गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर ने खड़े किए सबसे बड़े लोकतंत्र के सिस्टम पर सवाल

नई दिल्लीः पहले उत्तर प्रदेश के एक बड़े शहर में गैंगस्टर विकास दुबे 8 पुलिस वालों को गोली से मार डालता है। फिर बड़े ही नाटकीय ढ़ंग से उत्तर प्रदेश से 675 किलोमीटर दूर मध्यप्रदेश में महाकाल के प्रसिद्ध मंदिर के सुक्षाकर्मियों के जरिये यह गैंगस्टर विकास दुबे खुद को पुलिस हवाले करता है।

दूसरे प्रदेश से भगवान शिव की नगरी से सड़क रास्ते के जरिये लाते वक्त उत्तर प्रदेश के उस बड़े शहर पहुंचने से पहले एक गांव के नजदीक एसयूवी पलट जाती है। आत्मसमर्पण करने वाला गैंगस्टर पुलिस की गन लेकर पुलिस पर हमला कर देता है।

इसके बाद पुलिस और यूपी एसटीएफ की टीम सेल्फडिफेंस में क्रास फायरिंग करते हैं और गैंगस्टर विकास दुबे पुलिस और यूपी एसटीएफ के साथ गोलीबारी में ढ़ेर हो जाता है। इसके साथ ही खत्म हो जाती है, इस गैंगस्टर की कहानी।
इसके बाद मानवाधिकार में गुहार लगायी जाती है। और शुरू हो जाता है प्रदेश सरकार के आला अफसरों द्वारा पुलिसकर्मियों और इससे जुड़े लोगों पर सरकारी जांच का सिलसिला।

पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त। सुपरहिट मुंबईया थ्रिलर फिल्म जैसा है यह पूरा घटनाक्रम। यह कहानी है गैंगस्टर विकास दुबे की। इसके आस्तीन में कई प्रश्न छिपे हुए हैं। यह घटना हमारे सिस्टम पर भी कई सवाल खड़े करते हैं। ऐसे वक्त में  इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिज आनंद नारायण मुल्ला का पुलिस के बारे में दिया गया लैंडमार्क निर्णय याद आता है।

Anand Narain Mulla, a justice of Allahabad High Court, in a judgement said, “I say with all sense of responsibility, there is not a single lawless group in the whole of the country whose record of crime comes anywhere near than that of the organized gang of criminals known as the Indian Police Force.”

यानी “मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ यह कह रहा हूं कि पूरे देश में कोई भी गुंडों मवालियों का ऐसा समूह नहीं है। जिसका क्राइम रिकार्ड इस संगठित अपराधियों के गिरोह के क्राइम रिकार्ड के आसपास भी हो। इस संगठित समूह को हम भारतीय पुलिस के नाम से जानते हैं।”

गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्रवाई पर कई तरह के प्रश्न खड़े होने लगे हैं। जैसे…….

  1. मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मा विकास दुबे गैंगस्टर कैसे बना?
  2. किन रसूखदार लोगों ने अपने फायदे के लिए विकास दुबे को गैंगस्टर बनाया?
  3. क्या इन सफेदपोश रहनुमाओं और दबंग अधिकारियों के नाम पब्लिक के सामने आयेंगे?
  4. कानपुर एनकाउंटर के बाद विकास दुबे मध्यप्रदेश कैसे और किसकी सहायता से पहुंचा?
  5. यदि विकास को भागना ही था तो उसने खुद को पुलिस के हवाले क्यों किया?
  6. एसयूवी कानपुर के पास ही क्यों पलटी?
  7. देश में कितनी पार्टियां हैं जिनके सांसद और विधायक विकास दुबे की तरह क्रिमनल बैकग्राउंड के नहीं है?
  8. यदि विकास दुबे अपनी जुबान खोलता तो कितने सियासतदानों और सरकारी बाबूओं की पोल खुलती?
  9. कसाब जैसे आतंकवादी को बिरयानी और विकास दुबे को गोली क्यों?
  10. विकास दुबे की सूचना देने वाले सुरक्षाकर्मी को उसके सर पर रखा गया उत्तर प्रदेश पुलिस का 5 लाख का ईनाम दिया?

ऐसे प्रश्नों की लंबी फेहरिस्त है। कई प्रश्न आपके जहन में ही आयेंगे। विकास दुबे का एनकाउंटर हमारी सरकारों, राजनीतिक पार्टियों और सिस्टम पर कई सवाल खड़े करता है। इस बारे में देश का नागरिक होने के नाते हमें अपनी वोट की कीमत और सड़े हुए सिस्टम के बारे में तसल्ली से सोचना होगा।

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दीपक सेन
दीपक सेन
मुख्य संपादक