ये जो भी हो रहा है, डरावना है, घिनौना है और शर्मनाक है। इंडिया न्यूज के हमारे ग्राफिक्स विभाग के सहयोगी कदीर कल घर नहीं गए थे। घरवालों ने कहा कि हालात ठीक नहीं हैं तुम दफ्तर से किसी दोस्त के यहां चले जाओ- जहां सुरक्षित लगे।
कदीर रात भर कहीं रुक गए। जब जगे तो उनके इलाके गोकुलपुरी में हालात बिगड़ चुके थे। उन्होंने घर फोन किया। पता चला घर तोड़कर लोग घुस चुके थे। मगर उसी दौरान पड़ोसी हिंदू परिवार ने कदीर के घर के लोगों को अपने यहां छिपा लिया। कई बार उनसे भीड़ पूछने आई, लेकिन उन्होंने ना दरवाजा खोला और ना ही माना कि कदीर का परिवार उनके यहां है।
कदीर फोन पर परिवार से जुड़े हुए थे औऱ दफ्तर में अपने डिपार्टमेंट के दोस्तों से परिवार को बचा लेने की गुहार लगा रहे थे। ग्राफिक्स डिपार्टमेंट में पुनीत, राजेश और चंद्र लगातार परेशान थे। वे मुझ तक आए। कई रिपोर्टर, गेस्ट कार्डिनेशन डिपार्टमेंट और असाइनमेंट का साझा प्रयास चलने लगा। पुलिस के आला अधिकारियों और स्थानीय नेताओं से संपर्क साधा गया। काफी देर तक कोई कुछ कर पाने की हालत में नहीं था। हर दस मिनट पर पुनीत फोन करता – कदीर भाई, हमलोग कर रहे हैं, परेशान मत होना, सब ठीक होगा।
मैं ग्रफिक्स टीम के उड़े चेहरे देखकर खुद परेशान था। गेस्ट कार्डिनेशन डिपार्टमेंट प्रमुख प्रदीप लगातार अपने संपर्कों से जुड़े हुए थे। उस हिंदू परिवार ने कदीर के परिवार को पूरी हिफाजत से रखा था और चाहता था कि उनको वहां से सुरक्षित निकाल लिया जाए। इंडिया न्यूज की टीम ने एक बार कोशिश तो की लेकिन उस मुहल्ले में घुस पाने में नाकाम रही। आखिरकार पुलिस की टीम गई औऱ कदीर के परिवार को गोकुलपुरी थाने लेकर आई। मैंने दफ्तर की कार का इंतजाम करवाया ताकि उस परिवार को जहां वो सुरक्षित रहना महसूस करते हों, भेजा जा सके। सबके चेहरे अचानक खिले गए।
मगर बात, एक कदीर की नहीं है। कहीं कामेश्वर भी फंसा होगा। ये भीड़ जो सनक सिर पर लेकर निकलती है औऱ सबकुछ तबाह करती जाती है- ये वहशी होती है। इसका कोई ईमान-धर्म नहीं होता है। दिल्ली हो या देहात- दंगाई देश के दुश्मन हैं, समाज पर बदनुमा दाग है। उस हिंदू परिवार का बहुत बहुत धन्यवाद जिसने हिंदू होने का सबसे बड़ा धर्म निभाया – इंसानियत।