स्टडी में बताया गया, शरीर के तंत्रों को प्रभावित करने वाली बीमारी है कोविड-19

कोलंबिया: वैज्ञानिकों ने फेफड़ों के बाहर कोविड-19 के प्रभावों की पहली गहन समीक्षा उपलब्ध कराई है। अनुशंसा की है कि फिजिशियन इसका इलाज शरीर के तंत्रों को प्रभावित करने वाली बीमारी के तौर पर करें। इसमें खून के थक्के जमना, किडनी का काम न करना और बेहोशी जैसे न्यूरोलॉजिकल लक्षण शामिल हैं।

‘नेचर मेडिसिन’ पत्रिका में छपी स्टडी की समीक्षा के मुताबिक, कोविड-19 के कई रोगियों को गुर्दा, दिल और मस्तिक संबंधी समस्या होती है। अनुसंधानकर्ताओं ने अनुशंसा की है कि चिकित्सक श्वसन बीमारी के साथ ही इन स्थितियों का भी इलाज करें।

किडनी फेल होने की समस्या

वैज्ञानिकों के मुताबिक एक और आश्चर्यजनक निष्कर्ष यह पता चला कि आईसीयू में भर्ती कोविड-19 के मरीजों में किडनी क्षतिग्रस्त होने की समस्या ज्यादा अनुपात में है। उन्होंने बताया कि अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में आईसीयू में भर्ती करीब 50 फीसदी रोगियों के किडनी फेल होने की समस्या थी।

अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी द्वारा की गयी स्टडी की सह लेखिका आकृति गुप्ता ने कहा, “मैं शुरुआत से ही अग्रिम मोर्चे पर थी। मैंने पाया कि मरीजों में खून के थक्के बहुत ज्यादा जम रहे हैं। उन्हें मधुमेह नहीं होने के बावजूद उनके खून में शुगर की मात्रा बहुत ज्यादा दिख रही थी और कई के दिल और गुर्दे को नुकसान हो रहा था।” गुप्ता ने कहा, ‘‘करीब पांच से दस फीसदी रोगियों को डायलिसिस की जरूरत है। यह काफी ज्यादा संख्या है। डॉक्टरों को कोविड-19 को बहुत से अंगों को प्रभावित करने वाली बीमारी के रूप में देखने की जरूरत है।”

कोविड-19 के प्रभावी इलाज में मदद

अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक ज्यादातर अध्ययनों में गैर श्वसन संबंधी एक बड़ी समस्या खून के थक्के जमना है। खून के थक्के जमने से दिल का दौरा पड़ सकता है।

स्टडी के एक अन्य सह-लेखक हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के कार्तिक सहगल ने कहा, ‘‘पूरी दुनिया के वैज्ञानिक यह समझने का प्रयास कर रहे हैं। यह वायरस किस तरह से सामान्य तौर पर सुरक्षित शारीरिक व्यवस्था को जकड़ लेते हैं। हमें उम्मीद है कि भविष्य में इससे कोविड-19 के प्रभावी इलाज में मदद मिल सकेगी।’’