डॉ. अखिलेश गुप्ता ने ग्रहण किया SERB के सचिव का अतिरिक्त प्रभार

नई दिल्लीः विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अखिलेश गुप्ता ने शनिवार को विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (SERB) के सचिव का अतिरिक्त प्रभार ग्रहण किया। उन्होंने यह पद भार डॉ. संदीप वर्मा द्वारा शुक्रवार को SERB सचिव के रूप में अपना कार्यकाल पूरा होने के उपरान्त ग्रहण किया हैI

डॉ. गुप्ता वर्तमान में नीति समन्वय और कार्यक्रम प्रबंधन प्रभाग (PCPM) के प्रमुख हैं और DST में 5 राष्ट्रीय मिशनों- अंतःविषय साइबर भौतिक प्रणाली पर राष्ट्रीय मिशन, क्वांटम प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों पर राष्ट्रीय मिशन, राष्ट्रीय सुपर- कंप्यूटिंग मिशन, जलवायु परिवर्तन के लिए सामरिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन और हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय मिशन के समग्र प्रभारी हैं।

एक प्रतिष्ठित वायुमंडलीय वैज्ञानिक, डॉ. गुप्ता को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं के साथ-साथ प्रक्रियाओं में 200 से अधिक शोध लेखों का श्रेय दिया जाता है। वे 5 पुस्तकों के संपादक, 350 से अधिक लेखों के लेखक और लगभग 1000 रिपोर्टों के लेखक भी हैं। वह इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग (FNAE), इंडियन मेटेरोलॉजिकल सोसाइटी (FIMS) और एसोसिएशन ऑफ एग्रो-मेटेरोलोजिस्ट्स के फेलो भी हैं।

उष्णकटिबंधीय चक्रवात भविष्यवाणी, मानसून मौसम विज्ञान, स्थान विशिष्ट मौसम भविष्यवाणी, मौसम और जलवायु मॉडलिंग के साथ ही, ओपन साइंस, इक्विटी और समावेश, एसटीआई वित्तपोषण, सिस्टम इंटरकनेक्टेडनेस इत्यादि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नवाचार (STI) नीति क्षेत्र इत्यादि डॉ. गुप्ता की रुचि के कुछ प्रमुख अनुसंधान क्षेत्रों में शामिल हैं।

डॉ. गुप्ता भारत की जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) के लेखकों में से एक तथा उस सचिवालय के प्रमुख रहे हैं जिसके अंतर्गत भारत की नई विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं  नवाचार नीति का मसौदा तैयार किया गया है तथा जिसे अंतिम रूप दिया जा रहा है।

1984 में लखनऊ विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातकोत्तर डिग्री और 1999 वायुमंडलीय विज्ञान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली से डॉक्टरेट की डिग्री के साथ, वे 1985 में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) में शामिल हुए और बाद में 1994 में राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केन्द्र (रा॰म॰अ॰मौ॰पू॰के- नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्टिंग – NCMRWF) में शामिल हो गए। ये दोनों ही विभाग वर्तमान में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत हैं।

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