महाकाल मंदिर के पास खोदाई में दिखा एक हजार साल पुराने मंदिर का ढांचा

उज्जैनः द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर के पास एक हजार साल पुराने मंदिर का ढांचा नजर आया है। यह ठांचा पुरातत्व विभाग की निगरानी में चल रही खोदाई के दौरान नज़र आया है। संभावना जताई जा रही है कि खोदाई में दिख रहे मंदिर का मूलभाग जल्द ही सामने आ जाएगा। पुरातत्व विभाग की निगरानी में मजदूरों द्वारा की गई में खोदाई में अब तक परमारकालीन मंदिर के पाषाण खंभ, छत का हिस्सा, शिखर आदि के अवशेष भी प्राप्त हो चुके हैं।

इससे पहले खोदाई के दौरान शुंग व कुषाण काल में निर्मित मिट्टी के बर्तनों के अवशेष भी मिल चुके हैं, जो दो हजार साल पुराने कहे जा रहे हैं। खोगाई से निकले इन सभी धरोहरों को कार्य स्थल के समीप ही विशेष निगरानी में सहेजकर रखा गया है। दगभग 15 दिनों तक चली खोदाई के बाद शुक्रवार को एक हजार साल पुराने मंदिर का ढांचा स्पष्ट नजर आने लगा है। संभावना जताई जा रही है कि खोदाई में जल्द ही मंदिर का पूरा मूलभाग निकलकर सामने आ जाएगा।

बता दें, मध्य प्रदेश सरकार व महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा महाकाल मंदिर क्षेत्र का उन्नयन व सुंदरीकरण किया जा रहा है। इसपर करीब 400 करोड़ रूपये खर्च किए जा रहे हैं। नवनिर्माण के लिए मंदिर के पास की जा रही खोदाई में पीछले साल दिसंबर में एक हजार साल पुराने मंदिर होने के प्रमाण मिले थे।

इसके बाद मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग के आयुक्त शिवशेखर शुक्ला ने पुराविद् डा. रमेश यादव के नेतृत्व में चार सदस्यीय दल गठित की गई। गढीत की गई चार सदस्यीय टीम ने पुरासंपदा का निरीक्षण करने के निर्देश दिए। दल ने खोदाई स्थल का निरीक्षण कर विभाग को विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इस पर आयुक्त ने महाकाल मंदिर के गौरवशाली इतिहास को संरक्षित करने के लिए पुरातत्व विभाग की निगरानी में खोदाई कराने का निर्णय लिया था। शोध अधिकारी डा. ध्रुवेंद्र सिंह जोधा को पुरातात्विक विधि से खोदाई कराने का जिम्मा सौंपा गया है।

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