बिहार में 32 प्रतिशत उम्मीदवार दागी, बाहुबलियों का बोलबाला

अजय वर्मा

पटना: बिहार में इस बार 32 प्रतिशत उम्मीदवार दागी हैं। मर्डर, रेप और किडनेपिंग जैसे जघन्य अपराधों के मामले 25 प्रतिशत उमीदवारों के खिलाफ दर्ज हैं। यह खुलासा एडीआर और इलेक्शन वाच ने अपनी नई रिपोर्ट में किया है।

बाहुबलियों का बोलबाला

ADR और इलेक्शन वॉच की तरफ से जारी ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक इस बार बाहुबलियों का बोलबाला है। 3722 उम्मीदवारों में से 1201 (32 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले डिक्लेयर किए हैं। 2015 के चुनाव में आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की संख्या 30% थी। मर्डर, किडनेपिंग और रेप जैसे जघन्य आपराधिक मामलों के आरोपी उम्मीदवारों की संख्या 2015 में 23% थी जो 2020 में बढ़कर 25% हो गई है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में सभी दलों को आदेश दिया था कि वह चुनाव में अपने उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि की जानकारी और उन्हें क्यों चुना गया, इसकी जानकारी अपनी वेबसाइट पर, स्थानीय अख़बारों और सोशल मीडिया में सार्वजनिक करें लेकिन इसका बिहार चुनावों में कोई असर नहीं हुआ।

कोर्ट के आदेश का पालन नहीं

इलेक्शन वॉच के संस्थापक जगदीप छोकर ने सोमवार को कहा कि मेरे हिसाब से सुप्रीम कोर्ट के फरवरी के आदेश का पालन बिल्कुल नहीं हो रहा है। बहुत कम ही पार्टियों ने अपराधियों को टिकट देने का कारण सार्वजनिक तौर पर बताया है। एक पार्टी ने कहा है कि उसके 5-7 आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों ने कोविड-19 के दौरान अच्छा काम किया है। यह कारण कैसे जस्टिफाई हो सकता है?

दूसरे—तीसरे चरण में भी दागी उम्मीदवार

रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार को हो रहे दूसरे चरण के चुनाव में तो 1463 में से 502, यानी 34% उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं। सात नवम्बर को होने वाले तीसरे चरण में कांग्रेस और बीजेपी दोनों के सबसे ज्यादा 76% उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं। तीसरे चरण की 78 सीटों में से 72 सीटें यानी 92% रेड अलर्ट चुनाव क्षेत्र हैं जहां तीन या उससे ज्यादा उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले हैंं।

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समाचार संपादक
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