ललन के चक्रव्यूह में फंसे RCP, सांसद पद ही नहीं मंत्री की कुर्सी पर भी लगा ग्रहण

पटनाः राजनीति अनिश्चितताओं का खेल है। यहां कब किसके सितारे फर्श से अर्श और अर्श से फर्श पर आ जाएं कहना मुश्किल है। अब आरसीपी सिंह (RCP Singh) को ही ले लीजिए, कल तक ये पार्टी के भाग्य विधाता थे, लेकिन अब अपने ही भाग्य पर रो रहे होंगे। JDU ने उन्हे राज्यसभा की उम्मीदवारी देने से इनकार कर दिया है। पार्टी ने उनकी जगह झारखंड के जेडीयू नेता खीरू महतो को राज्यसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने खीरू महतो के नाम का एलान भी कर दिया है। RCP फिलहाल JDU कोटे से राज्यसभा सांसद हैं और केंद्रीय मंत्री भी, लेकिन नए फैसले के बाद उनके मंत्री पद पर बने रहने को लेकर भी संशय है।

बता दें, केंद्र हो या प्रदेश मंत्री पद के लिए दोनों जगह एक ही योग्यता होती है, वो ये कि उस व्यक्ति के पास दो में से किसी एक सदन की सदस्यता होनी चाहिए। यदि मंत्रि पद प्रदेश में चाहिए तो विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य होना अनिवार्य है और केंद्र में चाहिए तो लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य होना। अब चुंकि JDU ने राज्यसभा से RCP का पत्ता साफ कर दिया है, तो यह कहने या समझने में कोई दिक्कत नहीं कि एक निश्चित समय के बाद में में उनका केंद्रिय मंत्री पद से बिदाई भी तय है।

क्या कहते हैं राजनीतिक पंडित

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि JDU में जो हो रहा है वह नया नहीं है। यह सब उसी दिन तय हो गया था, जिस दिन खुद को सुप्रिम बताने के चक्कर में RCP ने ललन को ललकार दिया था। JDU का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने की हैसियत से RCP Singh ने  तब ललन सिंह का पत्ता साफ किया था और अब राष्ट्रीय अध्यक्ष होने का दम दिखाकर ललन ने RCP को चलता कर दिया।

क्या है पुरी कहानी

अब इस मामले को पूरी तरह समझने के लिए आपको फ्लैशबैक में ले चलते हैं। दरअसल, यह कहानी शुरू होती है 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद, जब चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने से चूक गई जदयू में बड़ा फेरदबदल हुआ था। नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर अपने बेहद करीबी माने जाने वाले RCP सिंह को वह पद सौंप दिया था।

वैसे तो नीतीश के करीबी होने के कारण RCP का कद पार्टी में पहले भी बहुत बड़ा था और एक तरह से वह नीति निर्णायक भी थे, लेकिन नई जिम्मेदारी मिलने के बाद उनका कद और बड़ा हो गया। यह बात ललन सिंह को नागवार गुजरने लगी, क्योंकि वो JDU और नीतीश दोनों के पुराने संगी रहे हैं। यह बात अलग है कि ललन सिंह ने कभी इसका अभाष भी नहीं होने दिया। शायद ललन सिंह को उम्मीद थी कि जब केंद्र में मोदी मंत्रीमंडल का विस्तार होगा तो उन्हें मंत्री पद मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यहां भी बाजी RCP ही मार गए। उन्हें मोदी कैबिनेट में इस्पात मंत्री का दर्जा मिल गया।

JDU में शुरू हुई गोलबंदी

RCP को मोदी कैबिनेट में जगह मिलने पर पार्टी के अंदर थोड़ा सा तनाव दिखा, लेकिन डैमेज कंट्रोल के माहिर नीतीश ने यह कह कर स्थिति संभाल ली कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते RCP ने अपने मंत्री पद का प्रस्ताव खुद भेजा है। उन्हें मंत्री बनाए जाने में नीतीश कुमार का कोई रोल नहीं है। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। ललन सिंह को नज़रअंदाज करने को लेकर बिहार की एक जाति गोलबंद होने लगी। पार्टी में भी दबी जुबान इस बात की चर्चा होने लगी कि ललन सिंह के साथ नाइंसाफी हो रही है।

RCP की जगह ललन सिंह बनाए गए JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष

नीतीश को फिर से डैमेज कंट्रोल में जुटना पड़ा, इस बार उन्होंने RCP की जगह ललन सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने का ऐलान कर दिया। यहीं बात RCP के समर्थकों को चुभ गई। समर्थक नहीं चाहते थे कि RCP अध्यक्ष पद से हटाए जाएं। लेकिन नीतीश कुमार की मौजूदगी में जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में आरपीसी सिंह ने अध्यक्ष पद छोड़ने की घोषणा की और इसके बाद नए अध्यक्ष के चुनाव की प्रकिया शुरू की हुई। RCP ने ही ललन सिंह के नाम का प्रस्ताव रखा और वशिष्ठ नारायण सिंह, केसी त्यागी सरीखे नेताओं ने इसका समर्थन किया। सर्वसम्मति से 31 जुलाई 2021 को ललन सिंह उनकी जगह पार्टी के मुखिया बना दिए गए।

खींच गई बड़ी लकीर, कलह हो गई सरेआम

यहां तक जो कुछ भी चला वह आम बात है, लेकिन पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने के बाद जब 6 अगस्त 2021 को ललन सिंह पटना पहुंचे, तो उनके स्वागत में जिस तरह से शहर में पोस्टर लगे और हवाई अड्डे से लेकर पार्टी के प्रदेश कार्यालय तक भीड़ उमड़ी, उसने एक बड़ी लकीर खींच दी। जब RCP सिंह 16 अगस्त को पटना आने वाले थे, तो उनके स्वागत में भी तैयारी जोर-शोर हुई। पटना के कई हिस्सों को पोस्टर-बैनर से पाट दिया गया था। उन में पार्टी दफ्तर के बाहर जो पोस्टर लगाए गये थे उन में ललन सिंह की तस्वीर और नाम दोनों ही गायब थे जिससे अंदर की कलह सरेआम हो गई। हालांकि, जब मामले ने तुल पकड़ा तो बाद में पोस्टर हटवा दिया गया और उसे लगाने वाले ने माफी भी मांग ली।

RCP सिंह ने सफाई दी और कहा, “JDU में ना कोई गुटबाजी है ना कलह। पार्टी का नाम ही जनता दल यूनाइटेड है, ऐसे में कलह का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। जेडीयू में मुख्यमंत्री नितीश कुमार ही एकमात्र नेता हैं। बाकी सभी लोग उनके सहयोगी की भूमिका में हैं।”

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अब महिनों बाद ललन सिंह ने अपने अंदर की भड़ास बाहर निकाली है और केंद्रिय नैतृत्व से RCP सिंह को लगभग बाहर कर दिया है। नियमतः RCP अगले 6 माह तक ही केंद्र में मंत्री पद पर बने रह सकते हैं। हालांकि इसमें भी पेंच है, क्योंकि यह पार्टी के शिर्ष नैतृत्व पर निर्भर करता है कि वह RCP को बने रहने देना चाहती है या उनकी जगह किसी और को मंत्रीमंडल में शामिल करना चाहती है।

अभय पाण्डेय
अभय पाण्डेय
आप एक युवा पत्रकार हैं। देश के कई प्रतिष्ठित समाचार चैनलों, अखबारों और पत्रिकाओं को बतौर संवाददाता अपनी सेवाएं दे चुके अभय ने वर्ष 2004 में PTN News के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। इनकी कई ख़बरों ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी हैं।