स्मृति शेषः हे महामानव! तुम्हे अंतिम प्रणाम!!

इधर फोन की घंटी बजी और उधर से आवाज आई “कैसे हो अभय, क्या चल रहा है, सब ठीक तो है ना? तुम वीर और जुझारू हो, कभी विचलित नहीं होना। कोई दिक्कत हो तो बताना मैं तुम्हारे साथ हूं”। ऐसे थे हमारे पुष्पवंत शर्मा सर। बेहद सुलझे और मृदुभाषी व्यक्तित्व के स्वामी। जब भी उनसे बात होती थी अंदर एक उर्जा का संचार हो जाता था।

बात उन दिनों की है जब वे दूरदर्शन पटना में बतौर समाचार संपादक कार्यरत थे। मैं प्रणव मोशन पिक्चर्स की तरफ से एक स्टींगर के तौर पर दूरदर्शन के लिए डेली बेसिस रिपोर्टिंग करता था। मेरा दायरा सिमित था नियमित कर्मचारियों से अलग एक कमरे में बैठकर न्यूज़ लिखने के बाद सीधे बाहर निकल जाना था, मतलब संस्थान के दूसरी गतिविधियों से कोई लेना-देना नहीं था।

यह सब कुछ कुछ दिन तक ऐसे ही चलता रहा। एक दिन अंदर से एक व्यक्ति आया और बोला, “ क्या फील्ड रिपोर्टिंग में आज आप ही हो? आपको शर्मा सर ने बुलाया है”। मुझे लगा शायद न्यूज़ में कोई गलती हो गई है, आज तो मैं गया। इसी डर को मन लिए मैं उनके चैंबर में उपस्थित हुआ। उस वक्त वो फोन पर किसी से बात कर रहे थे। मैं डरा सहमा वहीं सामने खड़ा था।

कमी होती तो डांट पड़ती और बेहतर करने पर दूलार भी मिलता

फोन कटते ही उन्होंने कहा, “खड़े क्यों हो बैठो”। डरते-डरते मैं बैठ गया। उन्होंने पूछा, क्या नाम है तुम्हारा”? मैंने डरते हुए कहा, “अभय पाण्डेय”। फिर उन्हों ने पूछा,” इससे पहले कहां काम करते थे”? मेरा जवाब था- PTN News में। उन्होंने कहा, “PTN में काम करके आए हो फिर भी डरते हो”? चलो कोई नहीं, काम अच्छा करते हो, बस थोड़ा सा निडर बनो ,कोई किसी की किस्मत नहीं लेता। अब से जो भी काम कर के आना सीधे मुझे रिपोर्ट करना”। और उसके बाद मेरे अंदर एक ऐसी उर्जा का संचार हुआ मानों मेरे हाथ ब्रम्हासत्र लग गया। मैं रोज काम करता और उन्हें रिपोर्ट करता। जहां कमी होती तो डांट भी पड़ती और बेहतर करने पर दूलार भी मिलता।

फिर अचानक एक दिन पता चला उनका तबादला दूरदर्शन दिल्ली में बतौर डिप्टी डायरेक्टर HR में हो गया है। और कुछ दिन बाद वो पटना से दिल्ली चले गए। मैंने भी अब दूर्दर्शन के लिए काम करना बंद कर दिया।

एक दिन नौकरी की तलाश में दिल्ली जाना हुआ। दिल्ली पहुंचकर मैंने उन्हें फोन किया। पहले लगा वो बड़े अधिकारी हैं शायद भूल चुके होंगे, लेकिन मैं गलत था। फोन उठते हीं आवाज आई “कैसे हो अभय, क्या चल रहा है, सब ठीक तो है ना, कहां हो आज कल? इतने सारे सवालों में मैंने बस एक का जवाब दिया अभी मैं दिल्ली में ही हुं सर, नौकरी की तलाश में आया हूं।

उन्होंने कहा, “ठीक है मेरे ऑफिस आ जाओ यहीं बैठकर बात करते हैं। मैंने ऑफिस का पता पूछा और मैट्रो पकड़ कर मंडी हाउस चल पड़ा। मंडी हाउस पहंचने के बाद मैने उन्हे फिर कॉल किया,” मैं मैट्रो स्टेशन पर हूँ, आगे कहां और कैसे आना है”? उन्होंने कहा, “आप वहीं मैट्रो के पास रुको मैं आ रहा हूँ”। मैं वहीं खड़ा होकर इंतजार करने लगा तभी आवाज आई, “चलो ऑफिस चलते हैं”।

तुम परेशान मत होना

मैं उनके साथ उनके ऑफिस चला गया। सारा काम छोड़कर वो मुझसे बातचीत करने में मशगूल हो गए। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा,” कोई जगह दिखे तो बताना मैं तुम्हारे लिए बात करूंगा। और हां दूरदर्शन में भी कोई काम होगा तो बेहिचक बोलना। वैसे मैं अपनी तरफ से भी तुम्हारे लिए कुछ देखता हूं, तुम परेशान मत होना।

फिर मुझे दिल्ली में ही एक चैनल में नौकरी मिल गई। मैं वहां काम पर लग गया। बातचीत होती रही। कभी-कभार मुलाकात भी होती रही। फिर मैं वापस पटना चला आया और कुछ दिन बाद भुवनेश्वर के एक न्यूज़ चैनल में ज्वाईन कर लिया। जरूरत नहीं पड़ी उनसे शिफारीस करवाने की।

एक दिन पता चला वो RNI में डिप्टी रजिस्ट्रार के पद पर तैनात कर दिए गए हैं। मैंने फोन पर बधाई दी और कहा कि दिल्ली आउंगा तो आपसे मिलूंगा। 2019 के जनवरी माह में दिल्ली गया तो उनके ऑफिस गया। मुलाकात हुई तो फिर से वही आत्मियता। चाय और स्नैक्स के साथ स्वागत हुआ। अहसास ही नहीं हुआ कि मैं जिस शख़्स के सामने बैठा हूँ, उसके हाथ में अब देश भर के अखबारों का नियंत्रण है।

किसी पहचान के मोहताज नहीं पुष्पवंत सर

वैसे तो पुष्पवंत सर किसी पहचान के मोहता नहीं, लेकिन फिर भी मैं बता दूं वे संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से मार्च 1987 में भारतीय सूचना सेवा से जुड़े। उनकी पहली पोस्टिंग नई दिल्ली स्थित प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो में हुई। इसके बाद वे अप्रैल, 1987 से मार्च, 1992 तक पीआईबी, पटना से जुड़े रहे। अप्रैल, 1992 से 15 मई, 1995 तक सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय की मुज़फ़्फ़रपुर इकाई में उन्होंने क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी के पद पर अपना योगदान दिया। इसके बाद उन्होंने 17 मई, 1995 से 30 अप्रैल, 2009 तक आकाशवाणी, रांची में समाचार संपादक के तौर पर काम किया। इसके बाद इनका प्रमोशन कर दिया गया।

प्रमोशन के बाद वे मई, 2009 से मार्च, 2013 तक पटना के दूरदर्शन कार्यालय में सहायक निदेशक (समाचार) का पदभार संभाला। इसके बाद उन्हें दिल्ली बुला लिया गया और अप्रैल, 2013 से डीडी न्यूज, नई दिल्ली में सहायक निदेशक के पद पर योगदान दिया। 16 मार्च, 2017 तक वे इसी पद पर रहे, लेकिन 17 मार्च को पदोन्नत कर उन्हें उप निदेशक की जिम्मेदारी दी गई।

नवंबर 2017 में सूचना-प्रसारण मंत्रालय से एक नई जिम्मेदारी मिली है। मंत्रालय के अधीन आने वाले निकाय ‘रजिस्‍ट्रार ऑफ न्यूजपेपर्स फॉर इंडिया’ (RNI) में उन्हें असिसटेंट प्रेस रजिस्ट्रार बनाया गया है। उन्हों ने 1 नवंबर से अपनी नई जिम्मेदारी संभाल ली। तब से वे उसी पद पर कार्यरत थे।

खैर, आज जब पता चला कि वो अब इस दुनिया में नहीं रहे तो, मैं स्तब्ध रह गया। यकीन नहीं हो रहा कि ये बात सच है। भगवान उस महामानव को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और परिजनों व मित्रों को इस दुःख से उबरने की शक्ति।

अभय पाण्डेय
अभय पाण्डेय
अभय पाण्डेय
आप एक युवा पत्रकार हैं। देश के कई प्रतिष्ठित समाचार चैनलों, अखबारों और पत्रिकाओं को बतौर संवाददाता अपनी सेवाएं दे चुके अभय ने वर्ष 2004 में PTN News के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। इनकी कई ख़बरों ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी हैं।