एनडीए को लेकर लोजपा की दोहरी नीति पर विवाद

पटना: विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए में नया विवाद उभर गया है। लोजपा ने जदयू मुक्त एनडीए की बात कहकर अपने 143 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। यही नहीं, उसने केंद्र में जदयू युक्त एनडीए के साथ रहने की बात की है। इस दोरंगी नीति पर भाजपा ने उसे प्रचार अभियान में मादी—शाह के फोटो का इस्तेमाल करने से मना कर दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या रामविलास पासवान एनडीए कोटे से राज्यसभा सदस्य रह पायेंगे?

माहौल बदला भाजपा में

सोमवार को एनडीए के प्रेस-कांफ्रेंस के बैनर पर एनडीए की सहयोगी के तौर पर भाजपा और जदयू नेताओं की तस्वीर लगी है। यानी बिहार एनडीए से लोजपा को बाहर कर दिया गया है। फिर भी रामविलास पासवान एनडीए सरकार में शामिल हैं और केंद्र में मंत्री बने हैं। ऐसे में बिहार में लोजपा नेताओं से तौबा और केंद्र में प्यार वाली राजनीति पर अब भाजपा पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं।

लोजपा को लेकर विवाद बढ़ा

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने साफ कहा है कि जो भी हमारे गठबंधन में हैं और वो जदयू के सीएम कैंडिडेट को नहीं मानते हैं, उनके बयान का कोई मतलब नहीं है। एक पोस्टर भी आया था—मोदी तुमसे बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं। डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि आवश्यकता पड़ेगी तो हम चुनाव आयोग को लिखकर देंगे कि एनडीए से जुड़े सिर्फ चार दल ही प्रधानमंत्री के चित्र का इस्तेमाल कर सकते हैं, अन्य किसी को प्रधानमंत्री का चित्र इस्तेमाल करने का अधिकार नहीं होगा।

2010 में साथ लड़े थे चुनाव

इससे पहले भाजपा और जदयू ने 2010 का विधानसभा चुनाव साथ लड़ा था। तब जद 141 और भाजपा 102 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारी थी। इसमें जदयू को 115 तो भाजपा को 91 सीटों पर जीत मिली थी। 2015 में महागठबंधन को भारी जीत मिली थी। 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में महागठबंधन 178 सीटों पर जीती थी। इस चुनाव में राजद को 80, JDU को 71, भाजपा को 53 और कांग्रेस को 27 सीटों पर जीत मिली थी।

अजय वर्मा
अजय वर्मा
समाचार संपादक