के 34 जिलों में पिछले 15-20 वर्षों में विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अल्पसंख्यकों को उम्मीदवार नही बनाना एक गहरी साज़िश है।

AICC सदस्य इन्तेखाब आलम ने इस बात पर गहरी चिंता जताई है कि कांग्रेस ने 2005,2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव जो गठबंधन के तहत लड़ा गया था उसमें 34 जिलों में अल्पसंख्यक को उम्मीदवार नही बनाया (नेतृत्व के व्यक्तिगत स्वार्थ और अपवाद को छोड़कर), जिससे पार्टी तो कमजोर हुई है और मुस्लिम लीडरशीप भी समाप्त हो गई है। इन्होंने कहा कि 15-20 सालों में विभिन्न विधानसभा और लोकसभा चुनाव में चुनावों में अल्पसंख्यकों की उपेक्षा किए जाने से न केवल राष्ट्र स्तर पर, बल्कि राज्य स्तर पर भी पार्टी कमजोर होती जा रही है,जबकि इसके विपरीत क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत होती जा रही हैं।

क्षेत्रीय दलों के उत्पत्ति के बाद कांग्रेस ने शुरू की अल्पसंख्यकों की उपेक्षा

इन्तेखाब आलम ने पार्टी नेतृत्व को पत्र लिख कर अपनी चिंता से अवगत कराया है। उन्होंने कहा कि पूर्व में कांग्रेस पार्टी अल्पसंख्यक की आबादी का ख्याल रखते हुए उसी अनुपात में विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव से लेकर विधान परिषद एवं राज्यसभा में भी उचित प्रतिनिधित्व देती रही थी, लेकिन क्षेत्रीय दलों के उत्पत्ति के बाद कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों की उपेक्षा करनी शुरू कर दी है जो लगातार जारी है।

कांग्रेस के पद चिन्हों पर चल अल्पसंख्यक को उचित प्रतिनिधित्व दे रही क्षेत्रीय पार्टियां

उन्होंने कहा कि अब क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस के पद चिन्हों पर चल रही है और अल्पसंख्यक को उचित प्रतिनिधित्व देकर खुद को मजबूत कर लिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सीमांचल जैसे अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों में 24 विधानसभाओं में आधा दर्जन और लोकसभा चुनाव में एक दो अल्पसंख्यक को टिकट देकर अपना फर्ज पूरा कर देती है, जबकि गत लोकसभा चुनाव में jDU, RJD, LJP जैसी पार्टियां उन क्षेत्रों में भी अल्पसंख्यक को टिकट दिया है जहां उनकी आबादी कम है। इन क्षेत्रों से अल्पसंख्यक ने जीत भी दर्ज की है। इसकी मिसाल खगड़िया से महबूब अली कैसर, सिवान से मोहम्मद शहाबुद्दीन, बेगुसराय से मुनाजिर हसन दरभंगा से अशरफ़ अली फातिमी जैसे लोग हैं जिन्हों ने जीत दर्ज की, वहीं औरंगाबाद से शकील अहमद खान क्षेत्रीय दलों ने उम्मीदवार बनाया।

कांग्रेस ने अपने पुराने एवं कद्दावर मुस्लिम नेताओं को भी कर दिया हाशिए पर

इन्तेखाब आलम ने कहा कि कांग्रेस ने अपने पुराने एवं कद्दावर मुस्लिम नेताओं को भी हाशिए पर कर दिया है जिसका खमियाजा पार्टी को कमजोर होने के रूप में भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस उच्च जाति और दबंग से बाहर नहीं निकल पा रही है। बिहार में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर विधान परिषद,विधान सभा में आसीन हैं। इसके अलावा अभियान समिति, एनएसयूआई,  सेवा दल, महिला कांग्रेस,  कांग्रेस विचार विभाग, कांग्रेस आईटी विभाग, कांग्रेस रिसर्च विभाग, बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का नवाचार, 1971 अधिवक्ता संघ और कांग्रेस किसान संगठनों में उच्च जाति के लोगों को आज भी असिन किए हुए हैं, जिनके वोटों की संख्या उंगलियों पर गिनी जाती है।

इन्होंने कहा कि BJP ने भी सैयद शाहनवाज हुसैन को दिल्ली से बुलाकर विधानपरिषद का सदस्य बनाया और JDU ने जमा खां को बहुजन समाज पार्टी से अपने ज्वाइन करा कर बिहार मंत्रिमंडल में शामिल कर मुस्लिम प्रतिनिधित्व देकर एहसास कराया।

कांग्रेस की बनाई नीतियों एवं योजनाओं को लागू कर लोकप्रिय हुए मोदी- इन्तेखाब

इन्तेखाब आलम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कांग्रेस की बनाई नीतियों एवं योजनाओं को लागू कर लोकप्रिय हो गए हैं। अगर कांग्रेस अपनी योजनाओं को सम्पूर्ण रूप से लागू किया होता तो चुनावों में परिणाम अच्छे आते। उन्होंने कहा कि समय रहते कांग्रेस को सचेत हो जाना चाहिए और ना केवल अल्पसंख्यक को बल्कि पिछड़े और दलित वर्गों को भी उचित प्रतिनिधित्व देकर पार्टी को पुनः शिखर पर ले जाया जाना चाहिए।

अल्पसंख्यकों की संख्या ज्यादा होते हुए भी कई जगहों पर शुन्य होना चिंता का विषय

इन्होंने ने अपने पत्र में बिहार में मत प्रतिशत का उल्लेख करते हुए कहा कि बिहार में ब्रह्मण 4.1%,राजपूत4.2%, भूमिहार 3.2% और कायस्थ 0.7% को मिलाकर उच्य जातियों प्रतिशत मात्र 12.2%है वहीं उसी प्रकार अन्य पिछड़े वर्गों का कुल योग 30.2% है, इसके अंतर्गत यादव 15.4% वैश्या 6.6% कुर्मी 3.5%और कुशवाहा 4.7%है। वहीं अगर देखा जाए तो कुल ईबीसी 22.9% अर्थात दलित 18.3% महादलित 12.9%और पासवान 5.4% है। अल्पसंख्यक की संख्या 16.4% है यानी अन्य जातियों से अल्पसंख्यक की संख्या ज्यादा होते हुए भी विभिन्न स्थानों में इसका प्रतिनिधित्व शुन्य है जो काफी चिंता का विषय है।

कहां हैं कांग्रेस के अल्पसंख्यक नेताओं के वारिस?

इन्होंने कहा कि पिछले तीन दशकों में जो अल्पसंख्यक कांग्रेस में महान हस्तियां नज़र आतीं रहीं थी उनके वारिसों का कोई अता-पता नहीं है और ना कांग्रेस कभी भी खोजने का प्रयास किया। आलम ने जोर देकर कहा कि मैं इन नामों को इस लिए लिख रहा हूं ताकि कांग्रेस आलाकमान एक टीम बनवाकर उन लोगों के घर पर जाएं और कांग्रेस की खोई शक्ति को पुनः बहाल करने में मदद मिल सके। कांग्रेस को सत्ता में बनाये रखने में इन महापुरुषों की बड़ी भूमिका रहती थी और आज भी इसमें कुछ लोग जीवित हैं। जिनका नाम इस प्रकार हैंः

  1. मज़हरुल हक़ – सारण
  2. अब्दुल बारी – पटना
  3. हसन इमाम- पटना
  4. अज़ीजा इमाम – पटना
  5. शाह जुबैर -अरवल पटना
  6. शाह उमर अरवल-पटना
  7. शाह मुश्ताक  अरवल-पटना
  8. कैययूम अंसारी-डेहरी आनसोन
  9. अब्दुल गफूर – सीवान
  10. राजा नासिर उद्दीन हैदर खान-
  11. राजा परसौनी सीतामढ़ी-
  12. चौधरी सलाउद्दीन -सिमरी बख्तियारपुर
  13. अब्दुल शकूर- मधुबनी
  14. प्रोफेसर खालिद साहब – दरभंगा
  15. सैयद हाशमी -मोतिहारी
  16. जमील अख्तर- बेतिया
  17. अहद मोहम्मद नूर -पुर्णिया
  18. मौलाना समी नदवी- दरभंगा
  19. सैयद मकबूल अहमद – भागलपुर
  20. वलीरहमानी – मुंगेर
  21. शफिकुललाह अंसारी – मधुबनी
  22. सरदार लतीफुर रहमान- नगमतिया गय
  23. अब्दुल हन्नान – मधुबनी
  24. हेदात उल्लाह खान हरसिद्धि पुर्वी चम्पारण
  25. मोहम्मद युसुफ़  -दरबार सिवान
  26. फ़िदा हुसैन -जहानाबाद
  27. जमील अहमद -पटना
  28. कैप्टन शाहजहां खान – गया
  29. खान अली -गया
  30. समशूज़ोहा – बेगूसराय
  31. डाक्टर मोहम्मद इसा – आरा
  32. श्यामल नबी- पटना
  33. मौलाना क़ासिम साहब
  34. सईद अहमद कादरी-दाउद नगर
  35. अकील हैदर पटना
  36. खालिद रशीद सबा -पुर्णिया
  37. अनवारूल हक -सीतामढ़ी
  38. बच्चा खान -सीतामढ़ी
  39. खलील अंसारी -सीतामढ़ी
  40. प्रो कलीम अहमद -दरभंगा
  41. परवेज़ खान- चैनपुरा
  42. शकील उज्जमा अंसारी -बिहार शरीफ
  43. सैयद असगर हुसैन -जहानाबाद
  44. डाक्टर अदनान खान – गोपालगंज
  45. अशफाक अंसारी- दरभंगा

सोनिया गांधी को इन्तेखाब आलम द्वारा लिखी गई चिट्ठी

अभय पाण्डेय
अभय पाण्डेय
आप एक युवा पत्रकार हैं। देश के कई प्रतिष्ठित समाचार चैनलों, अखबारों और पत्रिकाओं को बतौर संवाददाता अपनी सेवाएं दे चुके अभय ने वर्ष 2004 में PTN News के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। इनकी कई ख़बरों ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी हैं।