सारण: राष्ट्रीय वैश्य महासभा द्वारा सारण सहित संपूर्ण बिहार प्रदेश में वैश्य समाज के लोगों के ऊपर लगातार इस लॉक डाउन की अवधि में भी हो रहे पुलिसिया जुल्म, अत्याचार, हत्या, लूट अपहरण, डकैती, बलात्कार आदि की घटनाओं पर दुःखी होकर उपवास रखा गया। रविवार को प्रातः10:00 बजे सुबह से 2:00 बजे दोपहर तक अध्यक्ष वीरेंद्र साह मुखिया के नेतृत्व में उपवास सह आक्रोश दिवस के रूप में मनाया गया। वर्तमान राज्य सरकार द्वारा वैश्य समाज की समुचित सुरक्षा पर ध्यान नहीं देने के खिलाफ इस समाज के लोगों में अब दिनों दिन आक्रोश, असंतोष एवं भय बढ़ता जा रहा है।
कोविड-19 के कारण लॉकडाउन जैसी विषम परिस्थिति में जहां संपूर्ण वैश्य समाज अपने प्रतिष्ठानों को सरकारी निर्देशानुसार बंद करके, गरीबों एवं जरूरतमंदों के बीच भोजन अथवा राशन पहुंचाते हुए मानवता की सेवा हेतु सदैव तत्पर है। वहीं उनके लोगों पर अपराधियों द्वारा हमले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि सरकार वैश्यों के जानमाल की सुरक्षा एवं संरक्षा पर उदासीन हो गई है और उसका अपराधियों केे जेहन में खौफ या उनपर नियंत्रण नहीं रह गया है।
छपरा के दरियापुर पंचायत के मुखिया मोतीलाल साह से अपराधियों द्वारा बराबर रंगदारी मांगने तथा रंगदारी नहीं देने पर 1 मई को उनके घर पर गोलीबारी, दिघवारा प्रखंड के अकिलपुर पंचायत के पतलापुर निवासी सब्जी व्यवसाई सोनू साहू को रंगदारी नहीं देने पर पुलिस द्वारा गोली मारकर घायल किए जाने की घटना, सिवान के बड़हरिया निवासी अच्छेलाल साह को हत्या करने की नियत से अपराधियों द्वारा गोली मारने की घटना, गोपालगंज जिले के कटैया थानान्तर्गत 15 वर्षीय रोहित जायसवाल की गोली मारकर हत्या की घटना मात्र उदाहरण स्वरूप है।
यहां के अलावें पटना सिटी के युवा व्यवसायी सन्नी गुप्ता की हत्या व उनके परिवारजनों को धमकाकर घर बेचने को मजबूर करने करना, बेगूसराय के विक्रम पौद्दार की पुलिस कस्टडी में संदिग्ध मौत तथा इस मामले को पुरजोर तरीक़े से आवाज उठाने वाले संतोष शर्मा की पुलिस पिटाई के पश्चात मौत, मुजफ्फरपुर की रहने वाली वैश्य महिला रूबी पौद्दार की बालात्कार के पश्चात हत्या, रोहतास के सामाजिक कार्यकर्ता सत्येंद्र साह की निर्मम हत्या जैसे दर्जनों जघन्य घटनाएं हो चुकी है।
इन्हीं सब के आलोक में सारण जिला राष्ट्रीय वैश्य महासभा, छपरा के सभी सम्मानित पदाधिकारियों एवं वैश्य बंधुओं ने सामाजिक दूरी के सिद्धांत का पालन करते हुए अपने-अपने घरों में उपवास सह आक्रोश कार्यक्रम किए। इसमें भाग लेने वालों में वीरेंद्र साह मुखिया, डॉ हरिओम प्रसाद, छठी लाल प्रसाद, गंगोत्री प्रसाद अधिवक्ता, ब्रह्मदेव नारायण ज्ञानी, आदित्य अग्रवाल, रवि कुमार ब्याहुत सहित सैकड़ों लोग शामिल थे।