सीओ की कार्यशैली से नाराज लोगों का विरोध प्रदर्शन, कहा- यह अफसर है कि हिटलर!

रोहतासः जिले के संझौली थाना पर आयोजित जनता दरबार में फ़रियाद लेकर पहुंचे तीन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अंचल में तैनात अंचलाधिकारी विनय शंकर पांडा के खिलाफ महागठबंधन के कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोल दिया है। कार्यकर्ताओं ने सीओ पर मनमानी करने और तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। CO की कार्यशैलि से नाराज होकर कार्यकर्ताओं ने गुरूवार को प्रखंड मुख्यालय पर रोषपूर्ण प्रदर्शन भी किया और संझौली बाजार को एक दिन के लिए बंद भी रखा।

धरना में शामिल लोगो का कहना है कि अंचलाधिकारी विनय शंकर पांडा निरंकुश हैं, उनके पास तमीज नाम की चीज है। अपने पावर के मद में चूर सीओ जनता के साथ मैत्रीपूर्ण व्यवहार के बजाय तानाशाही रूख दिखा रहे हैं। वह फरियादियों की फ़रियाद सूनने के बजाय उन पर झूठे मुकदमें दर्ज करवाकर जेल भेजवा रहे हैं।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, मध्य बिहार ग्रामीण बैंक के समीप श्री भगवान साह का फल दुकान एवं सुरेंद्र शाह के चाय दुकान के विरुद्ध अंचलाधिकारी संझौली ने अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस निर्गत किया था। इस बीच बीते दिन थाना परिसर में आयोजित जनता दरबार में फुटपाथ दुकानदारों का पक्ष रखने गए पैक्स अध्यक्ष सहित तीन लोगों पर सीओ ने प्राथमिकी दर्ज करा दी। जिन लोगं के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई है उनमें संझौली पैक्स अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता रामाशंकर शर्मा, भाकपा माले कार्यकर्ता विजेंद्र पटेल का नाम शामिल है।

मुकदमा वापस लेने तक जारी रखेंगे आंदोलन

अंचलाधिकारी द्वारा इन तीनों के उपर प्राथमिकी दर्ज करवाने के बाद अब मामले ने तूल पकड़ लिया है। महागठबंधन के स्थानीय कार्यकर्ता नाराज हैं और झूठा मुकदमा वापस लेने तक यह आंदोलन चलाने की बात कह रहे हैं। उनका कहना है कि बिहार में अफसरशाही तो चरम पर है लेकिन यह पहला मामला है, जिसमें जनता दरबार में फ़रियाद लेकर पहुंचे व्यक्ति पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

मंत्री मदन साहनी ने भी लगा चुके अपरशाही का आरोप

आपको बता दें सुशासन की सरकार में अफसरशाही चरम पर है। जनता की सेवा में तैनात अधिकारी खुद को तानाशाह समझने लगे हैं। वो आम आदमी को उनके कष्ट से छुटकारा दिलाने से ज्यादा उन्हें घुटनों पर लाने में अपनी शान समझ रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही बिहार सरकार के समाज कल्याण मंत्री मदन साहनी ने प्रदेश की व्यवस्था पर हावी अफसरशाही को लेकर तल्ख़ टिप्पणी की थी और बात स्तीफे तक पहुंच गई थी। साहनी ने कहा कहना था कि जब अधिकारी मेरी सुनेंगे ही नहीं तो जनता की सेवा कैसे करूंगा। अगर जनता का काम नहीं कर सकता तो मंत्री बने रहने का कोई मतलब नहीं है।

शशि कान्त
शशि कान्तhttps://newsstump.com
संवाददाता- रोहतास