दानिश सिद्दीकी को मारी थी कई गोलियां, पर तस्वीरों में हैं अब भी जिंदा

नई दिल्लीः अपनी तस्वीरों से पूरी कहानी कह देने वाले पुलित्जर पुरस्कार विजेता फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की मौत ने पत्रकारिता जगत को सन्न कर दिया है। दानिश के शरीर को जामिया मिल्लिया इस्लामियां यूनिवर्सिटी के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। जामिया यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र रहे दानिश को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अपने कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक करने की इजाजत दी थी।

इससे पहले रविवार की शाम एयर इंडिया की फ्लाइट दानिश का पार्थिव शरीर अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से लेकर दिल्ली पहुंची। दिल्ली पहुंचने पर उनके शव को उनके पिता प्रोफेसर अख्तर सिद्दीकी ने रिसीव किया। शव को दिल्ली पहुंचने के बाद सबसे पहले उसे ओखला स्थित उनके घर ले जाया गया जहां से उनका जनाजा एम्बुलेंस के जरिए  जामिया कैम्पस ले जाया गया। जब दानिश का शव लेकर एम्बुलेंस जामिया नगर पहुंची, तब अंतिम दर्शन के लिए सड़क के दोनों तरफ लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। सभी लोग गमगीन थे और उनकी आंखें नम थीं। हर कोई अपने दानिश को देखने के लिए बेचैन था।

दानिश को मारी कई गोलियां

गौरतलब है कि दानिश न्यूज़ कवरेज करने के दौरान अफगानिस्तान के युद्ध प्रभावित कांधार स्पिन बोल्डक इलाके में तालिबानी हमले में मारे गए थे। दानिश की डेथ सर्टिफिकेट के मुताबिक उनकी मौत कई गोलियां लगने से हुई है। वे घटना के समय अफगानी सुरक्षाबलों के साथ थे।

जर्मन महिला से किया लव मैरेज

बता दें, मात्र 38 वर्ष की उम्र में ही दानिश ने अपनी फोटोग्राफी से दुनिया में एक बड़ा मुकाम हासिल किया था। 19 मई 1983 को नई दिल्ली में एक मुस्लिम परिवार में जन्मे दानिश अपने परिवार में 4 भाई-बहनों में से एक थे। दानिश जर्मनी में रॉयटर्स के लिए कवर करते हुए जर्मन महिला राइक से मिले और फिर बाद में उन्होंने उन्हीं से शादी कर ली। उनके 2 बच्चे भी हैं।

दानिश सिद्दीकी ने अपनी स्कूली शिक्षा दिल्ली के एफआर एग्नेल स्कूल से शुरु की थी। उन्होंने दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में से एक जामिया मिलिया इस्लामिया में प्रवेश लिया, जहाँ उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री पूरी की। इसके अलावा, उन्होंने वर्ष 2007 में जामिया में एजेके मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर से मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स डिग्री हासिल किया।

टीवी संवाददाता से करियर की शुरुआत

सिद्दीकी ने पत्रकार के तौर पर अपने करियर की शुरुआत एक टीवी संवाददाता के रूप में की थी। कुछ वर्षों के बाद उन्होंने अपने करियर को फोटोग्राफी में बदल दिया और फिर वे 2010 में अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स में एक प्रशिक्षु के रूप में शामिल हो गए। समाचार एजेंसी रॉयटर्स में काम करने के दौरान उन्होंने एक से बढ़कर एक तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद किया। उनके द्वारा ली गई तस्वीरें अपने आप में पूरी घटना की स्क्रिप्ट हैं। उनके काम को देखते हुए उन्हें पत्रकारिता जगत के सर्वश्रेष्ठ सम्मान पुलित्जर से भी नवाजा गया।

तस्वीरें रखेंगी दानिश को जिंदा

उन्होंने अपने कैमरे में जो तस्वीरें कैद की हैं, उनमें COVID-19 की पहली लहर के दौरान परिवार संग पलायन करते मजदूर, दूसरी लहर के दौरान एक साथ श्मशान में जलती कई चिताएं, 2015 में नासिक के गोदावरी तट पर स्थित त्र्यंबकेश्वर में आयोजित कुंभ मेले में बदन पर राख लगाते नागा साधु की तस्वीर और पिछले साल दिल्ली में CAA के विरोध में हुए दंगों के दौरान हाथ में असलहा लहराते युवक की तस्वीर बेहद खास हैं। ये तस्वीरों दानिश को हमेशा जिंदा रखेंगी।

अभय पाण्डेय
अभय पाण्डेय
आप एक युवा पत्रकार हैं। देश के कई प्रतिष्ठित समाचार चैनलों, अखबारों और पत्रिकाओं को बतौर संवाददाता अपनी सेवाएं दे चुके अभय ने वर्ष 2004 में PTN News के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। इनकी कई ख़बरों ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी हैं।