नई दिल्लीः देशभर में तकरीबन 70,000 महिला पुलिस और CRPF कर्मियों ने सर्वाइकल कैंसर से संबंधित स्क्रीनिंग में हिस्सा लिया। इस राष्ट्रीय व्यापी सर्वाइकल और स्तन कैंसर शिविर का आयोजन 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर द फ़ेडरेशन ऑफ़ ओब्सेट्रिक ऐंड गाइनोलॉजिकल सोसाइटीज़ ऑफ़ इंडिया (FOGSI) द्वारा किया गया था।
इन शिविरों का आयोजन FOGSI से जुड़े 258 में से 210 सोसाइटीज़ के माध्यम से 350 केंद्रों पर किया गया था, जिसे बेहद बढ़िया प्रतिसाद प्राप्त हुआ। आयोजन के प्रमुख केंद्रों में मुम्बई (12 केंद्र), बैंगलुरू (7 केंद्र), अहमदाबाद (7 केंद्र) के अलावा भारत के राज्यों में असम, अरुणाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, केरल आदि का शुमार रहा।
80% महिलाएं सर्वाइकल कैंसर की जड़ों और इसके इलाज से अनजान
कैंसर स्क्रीनिंग कैम्प में महिला पुलिसकर्मियों और CRPF कर्मियों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर हमने महसूस किया कि ज़्यादातर लोगों में कैंसर से होनेवाली मौतों का भय व्याप्त है। तकरीबन 80% महिलाएं कैंसर स्क्रीनिंग, सर्वाइकल कैंसर से संबंधित इलाज की अहमियत, इस बीमारी की जड़ों और इसके इलाज से अनजान हैं। शिविर में शामिल हुईं कई महिलाओं को स्क्रीनिंग की सही उम्र और कैंसर स्क्रीनिंग की बारंबारता के बारे में भी सूचित किया गया।
डॉ अल्पेश गांधी, अध्यक्ष FOGSI
डॉ गांधी ने आगे कहा, “हमारा उद्देश्य लोगों को यह बताना है कि इससे पहले की बहुत देर हो जाए, समय पर की गई जांच कैंसर पता लगाने का बेहतरीन ज़रिया है। जब एडवांस्ड स्टेज पर इस बीमारी के बारे में पता चलता है, तो हम ऐसे मरीज़ों को बचाने में सफल नहीं हो पाते हैं।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर के इन लक्षणों से अनजान नहीं होना चाहिए। वे लक्षण हैं – माहवारी के दरम्यान और सेक्स करने के बाद होनेवाला रक्तस्राव, सफेद रंग के तरल पदार्थ का स्त्राव आदि। स्तन कैंसर के इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए – स्तन में सूजन, स्तनशिखा से ख़ून का रिसाव, स्तन अथवा स्तनशिखा से आकार-प्रकार में बदलाव आदि। ऐसे किसी भी लक्षण के पता चलते ही तुरंत इसकी जांच कराई जानी चाहिए।”
उल्लेखनीय है कि अगर समय रहते इसका पता लगा लिया जाए, तो 93% ऐसे मामले ठीक हो जाते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि 40 से 45 साल की महिलाओं के लिए यह बेहद आवश्यक है कि वे हर 3-5 साल में इस तरह की जांच कराएं।
स्तन कैंसर को नियमित आत्म-स्तन परीक्षण, सोनोग्राफ़ी और मैमोग्राफ़ी से पहचाना जा सकता है
स्तन कैंसर को नियमित आत्म-स्तन परीक्षण, सोनोग्राफ़ी और मैमोग्राफ़ी के माध्यम से आसानी से पहचाना जा सकता है। गर्भधारण की उम्र में सर्वाइकल कैंसर की पहचान VIA (विजुअल इंस्पेक्शन विद एसेटिक एसिड) के माध्यम से की जा सकती है। रजनोवृत्ति से पहले महिलाओं की जांच पैप स्मियर टेस्ट के ज़रिए की जाती है।
5-8 फ़ीसदी मामले असामान्य किस्म के- डॉ अनीता सिंह
शिविर में की गई जांच के दौरान किये गये निरीक्षण के बारे में बोलते हुए डॉ अनीता सिंह ने कहा, 5-8 फ़ीसदी मामले असामान्य किस्म के थे। आशंकित करनेवाले अथवा पॉज़िटिव रपटवाले मामलों को अधिक पुष्टि के लिए उच्च केंद्रों को भेजा जाएगा और सर्वाइकल कैंसर के पैप स्मियर रपट आने के बाद ऐसे मामलों के प्रबंधन के लिए भेजा जाएगा। शंका की गुंजाइश वाले और असामान्य स्तन कैंसरवाले मामलों को पहले ही सोनोग्राफ़ी और मैमोग्राफ़ी के लिए भेजा जाता है।”
ऐसे प्रयासों से बीमारी का समय रहते पता चल जाता है, जो प्रभावी इलाज के लिए कि बेहद अहम साबित होता है। इस तरह के अभियानों से अनभिज्ञ किस्म की महिलाओं को उनकी ज़िंदगी में आने वाले ख़राब वक्त से कारगर ढंग से बचाया जा सकता है।
एस मयंक, IG- RPF (पूर्व मध्य रेलवे)
मौजूदा समय में स्तन व सर्वाइकल कैंसर ऐसे दो प्रकार के कैंसर हैं, जो भारतीय महिलाओं की परेशानी का बड़ा सबब है। हर साल भारत में तकरीबन 80,000 महिलाएं स्तन कैंसर से मौत का शिकार होती हैं। सर्वाइकल कैंसर के नये अनुमानित मामलों के मद्देनज़र भारत का स्थान चीन के बाद दूसरा आता है। 2017 में भारत में कुल 96,922 नये मामले देखे गये हैं, मगर इसी साल इस बीमारी से मौत का शिकार होने वालों का आंकड़ा 68,000 था और ऐसे में मृतकों के मामलों में भारत प्रथम साबित हुआ।
इस अनूठी पहल को ISCCP (इंडियन सोसायटी ऑफ़ कोलपोस्कोपी ऐंड सर्वाइकल पैथोलॉजी), लोकल रोटरी क्लब, बह्मकुमारी जैसे विभिन्न संगठनों के अलावा DGP, DGI, CRPF प्रमुख, पुलिस आयुक्तों और स्थानीय पुलिस कल्याण संगठनों का सहयोग प्राप्त था। शिविर में कई महिला पुलिसकर्मियों के साथ उनके पति और परिवार के सदस्य भी उनकी हौसलाअफज़ाई करते हुए पहुंचे थे।