पटनाः IAS या IPS अधिकारियों को लेकर आम आदमी के मन में ये धारणा होती है कि अफसरशाही उन पर हावी रहती है, लेकिन सीएम के प्रधान सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ (Dr. S Sidharth) का अंदाज देखकर आपकी सोच बदल जाएगी। जी हाँ, इतने बड़े पद पर होने के बावजूद एस सिद्धार्थ में उसकी हनक छू कर भी नहीं है। वे आम आदमी की तरह हैं, जो पटना की सड़कों पर बिना किसी लाव-लश्कर और तामझाम के स्पॉट किए जाते हैं। शनिवार शाम को भी वे पटना की सड़कों पर जमे फुटपाथ दुकान पर गोलगप्पे का मजा लेते दिखे, जिसकी तस्वीर हमारे कैमरे में कैद हो गई।
बता दें, 1991 के IAS एस सिद्धार्थ वित्त और गृह के साथ प्रदेश के कई महत्वपुर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, लेकिन जब भी उन्हें मौका मिलता है वो खास से आम बन जाते हैं। बिना किसी तामझाम और लाव-लश्कर के पटना की सड़कों पर निकल जाते हैं। सेहत के ख़्याल से वे हर सुबह राजधानी की सड़कों पर साइकिलिंग तो करते ही हैं, मोटर साइकिल से घुमकर शहर का हाल भी नाप लेते हैं। फोटोग्राफी उनका पैशन है, जिसे वो बड़ी चाव से करते हैं।
काम में कोताही बर्दाश्त नहीं
हालांकि, काम को लेकर वे बेहद संजीदा और सख्त मिजाज भी हैं। वे जिम्मेदारियों से कोई समझौता नहीं करना चाहते। अभी कुछ दिन पहले ही वे बिना किसी सूचना के देर रात DGP बिहार संग पटना से आरा की तरफ निकल गए। कोइलवर में कुछ पुलिस वालों को बालू लदे ट्रकों से अवैध वसूली करते पकड़ा और फैसला ऑन-द-स्पॉट सूना दिया। सभी पुलिस वाले अभी निलंबित हैं। उनके इस कारनामें से जिलों के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों में हड़कंप है, डर है कि कहीं साहब का अगला दौरा उनके जिले में न हो जाए।
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साल 2019 में जलमग्न हुए पटना की भयावह स्थिति तो आज भी आपको याद होगी, कैसे लोग घरों से निकल कर सड़कों पर आ गए थे। उस बाढ़ में भी एक अधिकारी एस सिद्धार्थ (S. Sidharth) ऐसे थे जो मदद का हाथ बढ़ाए लोगों के साथ खड़े थे। अपने दफ्तर और घर के सुकून को छोड़ पानी में उतर कर लोगों तक मदद पहुंचा रहे थे।
वित्तीय प्रबंधन में माहिर
आपको यह जानकर हैरत होगी कि कोरोना काल में जब अन्य राज्यों की वित्तीय व्यवस्था चरमरा रही थी तब बिहार आधारभूत संरचनाओं और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर हजारों-करोड़ रुपए खर्च कर रहा था। पहली बार वित्तीय वर्ष 21-22 में ऐसा मौका आया, जब बिहार ने अपने बजट से 2 लाख करोड़ खर्च किये और चुनिंदा 5 राज्यों में शामिल हो गया, जिनका सलाना खर्च 2 लाख करोड़ से अधिक है। यह सब सिद्धार्थ के कुशल वित्तीय प्रबंधन का परिचायक है।
IAS नहीं होता तो साइंटिस्ट होता- सिद्धार्थ
इतना ही नहीं, IIT दिल्ली से सूचना प्रौद्योगिकी में PHD, IIM अहमदाबाद से MBA, IIT दिल्ली से Computer Science and Engineering में B. Tech और BHU से दूसरी बार Economics में PHD कर रहे सिद्धार्थ आज भी अपने Engineering वाले स्कील को नहीं भूले हैं। वे अपने घर में बने कार्यशाला में इलेक्ट्रोनिक उपकरणों के साथ प्रयोग करते भी नज़र आ सकते हैं। सिद्धार्थ कहते हैं,”IAS नहीं होता तो साइंटिस्ट होता।”
यक़ीन मानिए सिद्धार्थ का अंदाज जुदा है, उनमें लालफीताशाही बिल्कुल नहीं है। वे इतने मिलनसार हैं कि एक बार मिल लो तो IAS अधिकारियों के प्रति नजरिया ही बदल जाएगा।