नई दिल्लीः बच्चों में खसरे के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार अलर्ट हौ गई है। केंद्र ने स्थिति का आकलन और प्रबंधन करने के लिए बुधवार को रांची (झारखंड), अहमदाबाद (गुजरात) और मलप्पुरम (केरल) में उच्च स्तरीय टीमों को तैनात किया। तैनात की गई टीमें खसरे के मामलों की बढ़ती प्रवृत्ति की जांच करेंगी और इसे फैलने से रोकने व बीमारी से निपटने में सहायता करेंगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “वे टीमें प्रकोप की जांच में राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों की सहायता करेंगी और अपेक्षित नियंत्रण और रोकथाम के संचालन की सुविधा प्रदान करेंगे।”
WHO और UNISEF ने पहले से ही दे रखी है चेतावनी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र बाल आपातकालीन कोष (UNISEF) ने पहले दुनिया भर में खसरे के मामलों के संभावित “तूफान” पर एक संयुक्त चेतावनी जारी की थी। इसने सचेत किया कि 2021 की तुलना में 2022 में इस बीमारी में लगभग 80% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
WHO के बयान में कहा गया है, “बीमारी के तेजी से बढ़ने से संकेत मिलता है कि आने वाले दिनों में अन्य महत्वपूर्ण प्रकोप होने की संभावना है।” पिछले हफ्ते मुंबई में खसरे से जूझ रहे एक साल के बच्चे की मौत हो गई क्योंकि शहर में वायरल संक्रमण का प्रकोप बढ़ रहा है।
एक समाचार एजेंसी के मुताबिक, इस साल अब तक अनुमानित 126 बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। मृतक युवक नल बाजार इलाके का रहने वाला है। एक अधिकारी ने एजेंसी के संवाददाताओं को बताया कि पिछले सप्ताह चिंचपोकली में बृहन्मुंबई नगर निगम द्वारा संचालित कस्तूरबा अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था और बाद में उनकी मृत्यु हो गई।
मुंबई में डॉक्टरों ने कहा कि “सेप्टिसीमिया विद एक्यूट रीनल फेल्योर विद मीजल्स ब्रोन्कोपमोनिया” बच्चे की मौत का कारण था। खसरा तेज गति से फैल रहा है, और सितंबर तक 99 बच्चे पहले ही वायरल बीमारी से संक्रमित पाए जा चुके हैं। इस साल जनवरी से कुल 126 बच्चे संक्रमित हुए हैं।
UNISEF ने यह भी चेतावनी दी थी कि इस वर्ष 2022 में खसरे के मामलों में वृद्धि के कारण बच्चे अब अधिक असुरक्षित हैं। UNISEF के अनुमान के अनुसार, 2020 में कम से कम 23 मिलियन बच्चे अपने अनिवार्य बचपन के टीकाकरण से चूक गए, जो कि 2019 की तुलना में 3.7 मिलियन अधिक है। सीडीसी और WHO का कहना है कि महामारी के कारण खसरा एक आसन्न वैश्विक खतरा है