बाबरी विध्वंस केस: 28 साल बाद आया फैसला, आडवाणी, जोशी समेत सभी आरोपी बरी

नई दिल्ली: पूर्वानुमान के मुताबिक ही बाबरी मस्जिद को ढहाये जाने के मामले में 28 साल बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। जज एसके यादव ने लंबी सुनवाई के बाद 2000 पेज का फैसला सुनाया। राम जन्मभूमि केस में सुप्रीम कोर्ट ने भी माना था कि यहां बाबरी मस्जिद के कोई सबूत नहीं हैं। फैसले में कहा गया है कि विध्वंस की काररवाई पूर्व नियोजित अथवा साजिशन नहीं बल्कि स्वत: स्फूर्त थी।

मामले में दो एफआईआर

बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना 6 दिसंबर 1992 हुई थी। उसके बाद दो प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। पहली प्राथमिकी, जिसका नंबर 197 है, में लाखों कार सेवक और दूसरी, जिसका नंबर 198 है, संघ परिवार के कार्यकर्ताओं समेत आडवाणी, जोशी, तत्कालीन शिवसेना नेता बाल ठाकरे, उमा भारती आदि के खिलाफ थी। इसके अलावा जांच के दौरान 47 और केस दर्ज किए गए थे।

फैसले में सभी आरोपी बरी

अदालत ने बीजेपी के वयोवृद्ध नेताओं- लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी समेत सभी 32 आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया है। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस के यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘घटना पूर्वनियोजित नहीं थी।’ कोर्ट ने कहा कि 6 दिसंबर, 1992 की घटना स्वतः स्फूर्त थी और इसमें साजिश का कोई सबूत नहीं मिला है। सीबीआई ने जो वीडियो दाखिल की थी, उसे कोर्ट ने टैंपर्ड माना। कोर्ट ने कहा कि वीडियो को सीलबंद लिफाफे में नहीं जमा किया गया था। इस केस में कुल 49 आरोपी थे लेकिन 17 आरोपियों की सुनवाई के दौरान निधन हो गया।

बरी होने वाले नेतागण

अदालत ने जिन 32 आरोपियों को बरी किया, उनमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, महंत नृत्य गोपाल दास, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, रामविलास वेदांती, चंपत राय, महाराज स्वामी साक्षी, लल्लू सिंह, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कक्कड़ आदि शामिल हैं।

कौन-कौन सी धाराएं

केस नंबर 197/1992 उसी दिन राम जन्मभूमि पुलिस स्टेशन के एसएचओ पीएन शुक्ला ने लाखों कार सेवकों के खिलाफ सेक्शन 395, 397, 332, 337, 338, 295, 297 और 153-A के तहत दर्ज करायी थी। केस नंबर 198/1992 राम जन्मभूमि पुलिस आउटपोस्ट के इंजार्च गंगा प्रसाद तिवारी ने उसी दिन दर्ज कराई थी। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि करीब सुबह 10 बजे जब वह कार ड्यूटी पर तैनात थे और विश्व हिंदू परिषद कार सेवा आयोजित कर रही थी उसी वक्त उन्होंने देखा कि लालकृष्ण आडवाणी, मुलरी मनोहर जोशी, अशोक सिंघल, विनय कटियार, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, उमा भारती और साध्वी रितंभरा राम कथा कुंज के डायस पर बैठे थे और कार सेवकों को अपने भाषण से उकसा रहे थे। इसके परिणास्वरूप कार सेवक आवेश में आकर विवादित बाबरी ढांचे को ढहा दिया। आरोपियों पर भड़काऊ भाषण देने समेत कई अन्य आरोप के तहत मुकदमे दर्ज किए गए थे।

अजय वर्मा
अजय वर्मा
समाचार संपादक