पटनाः भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश आईटी एवं डाटा संकलन प्रभारी दिलीप मिश्रा ने सहकारिता और मत्स्य उत्पादन में भारत के तेजी से बढ़ते कदम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि मात्र दो वर्षों में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना ने मछली पालन के क्षेत्र में उत्पादन से लेकर निर्यात तक को बढ़ाने में योगदान किया है साथ ही मछुआरों का आर्थिक सशक्तिकरण भी हुआ है, यह अपने आप में मिल का पत्थर है।
उन्होंने बताया कि मछुआरों के समग्र विकास के लिए 20,050 करोड़ रुपये निवेश किए गए है, इस योजना से अब तक 16 लाख से अधिक मछुआरे लाभान्वित हुए है और 27.51 लाख मछुआरों को 5 लाख रुपये तक का बीमा इस योजना के तहत दिए जा रहे है।
दिलीप मिश्रा ने कहा है कि जहाँ विश्वभर में डेयरी उद्योग में दुग्ध उत्पादों से मुनाफे का सिर्फ 40-50% पैसा ही किसानों को मिल पाता है, वहीं भारत में डेयरी सहकारिताएं उपभोक्ता मूल्य का 75%से अधिक रिटर्न दुग्ध उत्पादन करने वाले किसानों के बैंक खाते में जमा करती हैं, यह भारत के सहकारिता मॉडल की बड़ी उपलब्धि है।
गाय में पाई जारही लंपी चर्म रोग पर चिंता जाहीर करते हुए उन्होंने कहा यह बिमारी हमारे मवेशियों के लिए खतरा बनी हुई है, लेकिन पीएम मोदी की सरकार ने जैसे अपने प्रयास भारत में कोरोना को हराया है, वैसे ही मवेशियों की रक्षा के लिए स्वदेशी रूप से इस बीमारी का टीका बनाकर भगाने में जुटे हैं। 2025 तक सभी डेयरी पशुओं को पैर और मुंह की बीमारी का टीकाकरण प्रदान किया जाएगा।
दिलीप मिश्रा ने कहा कि दुनिया में आर्थिक विकास के दो मॉडल प्रचलित हैं। पहला कम्युनिस्ट मॉडल और दूसरा मार्केट मॉडल, जबकि भारत ने सहकारिता के रूप में एक मानव केंद्रित तीसरा विकल्प दुनिया को सफलतापूर्वक देने का काम किया है।
भाजपा नेता ने कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गत 8 साल में भारत 11वीं अर्थव्यवस्था से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है। और मुझे पूर्ण विश्वास है कि जल्द ही हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेंगे, जिसमें सहकारिता क्षेत्र बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा।
उन्होंने कहा कि 2014 में भारत का खेलों के लिए जो बजट 866 करोड़ था उसे नरेंद्र मोदी ने 2022 में बढ़ाकर 2000 करोड़ करने का काम किया है। यह खेलों के प्रोत्साहन के प्रति मोदी जी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मिश्रा का कहना है कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए मोदी सरकार देश में जैविक खेती को भी बढ़ावा दे रहे हैं। देश में अभी जैविक उत्पाद के सर्टिफिकेशन की कोई व्यवस्था नहीं है। सहकारिता मंत्रालय एक मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव बना रहा है जो सर्टिफिकेशन, मार्केटिंग व विश्वभर में इसके एक्सपोर्ट में मदद करेगा।
जैविक खेती कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के अप्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिये फसल चक्र, हरी खाद, कम्पोस्ट आदि का प्रयोग करती है। सन् १९९० के बाद से विश्व में जैविक उत्पादों का बाजार काफ़ी बढ़ा है।
उन्होंन आग्रह किय कि सभी राज्यों को मिलकर सहकारिता क्षेत्र के विकास हेतु टीम इंडिया की भावना से काम करना होगा। हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि 100 साल में सहकारिता देश के अर्थतंत्र का मजबूत स्तंभ बने। और मोदी जी द्वारा देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर ले जाने में सहकारिता का बहुत बड़ा योगदान हो।