पीएम मोदी ने 19वीं बार किया अयोध्या का दौरा, क्या 2024 में राम आएंगे काम ?

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री बनने के बाद से अब तक नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या के 18 दौरे किए हैं और आज 19वां दौरा किया। इस दौरे पर उन्होंने अयोध्या को कई सौगातें सौंपी, जिनमें पुनर्विकसित अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन का उद्घाटन, महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की सौगात के साथ दिल्ली से अयोध्या के लिए एअर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट का सीधा संचालन शामिल है। 22 जनवरी को पुनः उनकी यात्रा प्रस्तावित है क्योंकि उस दिन बहुप्रतिक्षित राम मंदिर में मुख्य प्राण प्रतिष्ठा होना है। कुल मिलाकर उन्होने भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है। अब सवाल यह उठता है कि 2024 के चुनाव में अयोध्या के राम उनके कितने काम आने वाले हैं।

उतर प्रदेश का अयोध्या, भगवान राम की जन्मभूमि है। कहा जाता है 550 साल पहले भी यहां राम का एक मंदिर हुआ करता था, जिसे मुग़ल बादशाह बाबर के सेनापति मीर बाक़ी ने गिरवा कर उसकी जगह मस्जिद बनवा दिया और नाम दिया बाबरी मस्जिद।

हिंदू कारसेवकों ने विध्वंस किया बाबरी मस्जिद, कल्याण सिंह को गंवानी पड़ी कुर्सी

अब कहानी शुरू होती है साल 1992 से तारिख था 6 दिसंबर। तब यूपी में बीजेपी की सरकार थी और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री। कहा जाता है कि कल्याण सिंह के सह पर आक्रामक हिंदू कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को विध्वंस कर दिया। इस आरोप में उसी शाम केंद्र सरकार ने कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त भी कर दिया। उन्हें एक दिन की सांकेतिक जेल की सज़ा भी मिली, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के सामने बाबरी मस्जिद को सुरक्षित रखे जाने के अपने लिखित प्रतिबद्धता को वे पूरा नहीं कर पाए थे।

बाबरी विध्वंस के बाद भाजपा को को मिला उभार

खैर इस घटना ने कल्याण की कुर्सी तो छिन ली, लेकिन भारतीय राजनीति को पूरी तरह से बदल दिया। भाजपा को बड़ा मुद्दा मिल गया। इसी राम मंदिर आंदोलन से बीजेपी को उभार मिला था। और वह पूरे देश में मजबूत होने लगी।

राम मंदिर पुनर्निर्माण बना BJP के लिए सबसे बड़ा मुद्दा, 1996 में केंद्र में खुला खाता

वैसे तो भाजपा के पास और भी कई मुद्दे थे लेकिन राम मंदिर के पुनर्निर्माण उनमें सबसे बड़ा था। पुर्ननिर्माण का संकल्प लेकर भाजपा आगे बढ़ती गई। जन-समर्थन मिलता गया और फिर 1996 में भाजपा केंद्र की कुर्सी पर क़ाबिज़ हो गई। अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, लेकिन यह सरकार महज़ 14 दिन ही टिक पाई, पर भाजपा का खाता खुल गया।

साल 1998 में एक बार फिर से भाजपा केंद्र की कुर्सी पर पहुंची। प्रधानमंत्री अटल जी ही बने और 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक यानी पूरे पांच साल तक वे प्रधानमंत्री बने रहे।

2014 में मोदी की ताजपोशी के बाद राम मंदिर निर्माण का रास्ता होने लगा साफ

बीच में 10 वर्षों का गैप रहा और 2014 में एक बार फिर से भाजपा केंद्र में सत्तासीन हुई। प्रधानमंत्री बने नरेन्द्र दामोदर दास मोदी, जो लगातार अभी तक प्रधानमंत्री बने हुए हैं और आगे के लिए राम मंदिर से जुड़कर सियासी बिसात बिछाते जा रहे हैं।

134 साल बाद मिली सफलता, 2019 में मोदी सरकार में राम मंदिर के पक्ष में सबसे बड़ा फैसला

इन तमाम राजनीतिक उठापटक के बीच भाजपा के पास राम मंदिर का मुद्दा सबसे मजबूत मुद्दा रहा। तारिख-दर तारिख मामला अदालत में चलता रहा फैसले पर फैसले आते रहे लेकिन असल फैसला आया 134 साल बाद मोदी सरकार में। साल था 2019 और तारिख 19 दिसंबर। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले तमाम फैसलों को हटा दिया और कहा कि भूमि सरकार के कर रिकॉर्ड के अनुसार है। राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि को एक ट्रस्ट को सौंपने का आदेश दिया गया। इसने सरकार को मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ़ बोर्ड को वैकल्पिक 5 एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया। अदालत के आदेश के साथ ही पीएम मोदी ने घोषणा की कि सरकार द्वारा अधिग्रहीत 67 एकड़ जमीन भी ट्रस्ट को दी जाएगी।

22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में बनकर तैयार हुए भव्य राम मंदिर में मुख्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन होगा, प्राणप्र तिष्ठा पीएम मोदी के हाथों होगी। अब देखना यह है कि इसी साल होने वाले लोकसभा के चुनाव में राम मोदी के कितने काम आते हैं?