पटनाः दल और गठबंधन चाहे जो कसरत कर लें, लेकिन सीमाबंदी के कारण फंसे लाखों बिहारी वोटर 20 क्षेत्रों का आंकड़ा ऐसा पलटेंगे कि जीत रहे उम्मीदवार भी हार सकते हैं। ये सीमा भारत-नेपाल की है जो कोरोना के कारण कई महीने से सील है। रोजी-रोटी के चक्कर में सीमावर्ती क्षेत्र के लोग नेपाल के विभिन्न जिलों में रहते हैं। कुछ का तो रोज आना-जाना रहता था।
सीमा नहीं खुली तो प्रभावित होंगे चुनाव के रिजल्ट
हालत यह है कि मतदान से पूर्व सीमा न खुली तो ऐसे बिहारी वोट डालने लौट नहीं सकेंगे। सीमा से सटे चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, निर्मली आदि जिले हैं जिसके 20 क्षेत्र से लोग नेपाल के जिलों में काम करते हैं। इनकी संख्या लाखों में है। नेपाल में भी कोरोना संक्रमण बढ़ा है इसलिए सीमा खुलने की संभावना भी कम है। दूसरे चुनाव के वक्त गड़बड़ी की आशंका से वैसे भी सीमा बंद कर दी जाती है।
सीमा से सटे हैं बिहार विधानसभा के 20 क्षेत्र
बिहार के 20 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जो नेपाल सिमा सीधे सटे हुए हैं। उनमें वाल्मीकिनगर, रामनगर, सिकटा, रक्सौल, नरकटियागंज, ढाका, रीगा, बथनाहा, परिहार, सुरसंड, हरलाखी, खजौल, बाबूबरही, लौकहा, निर्मली, नरपतगंज, फारबिसगंज, सिकटी, बहादुरगंज और ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र के नाम शामील हैं।