नई दिल्लीः पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति व सेना के सेवानिवृत्त जनरल परवेज मुशर्रफ का रविवार को दुबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। मुशर्रफ लंबे वक्त से बिमार थे और दुबई के एक अमेरिकी अस्पताल उनका इलाज चल रहा था।
पाक सेना के मीडिया विंग द्वारा जारी एक संक्षिप्त बयान में कहा गया है कि वरिष्ठ सैन्य प्रमुखों ने “जनरल परवेज मुशर्रफ के दुखद निधन पर हार्दिक संवेदना व्यक्त की है। अल्लाह दिवंगत आत्मा को शांति दे और शोक संतप्त परिवार को संबल प्रदान करे।“
पाकिस्तानी राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने व्यक्त किया शोक
राष्ट्रपति सचिवालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने शोक व्यक्त किया और शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। राष्ट्रपति ने दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान देने तथा शोक संतप्त परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की।
भार-पाक बंटवारे से पहले दिल्ली में हुआ था जन्म
मुशर्रफ का जन्म 11 अगस्त, 1943 को दिल्ली में हुआ था और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कराची के सेंट पैट्रिक हाई स्कूल में पूरी की। पूर्व राष्ट्रपति ने लाहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज में उच्च शिक्षा हासिल की।
दो मामलों में थे भगोड़ा घोषित, राजद्रोह का भी था आरोप
पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो हत्याकांड और लाल मस्जिद के मौलवी की हत्या के मामले में मुशर्रफ भगोड़ा घोषित किया जा चुका है। 2016 से दुबई में रह रहे पूर्व राष्ट्रपति 2007 में संविधान को निलंबित करने के लिए राजद्रोह के मामले का सामना कर रहे थे।
एमिलॉयडोसिस नामक बिमारी से थे पीड़ित
पूर्व सैन्य शासक इलाज के लिए मार्च 2016 में दुबई गए थे और उसके बाद से वापस नहीं लौटे। मुशर्रफ़ के परिवार ने एक ट्विटर संदेश में सूचित किया था कि उन्हे एमिलॉयडोसिस नामक बिमारी से उत्पन्न जटिलताओं के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। एमिलॉयडोसिस एक दुर्लभ रोग है। इस रोग में शरीर के विभिन्न ऊतकों में प्रोटीन के कुछ रूपों के असामान्य जमाव की ओर जाता है जिससे अंग क्षति होती है।
करगिल घुसपैठ में किया था पाक सेना का नेतृत्व
1998 में प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने मुशर्रफ़ को सशस्त्र बलों के प्रमुख बनाकर चार सितारा जनरल के रूप में पदोन्नत कर राष्ट्रीय प्रमुखता दी। उन्होंने कारगिल घुसपैठ का नेतृत्व किया, जिसने 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छेड़ दिया।
कोर्ट ने सूनाई थी मौत की सजा
2020 में, लाहौर उच्च न्यायालय ने मुशर्रफ के खिलाफ नवाज शरीफ सरकार द्वारा की गई सभी कार्रवाइयों को “असंवैधानिक” घोषित किया, जिसमें उच्च राजद्रोह के आरोप में शिकायत दर्ज करना और एक विशेष अदालत के गठन के साथ-साथ इसकी कार्यवाही भी शामिल है, जिसके परिणामस्वरूप ट्रायल कोर्ट द्वारा उन्हों मौत की सजा दी गई।
2019 में एक विशेष अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी। मुशर्रफ 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अपदस्थ करके रक्तहीन तख्तापलट करके सत्ता में आए थे। 2008 में चुनावों के बाद महाभियोग का सामना करते हुए, मुशर्रफ को राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा और दुबई में स्व-निर्वासित निर्वासन में चले गए।