नई दिल्लीः उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने अपनी पत्नी ऊषाम्मा के साथ रात 9 बजे उपराष्ट्रपति भवन में दीप प्रज्ज्वलित किए और कोविड-19 संक्रमण के विरुद्ध अभियान में सम्मिलित हुए।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान का उद्देश्य, हमारी एकता और साझे संकल्प से नोवल कोरोना वायरस के कारण फैली निराशा और अंधकार को दूर करना है। उन्होंने इस अवसर पर सामूहिक सम्मिलित सहयोग की अदम्य शक्ति प्रदर्शित करने के लिए नागरिकों की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के आह्वान को व्यापक जन समर्थन देकर देशवासियों ने एक बार फिर इस महामारी के विरुद्ध अपने लौह संकल्प को साबित किया है।
लॉकडाउन की अवधि में लोगों से अपने घरों में ही रहने की अपील करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह इस वायरस के संक्रमण को फैलने से रोके।
कोविड-19 के विरुद्ध अभियान में डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों, पुलिस, स्वच्छताकर्मियों तथा स्थानीय निकायों के कर्मचारियों एवं समाजसेवी संगठनों के प्रयासों की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने लोगों से सामाजिक व्यवहार में दूरी बनाए रखने तथा निजी स्वच्छता रखने की अपील की। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे कोविड-19 संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार तथा चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा जारी निर्देशों का कड़ाई से पालन करें।
जन साधारण की कठिनाइयों को दूर करने के लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस समय यह समाज के हर सदस्य की भी जिम्मेदारी है कि वह विस्थापित मजदूरों तथा जरूरतमंद गरीब लोगों की मदद करे।
संक्रमण के बारे में सूचना और समाचार पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक तथा प्रिंट मीडिया कर्मियों की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने लोगों को अफवाहों, फेक न्यूज, विशेषकर सोशल मीडिया पर भ्रामक सूचना, से सावधान रहने की अपील की। सोशल मीडिया में फैल रही भ्रामक सूचना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उन्हों ने कहा कि अफवाहों के इस वायरस को तत्काल रोका जाना जरूरी है।
उन्होंने आम जनता से संप्रदायों और समुदायों के बारे में निराधार पूर्वाग्रहों से बचने की अपील करते हुए कहा कि किसी एक घटना को अपने पूर्वाग्रहों के आइने से नहीं देखना चाहिए। हमें आशा करनी चाहिए कि भविष्य में प्रस्तावित निर्देशों का ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण उल्लंघन नहीं किया जाएगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सभी भागीदारों के बीच निरंतर संवाद रहना चाहिए और हमें निजी तौर पर और सम्मिलित रूप से अपने प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रमाणिक सूचना का आदान प्रदान, अफवाहों और भ्रामक प्रचार को रोकने के लिए आवश्यक है।
प्रतिकूल परिस्थितियों में भी योद्धा की तरह सभी कठिनाइयों का सामना करते स्वास्थ्यकर्मियों के साथ हिंसात्मक मारपीट पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा ” हमारे अग्रिम पंक्ति के योद्धा, विशेषकर स्वास्थ्य कर्मियों का सम्मान और सुरक्षा, हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नितांत आवश्यक है।”
इस बीच उपराष्ट्रपति ने यह निर्णय लिया है कि जब तक हालात सामान्य न हो जाए तब तक हर माह वे अपने वेतन का 30% कोविड 19 संक्रमण के विरुद्ध अभियान में, अपने योगदान रूप में प्रदान करते रहेंगे।