योग ने किया जीवन में कितने फीसदी सुधार?

नई दिल्लीः अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर चर्चा की जानी चाहिए योग साधकों की जिन्होंने बिना धन की लालच में मानवता की सेवा की है और लगातार कर रहे हैं। योग के प्रोग्राम लोगों को मानसिक स्वास्थ्य, व्यवहारिक और स्वास्थ्य देखभाल की तत्काल आवश्यकता तक पहुँचने में मदद करते हैं। यह हमें स्ट्रेस को दूर करने में मदद कर सकता हैं, बल्कि मन की खुशी को भी बढ़ा सकता हैं।

भारतीयों की मानसिक स्थिति और स्वास्थ्य को लेकर अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता हैंं। जहां विश्व अपने सकल घरेलू उत्पाद का 5 से 18 प्रतिशत मानसिक स्वास्थ्य में इन्वेस्ट करता है, वहीं, भारत केवल 0.8 फीसदी इन्वेस्ट करता है। मेंटल हेल्थ अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गयी है। 2020 में एंजाइटी के 76.2 मिलियन मामले थे और 53.2 मिलियन से अधिक मामले डिप्रेशन के थे। 153 हजार से अधिक आत्महत्याओं के साथ इस साल आत्महत्या की दर में साल-दर-साल वृद्धि हुई। इसमें रोजाना कमाई करने वाले, गृहणियों और बेरोजगारों पर 35 फीसदी प्रभाव पड़ा था।

भारत में कॉर्पोरेट बर्नआउट से निपटने वाले कर्मचारियों की संख्या 29 प्रतिशत है। यह दूसरी सबसे बड़ी कॉरपोरेट आबादी है। भारत में लगभग एक तिहाई कर्मचारियों ने बर्नआउट के लक्षणों का अनुभव किया है। डब्ल्यूएचओ ने अनुमान लगाया है कि 2012 से 2030 के बीच मानसिक स्वास्थ्य के कारण भारत को 1.03 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान होगा। इस आंकड़े को कोरोना महामारी से बदतर कर दिया है।

सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी और जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की गयी स्टडी में पता चला है कि गैर-फार्मास्युटिकल थेरेपी और योग ने जीवन की गुणवत्ता में 77 प्रतिशत सुधार किया और एंजाइटी को 75 फीसदी तक कम किया। योग भारतीय संस्कृति की सनातन परंपरा से विकसित है। इसे न्यूरोसाइंटिस्ट का समर्थन हासिल है और आज दुनिया के प्रमुख सीईओ, अधिकारी, एथलीट और कलाकारों द्वारा अभ्यास किया जाता है। योग सस्ती, व्यवहारिक और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल पद्धति है। यह व्यक्ति के न केवल स्ट्रेस, एंजाइटी, डिप्रेशन, ट्रामा या अनिद्रा को दूर करने में मदद करता है, बल्कि व्यक्ति के दिमाग को खुशनुमा बनाने में भी मदद करता है।

विभिन्न पृष्ठभूमि के लगभग 10,000 लोगों की स्टडी की जबकि दुनिया के अधिकांश हिस्से को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी सपोर्ट की जरूरत थी। अमेरिका में चिकित्सा संस्थानों के सहयोग से की गयी स्टडी में सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी और जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन ने अहम बातें पायी गयी। इसमें पता चला कि डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से वितरित गैर-फार्मास्युटिकल थेरेपी और रोजाना योग के चलते नींद संबंधी परेशानी में 82 फीसदी की कमी, क्वालिटी ऑफ लाइफ में 77 प्रतिशत की वृद्धि, डिप्रेशन के लक्षणों में 72 फीसदी की कमी और आमतौर पर होने वाली एंजाइटी में 75 प्रतिशत की कमी आई।

शरीर, मन और हृदय के स्तर पर पेशेवरों को पढ़ाने के लिए पुराने और आधुनिक दृष्टिकोणों को मिलाकर असाधारण काम करते हैं। योग का मुख्य ध्यान व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से विकसित करने पर रहता है। संगठनों को यह भी बताया जाता है कि कैसे आफिस का माहौल बनाया जाए जिससे उनके कर्मचारियों की रचनात्मकता को बढ़ावा मिले और कर्मचारियों के अवचेतन मन में छिपी क्षमता का बाहर लाने में उनकी सहायता करना है।

योग दुनिया भर के लाखों लोगों को मेडिटेशन का प्रयोग सिखाता है। यह एक गैर इनवेसिव, गैर-औषधीय उपचार प्रदान करता है जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से सक्षम बनाता है। ऐसे कई कॉरपोरेट और हेल्थ केयर वेलनेस इनीशिएटिव ने अपनाया है। योग ने न केवल पेशेवर कर्मचारियों की समस्याओं से निपटने में मदद की है, बल्कि कई फ्रंटलाइन हेल्थ केयर वर्कर्स को मानसिक रूप से मजबूत बनाने में मदद की है। अनेकों हेल्थकेयर वर्कर्स को अनिद्रा, एंजाइटी और डिप्रेशन जैसे जटिल मामलों को कम करने और उपचार प्रदान किया है। यह सुनिश्चित करते हुए कि इन श्रमिकों के पास बर्नआउट से बचने और बेहतर मानसिक स्वास्थ्य का साधन है।

दीपक सेन
दीपक सेन
मुख्य संपादक