चुनाव में महिला वोटरों ने क्या साथ नहीं दिया नीतीश कुमार का?

पटना: तीसरे चरण के चुनाव के बाद लगने लगा है कि बिहार की महिलाओं ने नीतीश कुमार का साथ नहीं दिया है जबकि पुरुषों के वोट पर तेजस्वी की पकड़ बढ़ी है।

महिला वोटरों पर था नीतीश को भरोसा

नीतीश कुमार को पुरुष से अधिक महिला वोटरों पर भरोसा था। उन्होंने ही पंचायतों में 50 फीसद आरक्षण दिया था। जीविका के माध्यम से उनके रोजगार के अवसर भी बढ़े। शराबबंदी भी महिलाओं के आग्रह पर हुआ और उन्होंने संतोष भी था। वजह बनी शराब के कारण पैसों की बरबादी और पतियों के अत्याचार से आजादी मिलना। लोकसभा चुनाव में ऐसा ही हुआ था।

42 फीसद महिलाएं ही नीतीश के साथ

इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के आंकड़े बता रहे हैं कि 43 प्रतिशत महिला वोटरों ने महागठबंधन को पसंद किया है जबकि 42 फीसदी महिला वोटरों की पसंद NDA है। 37 प्रतिशत पुरुष राजग के साथ हैं जबकि 44 फीसदी पुरुष वोटरों ने महागठबंधन को पसंद किया है। चिराग की पार्टी को सात प्रतिशत महिला और सात प्रतिशत पुरुष ने पसंद किया है।

पहले कुछ और थी रिपोर्ट

पिछले महीने लोकनीति-सीएसडीएस ने जब ओपिनियन पोल कराया था तो यह बात सामने आई थी कि 41 फीसदी महिला वोटर्स नीतीश के साथ थीं जबकि 31 फीसदी महिलाएं राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ दिखीं। बाकी 28 फीसदी महिलाओं की पसंद अन्य पार्टियां थीं। 2005 में सत्ता में आने के बाद नीतीश कुमार ने महिलाओं को लेकर कई योजनाएं शुरू कीं। उन्होंने स्कूली छात्राओं को मुफ्त में साइकिल, पंचायत और निकाय चुनाव में महिलाओं के लिए पचास फीसदी आरक्षण, महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाने पर जोर दिया। इसके अलावा 12 वीं पास छात्राओं की आगे की पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद और राज्य की सरकारी नौकरियों में पचास फीसदी कोटा का कानून बनाया।

देखें पिछला इतिहास

2005 में बिहार में दो बार विधानसभा के चुनाव हुए। पहले फरवरी में और फिर अक्टूबर में। फरवरी के चुनाव में लगभग 42.51 फीसदी महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। 2010 में 54.48 फीसदी महिला वोटरों की भागीदारी रहीं। 2015 में लगभग 60.48 फीसदी महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया यानी दस साल में लगभग 20 फीसदी की बढ़ोतरी।

अजय वर्मा
अजय वर्मा
समाचार संपादक