पटनाः सियासत के अखाड़े में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को जो ज़ख्म दिए हैं, वो ताजा हो गए हैं। लेकिन इस ज़ख्म के दर्द से नीतीश ना तो कराह सकते हैं, ना किसी से कुछ कह सकते हैं। फिलहाल ज़ख्म छुपाना उनकी मजबूरी है। दरअसल बुधवार को नीतीश कैबिनेट में 7 नए मंत्रियों ने शपथ लिया। शपथ ग्रहण करने वाले सभी मंत्री भाजपा कोटे से हैं, JDU से नहीं। अब सवाल यह उठता है कि इस शपथ ग्रहण से चिराग का क्या लेना देना है, तो इसके लिए आपको सबसे पहले बिहार विधानसभा और कैबिनेट के गणित को समझना होगा।
बिहार में BJP के 80 और JDU के 45 विधायक
बिहार में जेडीयू के 45 और भाजपा के 80 विधायक हैं। दोनों पार्टी में ये समझौता पहले ही हुआ था कि प्रति 3 से 4 विधायक पर एक मंत्री होगा। इस फ़ार्मूले के तहत ही JDU के 13 मंत्री पहले से हैं, लेकिन BJP के कोटे से 15 मंत्री ही थे। इसलिए BJP 6 मंत्री और बना सकती थी। दिलीप जायसवाल जो बिहार BJP के अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी के साथ राजस्व मंत्री भी थे, उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया। इस तरह BJP के पास 7 मंत्री का कोटा था, लिहाजा मंत्री पद की शपथ लेने वाले सातों विधायक BJP से ही रहे।
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तो आपने बिहार विधानसभा और कैबिनेट के गणित को तो समझ लिया। अब समझिए इस गणित में चिराग फार्मूले को। 2020 के विधानसभा चुनाव में NDA के घटक दलों शामिल रहे लोजपा के नेता चिराग पासवान अचानक बगावत पर उतर गए और ऐलान कर दिया कि सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू JDU की अगुवाई में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, चुनाव के बाद उनके सभी विधायक भाजपा को मजबूत करेंगे।
चिराग ने जैसा कहा था वैसा ही किया
चिराग ने जैसा कहा था वैसा ही किया भी, उन्होंने 243 में से 137 सीटों से अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए। उनमें से अधिकांश वो सीटें थी जहां से JDU चुनाव लड़ रही थी। सबसे खास बात तो यह रही कि चिराग ने जिन उम्मीदवारों को अपने सिंबल पर चुनाव लड़ाया था उनमें कई ऐसे चेहरे शामिल थे जिनका सीधा संबंध BJP से था। परिणाम यह हुआ कि JDU को काफी सीटें गँवानी पड़ी। 2014 में जहां 73 सीट जीतकर JDU बड़े भाई और 53 सीट जितने वाली भाजपा छोटे भाई की भूमिका में थी वह 2020 में बदल गया। अब भाजपा बड़ा भाई और JDU छोटा भाई है, लिहाजा यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि चिराग का दिया ज़ख्म नीतीश को आज तक अंदर ही अंदर साल रहा है, भले वो मौन हैं।