कोरोना से कुपोषण का सीधा संबंध, पढ़िए क्या होगा प्रभाव

न्यूयार्क: यूनिसेफ ने मंगलवार को चेतावनी दी है कि कोरोना से पड़ने वाले सामाजिक और आर्थिक प्रभाव के कारण इस साल विश्व भर में पांच साल से कम आयु के 67 लाख और बच्चे कुपोषण संबंधी समस्या के शिकार हो सकते है।

यूनिसेफ के अनुसार भारत में अभी भी पांच साल से कम आयु के दो करोड़ बच्चे हैं जो इस समस्या से ग्रसित हैं।

वैश्विक हंगर इंडेक्स 2019 के अनुसार भारत में बच्चों में वेस्टिंग की समस्या 2008-2012 के दौरान 16.5 प्रतिशत थी जो 2014-2018 के बीच 20.8 प्रतिशत हो गई। कुपोषण में बच्चे अत्यधिक पतले और कमजोर हो जाते हैं। इसमें बच्चों का विकास रुक जाता है और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।

यूनिसेफ के अनुसार कोविड-19 महामारी के पहले भी 2019 में चार करोड़ सत्तर लाख बच्चे वेस्टिंग के शिकार थे।

संस्था का कहना है कि कोरोना के सामाजिक आर्थिक प्रभाव के कारण पांच साल की आयु से कम के अतिरिक्त 67 लाख बच्चों में वेस्टिंग की समस्या हो सकती है और वे 2020 में खतरनाक स्तर तक कुपोषण के शिकार हो सकते हैं।

यूनिसेफ ने कहा, “तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो एक साल में दुनियाभर में लगभग पांच करोड़ चालीस लाख बच्चे वेस्टिंग के शिकार हो सकते हैं।”

लांसेट द्वारा किए गए अध्ययन को उद्धृत करते हुए यूनिसेफ ने कहा कि इन बच्चों में से 80 प्रतिशत अफ्रीका के सहारा और दक्षिण एशिया से हो सकते हैं। या फिर “आधे से अधिक बच्चे दक्षिण एशिया से होंगे।”