सिवानः सरकार ने मुनादी की है, जो लोग लॉकडाउन तोड़ेंगे उनके साथ सख्ती से निपटा जाएगा। निपटना भी चाहिए क्योंकि कोरोना क़हर बनकर टूटा है और उससे बचने के लिए फिलहाल यही एक रास्ता है। लेकिन उनका क्या जो पावर के मद में चूर है और लॉकडाउन के बहाने गरीब, बेबस लोगों पर बेवजह ज़ुल्म ढा रहे हैं। मामला सिवान का है। यहां लॉकडाउन के बाद से कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिसने पुलिस-प्रशासन की दादागिरी, हिटलरशाही और मवालीगिरी को उजागर कर दिया है।
सिवान प्रशासन की दादागिरी, किसानों के पेट पर मारी लात
ताजा वाक्या जिले के महाराजगंज प्रखंड का है। बुधवार यानी 8 अप्रैल को पोखरा बाज़ार पर कुछ किसान दुकान लगाकर सब्जी बेच रहे थे, तभी स्थानीय BDO पुलिस बल के साथ पहुंचे और सब्जियों के फेंकना शुरू कर दिया। अपने पेट पर लात पड़ता देख जब किसानों ने ऐसा नहीं करने की मिन्नत की तो उनकी पिटाई भी कर दी गई।
पुलिस की हिटलरशाही, ऑनड्यूटी कार्यपालक सहायक को पिटा
इससे पहले 28 मार्च को गौतमबुद्ध नगर थाना के तरवारा बाजार में पुलिस द्वारा एक ऑनड्यूटी कार्यपालक सहायक की पिटाई कर दी गई थी। पुलिस के ज़ुल्म का शिकार कार्यपालक सहायक पप्पू कुमार राम अपने गांव गोरेयाकोठी प्रखंड के डुमरा से पचरुखी प्रखंड मुख्यालय के मख्नुपुर पंचायत में कोरोना से बचाव को लेकर ड्यूटी पर जा रहे थे।
वरीय पदाधिकारियों से की लिखित शिकायत
इसे लेकर उन्होंने बीडीओ पचरूखी को एक आवेदन भी दिया था जिसमें मामले की जांच कराने की मांग की गई हैं। साथ ही उन्होंने इसकी प्रतिलिपि जिला पदाधिकारी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, पुलिस अधीक्षक एवं जिला आपदा पदाधिकारी को प्रेषित की थीl
पुलिस की मवालीगीरी, पत्रकार की गाड़ी से निकाली हवा
इसके अलावें इन ख़बरों का संकलन करने वाले पत्रकार भी पूरी तरह से प्रशासन के निशाने पर हैं। 29 मार्च को शहर के पॉश इलाका के मिशन कंपाउंड में माहादेवा ओपी पुलिस ने जो किया वो अपने आप में बेहद हास्यास्पद और चिंतनीय है। संध्या गश्ती पर निकली पुलिस ने सड़क छाप मवाली की तरह घर के बाहर गेट पर खड़ी पत्राकार की गाड़ी का हवा निकाल दिया जो CCTV कैमरे में कैद हो गया।
शिकायत के बाद भी सिवान SP रहे मौन
साक्ष्य के साथ इसकी जानकारी स्थानीय पत्रकारों द्वारा जिले के SP को दी गई लेकिन उन्होंने अपने पुलिस वालों से ये पूछना भी मुनासिब नहीं समझा कि ऐसे किसने और क्यों किया।
कोरोना से बचने के लिए लॉकडाउन जरूरी, लेकिन कानून की हद सब के लिए बराबर
बहरहाल देश में कोरोना इस वक्त क़हर बरपा रहा है ऐसे में इससे बचाव के लिए लॉकडाउन का पालन करना ही एक मात्र उपाय है। लेकिन लॉकडाउन में आम आदमी को अगर कानून तोड़ने की इजाजत नहीं तो प्रशासन को भी कानून हाथ में लेने से बचना चाहिए। प्रशासन अगर लोगों को बचाने के लिए जद्दोजहद कर ही है तो आम आदमी भी जैसे-तैसे ही जीवन बसर कर रहा है।